RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
मुझे जवाब देने का अवसर न मिला । तभी एक हवालदार यादव के समीप पहुंचा और उसने झुककर यादव के कान में कुछ कहा। यादव फौरन उठकर खड़ा हो गया। "साहब को बाहर का रास्ता दिखाओ।" - वह हवालदार से बोला ।
"साहब को बाहर का रास्ता मालूम है।" - मैं उठता हुआ बोला।
मैं हैडक्वार्टर की इमारत से बाहर निकला।
पार्किंग की इमारत में मुझे एलैग्जैण्डर की इम्पाला खड़ी दिखाई दी। मैं सोचने लगा । एलैग्जैण्डर वहां क्या करने आया था? मैंने अपने ताबूत की एक कील सुलगाई और खम्बे की ओट लेकर खड़ा हो गया। दस मिनट बाद एलैग्जैण्डर हैडक्वार्टर की ईमारत से बहार निकला। उसके चेहरे पर मुझे बड़े संतोष और इत्मीनान के भाव दिखाई दिये। वह कार में आकर बैठा तो मैं खम्बे की ओट से निकलकर उसके सामने आ खड़ा हुआ ।
"हल्लो !" - मैं बोला। मुझे देखकर उसके माथे पर बल पड़ गए । फिर वह मुस्कुराया। "कहीं जाने का है" - वह बोला - "तो इधर गाड़ी में आ जा । ड्राप कर देगा ।"
"कहां ड्राप कर दोगे ? यमुना में ?"
वह हंसा ।
"सौदा हो गया यादव से ?" - मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा - "लैजर बुक खरीद ली ?"
"हां, खरीद ली ।" - वह बड़े इत्मीनान से बोला - "और उसकी वो जेरोक्स कापियां भी जो तू कल यादव को दियेला
था । देख ।"
उसने जेब से निकाल कर मुझे लाल जिल्द वाली लैजर बुक और जेरोक्स कापियां दिखाई। मेरा खून खौल गया । मेरा जी चाहने लगा कि, मैं अभी भीतर हैडक्वार्टर में वापिस जाऊं और जाकर यादव का गला घोंट दूँ ।
"कितना रोकड़ा दिया ?" - मैंने पूछा।
जितना तेरे को देने का था, उससे पचास हजार रूपया कम ।”
"यानी कि यादव को भी रिवॉल्वर दिखाकर डायरी उससे जबरन झटककर लाये हो?"
"नहीं । अपुन उससे डायरी का जो सौदा कियेला है, वो रोकड़े से ज्यादा कीमती है । अपुन की वजह से यादव स्मगलरों के उस गैंग का पर्दाफाश कियेला है जिसका सरगना चावला था । यादव चार आदमी गिरफ्तार कियेला है। और कई किलो अफीम और चरस बरामद कियेला है । यह उसका ज्यादा बड़ा इनाम है । यह डायरी की ज्यादा बड़ी कीमत है। यह एक इतना बड़ा केस पकड़ने से उसकी परमोशन पक्की हो गई है है । वो इसी महीने इंस्पेक्टर बन जाने का है। क्या ?"
मैं चुप रहा। "और छोकरे" - एकाएक उसका स्वर बेहद हिंसक हो उठा - "खुशकिस्मत समझ अपने-आपको कि एलैग्जैण्डर पर हाथ उठाने के बाद भी, उसका माल पीटने के बाद भी, तू जिन्दा बचेला है।"
"क्यों जिन्दा बचा हूं ?"
"क्योंकि मौजूदा हालात में यादव नहीं चाहता कि तेरे कू कुछ हो जाए । चार दिन में चार कत्ल हो जाने पर केस की तफ्तीश उससे सीनियर किसी अफसर के हाथ जा सकती है। तब अपुन पर तमाम कत्ल का शुबा फिर से हो सकने का है जो कि इस वक्त अपुन को मंजूर नहीं । इसलिए घर जा और सैलीब्रेट कर कि तेरी जान बच गई । न बचने के काबिल तेरी जान बन गई । खामखाह बच गई।" फिर उसने गाडी स्टार्ट की, अविश्वसनीय रफ्तार से उसे बैक किया और फिर वह वहां से यह जा, वह जा ।
मैं वापिस हैडक्वार्टर की इमारत में दाखिल हुआ। यादव अपने कमरे में नहीं था। वह इमारत में भी नहीं था। मैंने उसके मातहतों से और कई अन्य लोगों से भी पूछताछ की लेकिन किसी को मालूम नहीं था कि वह कहां चला गया था।
,,, मैं जनपथ पहुंचा। शैली भटनागर अपने ऑफिस में नहीं था। मालूम हुआ कि वह किसी जरूरी काम से निजामुद्दीन में कहीं गया था और शाम से पहले लौटने वाला नहीं था ।
शाम तक वहां इंतजार करने की मेरी कोई मर्जी नहीं थी। 3 मैं वापिस यादव के द्वार पर लौटा। - वह तब भी वहां नहीं था।
अगर मैंने इंतजार ही करना था तो वहां इंतजार करना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता था। यादव के कमरे के बाहर पड़े एक बैंच पर मैं जमकर बैठ गया । यादव शाम के चार बजे लौटा। "तुम यहां क्या कर रहे हो ?" - मुझे देखते ही वह बोला ।
"तुम्हारा इंतजार ।" - मैं बोला।
"क्यों ? दोबारा यहां आने की क्या जरूरत पड़ गई ?"
"दोबारा क्या मतलब ? मैं सुबह का आया यहां से गया ही कहां हूं !"
"तुम सुबह से ही यहां बैठे हो ?"
"हां । बस सिर्फ थोड़ी देर के लिए नीचे पार्किंग में गया था जहां कि मेरी एलैग्जैण्डर से बात हुई थी और जहां उसने मुझे लैजर बुक दिखाई थी। बड़ी क्विक सर्विस है तुम्हारी । लैजर बुक मेरे हाथ से निकली नहीं कि एलैग्जैण्डर के हाथ पहुंच भी गई।"
"क्या चाहते हो ?"
“यहीं बताऊं?"
"हां ।"
"बेहतर । मैं तुम्हें यह बताना चाहता हूं कि उस लैजर बुक के हर वर्क की एक-एक फोटोकॉपी अभी और है मेरे पास
वह सकपकाया । उसने घूरकर मुझे देखा। मैंने उसके घूरने की परवाह न की। "मैं आगे बढू" - मैं बोला - "या बाकी बात भीतर तुम्हारे कमरे में चलकर करें ?"
"आओ।" - वह कठिन स्वर में बोला।
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