antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 01:08 PM,
#36
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
स्क्रीन की मशीनरी पर प्रकाश डाल रहा था----अलफांसे । वतन ने मशीनरी के अन्दर लगा एक विशेष स्विच दबा दिया ।


परिणामस्वरुप उन छहों स्क्रीनों के बीच रखी घुमने बाली वह कुर्सी एकदम उल्ट हो गई ।



वतन तेजी से उसी तरफ़ बढा ।



"रोशरी इधर दो चचा !" वतन ने कहा ।



टॉर्च की रोशनी में वतन कुर्सी के निचले भाग को गौर से देखने लगा । फिर उसका नन्हा सा बटन, जो काफी बारीकी से देखने पर चमकता था,वतन ने दबा दिया 'घुर्र....घुर्र करती ऐसी हल्की आवाज होने लगी मानों कुर्सी के अम्दरूनी भाग में कोई छोटी-सी मशीन चल रही हो ।


कुर्सी के अन्दर फसा घास-फूस बाहर अाने लगा।



उसके साथ ही बाहर आया---एक डिब्बा । झट से वतन ने वह डिब्बा उठाकर देखा । खोला, अन्दर दो छोटी-सी फिल्में मौजूद थी ।


उन्हें देखकर वतन ने कहा…द्रेखो चचा, मैं कहता था न कि कोई भी आदमी इस फार्मूले तक नहीं पहुंच सकता । यह सुरक्षित है ।"



"'क्या इन्हीं फिल्मों में 'वेवज एम' का फार्मूला है !"



“एक फिल्म में 'वेवज एम' का, दूसरी में 'अणुनाशक' किरणों का ।" वतन ने कहा…"इसे नहीं ले जा सका वह ।" '



"ले तो तभी जाता जब पता होता कि फार्मूला यहां है ।" अलफांसे ने कहा…" उसेे पता ही नहीं था ।"




--""मैं कहता था न, किसी को पता नही लगेगा ।"



"मगर अब लग गया है ।" अलफपृसे का लहजा एकदम बदल गया----"अब तो ले ही जाऊगा ।"’



"क्या मतलब है" वतन अभी बूरी तरह चौंका ही था कि---


"ये धमाके टाइमबमों के हो रहे थे वतन बेटे ।" कहते हुए अलफासे ने उस पर जम्प लगा मैं ।


वतन अभी कुछ समझ भी ना पाया था कि डिब्बा उसके हाथ से निकल गया ।
धनुषटंकार और अपोलो मोखले से बाहर निकले तो विभिन्न दिशाओं में में दौड़ लिए ।


कक्ष का यह रास्ता एक हॉल में खुला था और हॉल से बाहर निकलने के लिए अनेक रास्ते खुले पड़े थे ।


अपनी-अपनी दिशा में उन्होंने किसी ऐसे संदिग्ध आदमी को तलाश किया जो वह मोखला बनाकर कक्ष के-बाहर निकला हो जिसके रास्ते से वे बाहर अाए थे ।



इसे संयोग ही कहा जाएगा कि अपनी-अपनी दिशाओं से निराश होकर वे आधे घण्टे बाद एक साथ हाँल में अाए ।



दोनों की नजरें मिली ।



आंखों ही आखों में वे समझ गए कि दोनों ही नाकाम लोटे हैं ।


एक साथ उस मोखले द्वारा कक्ष में प्रविष्ट हुए । वहां पहुंचते ही बुरी तरह चौक पड़े वे ।।

दृश्य ही सा था । चौंकने की बात ही थी ।




टार्च रोशन एक प्रयोग डेस्क पर रखी थी और उसकी रोशनी में अभी-अभी उन्होंने अलफांसे को गिरते देखा था । वह स्वय नहीं गिरा था बल्कि वतन ने उसकी कनपटी पर घुसा मारा था ।



उनकी आखों के सामने एक चीख के साथ अलफासे फर्श पर गिरा था ।



वे दोनों झटपट वतन और अलफांसे के करीब पहुंचे । देखा…अलफांसे फर्श पर गिरा तो फिर उठा नहीं । वह वेहोश गया था ।



उसके बेहोश जिस्म पर पैर रखे वतन बुरी तरह हांफ रहा था ।


दोनों के ही जिस्मों पर जगह-जगह घाव थे ।



दोनों के ही कपड़ों पर खून क दाग ।।



" देखने से ही पता लगता था कि दोनों में तुफानी जंग हुई है ।



इस जंग का नतीजा उनके समाने था । बेहोश अलफांसे और हांफता हुआ वतन । कई स्क्रीनें टूट गई थी । कई डैस्कों का सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था ।
अपोलो और धनुषटंकार अ्वाक देखते रहे ।।।



-जो कुछ वे देख रहे थे, उस पर उन्हें यकीन नहीं हो रहा था ।



वे चमत्कृत से देर तक उन दोनों को देखते रहे । जब धनुषटकार से नहीं रहा गया तो वतन के सामने अा गया ।।



"'तुम कहां चेले गए थे मोण्टो ?" अपनी सांस पर काबू करने की चेष्टा करते हुए वतन ने पुछा ।।।
मगर…धनुषटंकार का दिमाग इतने नियन्त्रण में कहां था कि वह वतन द्वारा पूछे गए प्रशन पर गौर करके उसका उत्तर देता ।।। … वतन के प्रश्न का जवाब दिए बिना में धनुषटंकार ने किसी गूंगे की तरह सांकेतिक क्षाषा में प्रश्न क्रिया--" ये सब क्या चक्कर है ?"



उसका आशय समझकर वतन ने जवाब दिया----"फार्मूला अन्य कोई नहीं, चचा ही यहाँ से निकालकर ले जाना चाहते थे ।" धनुषटंकार तो चौंका ही, साथ ही बुरी तरह चौंके विना अपोलो भी न रह सका ।



चौंके हुए धनुषटंकार ने इस बार पूछा…क्या मतलब ?"'



"मतलब यह कि चचा चमन में इसलिए नहीं अाए थे कि जब मैंने 'वेवज एम' के बारे में घोषणा कर दी है तो महाशक्तियों के जासूस मुझसे मेरे यंत्र और फार्मुले को छीनना चाहेंगे अोर उन्हें परास्त करने में ये मेरी मदद करेंगे वल्कि ये यहाँ इसलिए अाये थे कि ये मेरे फार्मुले और यंत्र को चुरा सके और मुंहमांगे दामों में किसी भी देश बेच दें ।"

" ओह !” इस बार धनुषटंकार ने डायरी पर लिखा----" ये तो डबल गुरू की पुरानी आदत है और अपने इस बिजनेस में ये इस बात की परवाह नहीं करते कि इन्हें दोस्तों से टकराना पड़ा है या दुश्मनों से । कई वार ये ऐसी हरकत बिकास और स्वामी विजय केसाथ भी करचुकै हैं ।। कहते हैं की वे किसी भी सम्बन्थ से बढकर अपने सिद्धान्त और बिजनेस को मानते हैं ।"



पढ़ने के बाद वतन ने कहा…"यही हरकत इन्होंने मेरे साथ भी की । "



"’लेकिन यह सव कुछ हुआ कैसे ?" धनुषटंकार ने पुन: लिखकर पुछा -"ये तो हमारे साथ थे;-- फिर सर्चलाइटों का टूटना, चार आदमियों का खाई में कूदना, प्रयोगशाला के अन्दर धमाके, इस कक्ष में धमाका...यह सब क्या था ? किसने किया ?"
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