RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"सिर्फ मिसेज चावला का । मैं उसे समझाया कि आप जेल में थे और वहां से आपके छूटते-छूटते सन बदल सकता है लेकिन वो है फिर भी बार-बार फोन किए जा रही है। दिलोजान से फिदा मालूम होती है वो आप पर ।"
जवाब मैंने फोन बंद करके दिया। मैंने कमला चावला को फोन किया। वह लाइन पर आई तो मैं बोला - "शर्मा बोल रहा हूं।"
"जेल से छूट गए !" - वह बोली ।
"हां ।"
"कैसे छूटे ?"
"वैसे ही जैसे कोई बेगुनाह आदमी छूटता है।"
"लेकिन पेपर में तो..."
"पेपर को छोड़ो । तुम्हारी जानकारी के लिए खुद पुलिस मेरी गवाह है कि चौधरी का खून मैंने नहीं किया ।"
"अच्छा ! वो कैसे ?"
"कल रात पुलिस का एक आदमी तुम्हारी कोठी की निगरानी कर रहा था। वही इस बात का गवाह है कि कल सारी रात मैं कोठी से बाहर नहीं निकला था।"
,,, उसके छक्के छूट गए।
"क..कोई पुलिस का आदमी....क..कोठी की निगरानी कर रहा था ?"
"हां ।"
"ऐसा नहीं हो सकता !"
"क्यों नहीं हो सकता ?"
"अगर ऐसा कोई आदमी होता तो..."
"तो वह तुम्हें दिखाई दिया होता । यही कहने जा रही थीं न तुम ?"
“राज, मैं तुमसे मिलना चाहती हूं।"
"जरूर । मैं शाम को हाजिर होऊंगा।"
"अभी आओ ।”
"अभी मुमकिन नहीं । अभी मुझे बहुत काम है।"
"लेकिन मेरे काम की अहमियत तुम्हारी निगाह में ज्यादा होनी चाहिए । आखिर मैं..."
"सी यू स्वीटहार्ट !" मैंने लाइन काट दी।
अब शाम तक तो वह यह सोच-सोचकर तड़पती कि पिछली रात का उसका कोठी से डेढ़ घंटे के लिए गायब होना कोई राज नहीं रहा था। मैंने नहा-धोकर नए कपड़े पहने । फिर टॉयलेट की टंकी में से मैंने लैजर बुक निकाली और उसे लेकन एन ब्लाक मार्केट पहुंचा। वहां से मैंने लैजर बुक के हर पेज की जेरोक्स कॉपी बनवाई।
मैं करोल बाग पहुंचा। हरीश पाण्डे अपने घर पर मौजूद था जो कि अच्छा था । वह वहां न मिलता तो मुझे उसकी तलाश में कई जगह भटकना पडता ।।
हम बैठ गए तो मैंने सवाल किया - "अब जरा ठीक से बताओ । कल क्या हुआ था ?"
"कल मैंने बताया तो था ।”
"वो पुलिस को बताया था।"
"एक ही बात न हुई ?"
"नहीं हुई। और मेरे साथ ज्यादा पसरने की कोशिश मत करो । कल तुम्हारे माथे पर लिखा था कि तुम पुलिस को मुकम्मल बात नहीं बता रहे थे।"
"लेकिन..."
"अब बक भी चुको ।”
"अच्छा, सुनो । साढ़े सात बजे के करीब मैं वहां पहुंचा था। अभी मैं बंगले का जुगराफिया ही समझने की कोशिश
,,, कर रहा था कि वहां एक टैक्सी पहुंची थी और हाथ में एक एयरबैग लिए एक सूट-बूटधारी व्यक्ति उसमें से बाहर निकला था। वह सीधा जूही चावला के बंगले में दाखिल हो गया था।"
"तुम कहां थे?"
"सड़क के पार । एक लैम्पपोस्ट के पीछे ।"
"फिर ?"
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