antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 01:05 PM,
#29
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
वतन मुस्कराया, बोला---"' क्यों अपनी नीद खराब करते हो, चचा ? आराम से सोइये । मुझे पता है कि वहाँ आपकी कोई जरूरत नहीं पडे़गी ।"




"तुम तो इस तरह मुस्कुरा रहे हो वतन, जैसे कुछ हुआ ही न हो । "




" हुआ ही क्या है ?" सन्तुलित लहजे के साथ वतन के होंठों पर पुन: वहीं मुस्कान-----" सिर्फ सर्चलाइटे ही तो तोडी़ हैं उन्होंने ।"




-"क्या मतलब ?”




" मतलब यह चचा, कि वे जितना ज्यादा-से-ज्यादा कर सकते थे, कर चुके हैं ।" वतन ने कहा--" इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर सकेंगे । अाप भी जानते हैं कि वे किस काम के लिये यहां अाये हैं । उन्हें ’वेवज एम' का फार्मूला चाहिये है वह प्रयोगशाला के अन्दर है और अन्दर वे किसी भी तरकीब से पहुंच नहीं सकते । "
सर्च लाईटे फोड़कर वे मुझ पर, मेरे सैनिकों और चमन पर अपना आतंक जमाना चाहतें हैं सो उन्होंने कोशिश की है ।


मझे मालूम है कि इससे आगे वे कुछ नहीं कर सकते, इसलिए मैं र्निश्चित्त हू ।"




"बेवकूर्फ हो तुम । " अंलफांसे ने एकदम कहा---"जो गलती हमेशा तुम्हारा गुरू करता था, वहीं तुम भी कर-रहे हो । जानते हो वह गल्ती क्या है? अपनी फैलाई हुई सुरक्षाअों पर आवश्यकता से अधिक विश्वास । इतना अधिक बिश्वास ही सिंगही को हमेशा नाकाम करता है । तुम अभी इन जासूसो को जानते नहीं हो, ये विना रास्ता बनाए पहाड़ के गर्भ में से निकल सकते हैं ।"




…""कहना क्या चाहते हैं आप ?"




" यही कि यह वक्त बातों में जाया करने का नहीं, कुछ करने का है ।" अलफांसे ने तेजी से कहा ---"वक्त से पहले अगर इन जासूसों पर काबू न पाया गया, तो निश्चित रूप से ये कोई
बड़ा बखेड़ा कर देगें !"




"क्या आपके ख्याल से कोई मेरी प्रयोगशाला के अन्दर जा सकता है ?"



" ये ठीक है वतन, के 'तुम्हारी रक्षा बेहद कड़ी है ।" अलफांसे ने कहा्----"ऐसा प्रतीत होता है बाहर कोई चाहे जो करता रहे मगर प्रयोगशाला के अदर नहीं पहुंच सकेगा, परन्तु यादे रखो, आवश्यकता से अधिक विश्वास भ्रम पैदा करता है । उन जासूसों के लिए अन्दर पहुंचना कठीन अवश्य है, लेकिन असम्भव नहीं । चलो जल्दी ।" कहता हुआ अलफांसे दरवाजे की तरफ लपका ।



"चाहता तो मैं यही था चचा, कि अाप आराम करते ।" उसके-पीछे लपकता वतन बोला-किन्तु जब आपकी इच्छा है तो आपको रोक नहीं सकता मैं, चलकर देखना ही चाहते हो तो चलो ।"



इस तरह-सबसे आगे अपोलो । उसके पीछे अलफांसे और वतन, वतन के कधों पर बैठा था…थनुषटंकार ।




न सिर्फ राष्ट्रपति भवन में बल्कि सारे चमन में जाग हो गई थी । रात के सन्नाटे में गूंजने वाले किसी गन के उन चार फायरों ने चमन के ज्यादातर नागरिकों को जगा दिया था । जो उन फायरों से नहीं जगे थे, उन्हे उन फायरों की आवाज से जागने बालों ने जगा दिया था ।।।।
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RE: antervasna चीख उठा हिमालय - by sexstories - 03-25-2020, 01:05 PM

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