RE: Adult Stories बेगुनाह ( एक थ्रिलर उपन्यास )
चेहरे पर उलझन और सन्देह के भाव लिए वह फिर मुझे घूरने लगा। मैंने उसके घूरने की परवाह नहीं की। अन्त में उसने एक कागज-कलम अपनी तरफ घसीटा और कागज पर तेजी से कुछ लिखा। "वह निजामुद्दीन के थाने में है।" - वह कागज दोहरा करता हुआ बोला ।
"तो ?"
"यह रुक्का" - वह कागज मेरी तरफ उछालता हुआ बोला - "वहां दिखा देना मुलाकात हो जायेगी।"
"शुक्रिया ।" मैं फौरन वहां से विदा हो गया ।। निजामुद्दीन थाने में मेरे यादव की चिट्ठी पेश करते ही मुझे एक हवलदार के हवाले कर दिया गया। एक लम्बे कॉरीडोर में चलाता हुआ वह मुझे एक बन्द दरवाजे के करीब लाया जिसके सामने एक लेडी हवलदार खड़ी थी।
"लो।" - वह लेडी हवलदार से बोला - "एक और आ गया।"
"उसी से मिलने ?" - स्त्री बोली।
"हां । देखना, अभी तो और आयेंगे। तांता लगेगा यहां इसके हिमायतियों का । किसी रईस की बीवी को गिरफ्तार करना क्या कोई हंसी-खेल हैं !" हवलदार मुझे वहां छोड़कर विदा हो गया। स्त्री ने दरवाजा खोला और मुझे भीतर दाखिल होने का इशारा किया । मैंने कमरे में कदम रखा। स्त्री ने मेरे पीछे दरवाजा बंद कर दिया।
मैं दरवाजे पर ही ठिठका खड़ा रहा। भीतर कमला के सामने वकील बलराज सोनी बैठा था।
,,, कमला एक शादी साड़ी पहने थी । उस वक्त उसके जिस्म पर कोई जेवर नहीं था और चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था लेनि । गिर भी खूबसूरत लग रही थी।
"देख लिया ?" - कमला व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली ।
"क्या ?" - में तनिक हड़बड़ाकर बोला ।
"कि में कहां हूं ?"
में खामोश रहा।
"अच्छे मददगार निकले तुम मेरे ! अच्छे डिटेक्टिव हो तुम !"
"डिटेक्टिव तो में अच्छा ही हूं । इसीलिए तो जानता हूं कि तुम बेगुनाह हो ।”
"तुम्हारे जानने से क्या होता है ? साबित करके दिखाते तो मुझे हवालात का मुंह देखना पड़ता ?"
"कमला ।" - बलराज सोनी बोला - "मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी किसी काम का नही ।"
"ओह !" - मैंने बोला - "तो यह बात तुम पहले भी कह चुके हो ?"
उसने एक तिरस्कारपूर्ण निगाह मेरी तरफ डाली और फिर परे देखने लगा।
"आओ, बैठो।" - कमला बोली। मैं उनके करीब पड़े एक स्टूल पर बैठ गया।
"आप तशरीफ ले जा रहे है ?" - मैं बलराज सोनी से सम्बोधित हुआ।
"तुम कौन होते हो मुझे यहां से भेजने वाले ?" - वह भड़ककर बोला ।
"मैं कहां भेज रहा हूं आपको ! मैंने सोचा था कि शायद आपकी कॉन्फ्रेंस खत्म हो गई हो और आप जा रहे हों !"
"सोनी साहब कहीं नहीं जा रहे ।" - जवाब कमला ने दिया - "ये मेरे वकील हैं । अदालत में भी इन्होंने ही मेरी पैरवी करनी है । और कहना न होगा कि तुम्हारे मुकाबले में अब मुझे इनसे कहीं ज्यादा उम्मीदें हैं।"
उस वक्त पता नहीं क्यों मुझे वकील के बच्चे से बहुत झुंझलाहट हो रही थी । साला हर जगह मुझे पहले से ही मौजूद मिलता था।
"कुछ किया है तुमने ?" - कमला ने पूछा।
"किया तो बहुत कुछ है लेकिन हुआ कुछ नहीं है।" - मैं बोला - "और अगर कुछ हुआ है तो तुम्हारे हक में गलत हुआ है।
" "मसलन ?"
"मसलन एलैग्जैण्डर से पुलिस पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी है कि वह बेगुनाह है। मसलन पुलिस को मालूम हुआ है। कि तुम्हारा पति अफीम और चरस का स्मगलर भी था और इस धन्धे में उसके चार जोड़ीदार भी पुलिस ने गिरफ्तार किए हैं । एलैग्जैण्डर की तुम्हारे पति की स्टडी से बरामद हुई लैजर बुक, जो मैंने इस उम्मीद में पुलिस को सौंपी थी। कि अब एलैग्जैण्डर तुरन्त गिरफ्तार हो जायेगा, वापिस एलैग्जैण्डर के पास पहुंच गई है।"
"वो कैसे ?"
"उस पुलिसिये की मेहरबानी से जो इस केस की तफ्तीश कर रहा है।"
"तुम्हे इस बारे में कुछ करना चाहिए। तुम्हें उस रिश्वतखोर पुलिसिये को एक्सपोज करना चाहिए।"
"कैसे ?" अब तो मैं उस लैजर बुक के अस्तित्व को भी साबित नहीं कर सकता।"
"अग व हो तुम !" "क " - बलराज सोनी बोला - "मैंने तो पहले ही कहा था कि..."
"तुम ना थोड़ा बन्द रखो ।" - मैं भड़ककर बोला' - "मुझे मालूम है तुमने पहले क्या कहा था !"
"नी ।" • कमला बोली - "अब तुम्हारे पास काम करने के लिए कोई ऐंगल नहीं ?"
"ए ऐंगल हैं" - मैं बोला - "मुझे मालूम है कि जब तुम्हारा पति बम्बई में रहता था तो वहां शैली भटनागर उसका । मैनेजर ॥ और वो उसके बिजनेस में ऐसा घोटाला हुआ था कि तुम्हारे पति की मेहरबानी से उसे दो साल की सजा काटनी पी थी । हो सकता है उस बात का बदला उसने आज उतारा हो ।”
"चावला साहब का खून करके ?"
"हो ।"
"और बाकी खून ?" ।
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