RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
"अबे छोकरे, किसी का विश्वास करना सीख ।"
"सीखूगा । सीखने के लिए अभी सारी उम्र पड़ी है।"
मैंने नीचे का चक्कर लगाया । नीचे ड्राईवर तक नहीं था। वह अपनी इम्पाला खुद चला कर आया था।
| मैं वापिस लौटा।
,,, "एक बात बताओ ।" - मैं बोला ।
"क्या ?" - एलेग्जेण्डर बेसब्रेपन से बोला ।
"तुम्हारी लेजर चावला के हाथ कैसे पड़ गई ?"
"अपुन का एक बहुत भरोसे का आदमी अपुन को धोखा दियेला था। वह लैजर की बाबत खबर रखेला था। उसने लेजर चोरी करके चावला को बेच दी ।"
"वह आदमी अब कहां है?"
"वहीं जहां ऐसे धोखेबाज आदमी को होना चाहिए।"
"कहां ?"
"जहन्नुम में।"
"चावला के कत्ल की खबर तुम्हें इतनी जल्दी कैसे लग गई कि तुमने आनन-फानन चौधरी को उसकी स्टडी की तलाशी लेने भेज दिया ।"
"वजह वो नहीं जो तू सोचेला है । अपुन का चावला के कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।”
"तो फिर ?"
"पुलिस में अपुन का एक सोर्स है । उसी ने फोन पर बताया था।"
"लेकिन...."
"शर्मा, अपुन इधर तेरी इन्क्वायरी के लिए नहीं आयेला है । लैजर के लिए आयेला है । लैजर निकाल ।”
"पहले माल निकालो।" । । उसने सौ-सौ के नोटों की पांच गड्डी मेरे सामने फेंकी।
मैंने जेब से लैजर बुक निकालकर उसकी तरफ उछाल दी और नोटों की तरफ हाथ बढ़ाया। उसके बाद वही हुआ जिसके होने की मुझे उम्मीद थी । एलैग्जैण्डर के हाथ में एक रिवॉल्वर प्रकट हुई । “खबरदार !" - वह बोला। मैं ठिठक गया।
"छोकरे, तूने वाकई सोच लिया था कि तू एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर सकता था।
" मैं ब्लैकमेल नहीं कर रहा हूं।" - मैं धैर्यपूर्ण स्वर में बोला - "मैं माल की कीमत हासिल कर रहा हूं।"
"जो माल तेरा नहीं तू उसकी कीमत कैसे हासिल करेला है।" उसने नोट उठा लिए ।
"तुम मुझे डबल क्रॉस कर रहे हो?"
"ऐसा समझना चाहता है तो ऐसा समझ ले ।"
"बेकार है फिर भी बच नही पाओगे ।"
"मतलब ?" |
"इस लेजर बुक के हर पेज की फोटोकॉपी सब-इंस्पेक्टर यादव के पास पहुंच चुकी है ।"
उसके नेत्र फैल गये। उसने कहर भरी निगाहों से मेरी तरफ देखा।
"हरामजादे !" - वह दांत पीस।। ।। गो।। - "हरामजादे !"
| गोली चलाने की जगह उसने रिवॉल्वर को मेरी कनपटी पर दे मारने की कोशिश की । मैंने झुकाई देकर वार बचाया
और अपने दायें हाथ का प्रचंड घूँसा उसके पेट पर रसीद किया। मेरे दूसरे हाथ का घूसा उसके पेट में पड़ा । वह पीछे को लड़खड़ाया । उसे संभलने का मौका दिए बिना मैंने उस पर कई वार कर दिये । रिवॉल्वर उसके हाथ से निकल गई और वह मेरे सोफे पर जाकर ऐसा गिरा कि फिर न उठा। मैंने फर्श पर से उसकी रिवॉल्वर उठाई । मैंने उसमें से गोलियां निकाल लीं और रिवॉल्वर उसके सामने मेज पर रख दी।
फिर मैंने उसकी जेब में से लैजर और पचास हजार के नोट निकाले । नोटों में से पहले मेरा इरादा सिर्फ अपने बाईस हजार रुपये वापिस हासिल करने का था लेकिन फिर मैंने वे सभी नोट अपने अधिकार में कर लिए ।
मैं उसके होश में आने की प्रतीक्षा करने लगा।
कोई और दो मिनट बाद वह होश में आया । अपने आपको सोफे पर गिरा पड़ा पाकर वह हड़बड़ाकर सीधा हुआ। | फिर सामने पड़ी रिवॉल्वर पर झपटा।
|