antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 01:22 PM,
#49
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
" थक गये यार ये साला चमन अभी कितनी दूर और है ?"


बस सुबह होते होते हम चमन के ही किसी बाग में एक दूसरे की बेगमों की कमी को पूरी कर रहे होंगे ।


" यार तुझे चमन में इस तरह जंगल के रास्ते से पैदल जाने की क्या सूझी ?"


अचानक दोनों रूक गये । दोनों के कान कुछ सुनने की चेष्टा कर रहे थे ।


आकाश की ओर देखता हुआ तुगलक बोला ---" लगता है आसमान से साला कोई हबाई जहाज गुजर रहा है ।"


" हबाई जहाज नही मूर्ख आबाज हेलीकॉप्टर की है ।" नुसरत ने कहा ।


अड़ा नहीं तुगलक , बोला---" तू ठीक कहता है । लेकिन यार साला कहीं नजर नहीं आ रहा है ।"



अचानक ..............



हबा में लहराकर आकाश से नीचे गिरती हुई कोई चीज फटाक से नुसरत के चेहरे पर आ पड़ी।


" अबे तेरी की......!"

" क्या हुआ ---- क्या था ?" तुगलक ने पुछा ।


" मुझे लगता है कि हेलीकॉप्टर का पुर्जा टूटकर मेरे चेहरे पर गिरा है , उसे ढूंढों --- हो सकता है कि उसे देखकर हम यह जान सकें कि वह हैलीकॉप्टर कौन से सन् में बना था ?"


दोनों ही उस चीज को तलाश करने लगे , जो ऊपर से गिरी थी ।


" अबे !" तुगलक के मुंह से निकला--------" ये साला पर्स किसका पड़ा है ?"



तुगलक ने झुककर पर्स उठा लिया ।।


" इसमें माल होगा ।" कहते हुए तुगलक ने पर्स की चेन खोल दी ।


" अबे इस में तो फिल्में हैं --- दो रील ।"


तुगलक ने आईडिया फिट किया ---" लगता है को प्रोडयूसर इस जंगल में अपनी किसी जासूसी फिल्म की शूटिंग करने आया होगा । उस बेचारे ने फिल्में अपने पर्स में रखी होंगी और पर्स यहां गिर गया ।।


" मुझे तो कुछ और ही लगता है । "


" क्या ?"


" किसी जेबकतरे ने किसी बहुत ही अमीर आदमी की जेब काट ली होगी ।" नुसरत खान ने राय प्रकट की ---" पर्स से पैसे निकाल कर उसने पर्स यहां फैंक दिया होगा ।"

तुगलक ने राय प्रकट की ----" अबे कहीं ये पर्स ही तो वह चीज नहीं जो मेरे चेहरे पर आकर लगी थी ?"




" हां ।" खिल्ली उड़ाने वाले भाव से तुगलक ने कहा , " कोई चील ईसे अपनी चोंच में दबाकर उड़ी चली जा रही होगी , अन्धेरें में तेरी शक्ल देखी तो फिदा हो गई । अपनी मोहब्बत के इकरानामे पर दसतख्त कराने के उसने चोंच खोली होगी और ये पर्स ......"






" तुझे कभी अक्ल नहीं आयेगी साले जामुन की औलाद ।" नुसरत ने कहा ---" अबे क्या ये नहीं हो सकता कि यह पर्स उस हैलीकॉप्टर में बैठे किसी आदमी की जेब से गिरा हो ? इत्तफाक से हमें मिल गया ।"


" तो फिर तेरे विचार से इस फिल्म में क्या होगा ?"



" यह तो इन्हें देखने से ही पता लगेगा!" कहकर तुगलक फिल्मों को टार्च की रोशनी में देखने का प्रयास करने लगा ।।।।।
अभी फिल्में निकालकर टार्च की रोशनी से चेक कर ही रहे थे कि ----

--- उसी समय --- वातावरण किसी गन के गर्जने से कांप उठा ।।

वे दोंनो ही सहमकर एक दूसरे से लिपट गये । बस गन की इस गर्जना के बाद वे किसी प्रकार की कोई आवाज न सुन सके ।

पहले वे एक दूसरे से चिपके थर थर कांपते रहे , फिर नुसरत बोला ---" तुगलक ।"

" हां नुसरत ।"

" साले , लगता है कोई पागल जासूस इस जंगल में आ गया है ---" भागो ।"

" सचमुच --- जासूस अगर अक्लमंद होता तो , इस तरह संगीत बजा कर हमें सतर्क न करता बल्कि चुपचाप हमें इस तरह दबोच लेता जैसे बिल्ली चूहे को दबोच लेती है ।" तुगलक कहे चला जा रहा था ----" महान जासूस तो बिना मारधाड़ के काम करते हैं ।"

" बिल्कुल ।" नुसरत ने कहा ----" हमें बेवकूफ जासूसों की जासूसी से फायदा उठाना चाहिए ।"

" भागो ।" तुगलक ने नारा लगाया और आपस में हाथ पकड़ कर दोनों ही भाग लिये ।

पर्स सहित दोंनों फिल्में तुगलक के हाथों में सही सलामत थी ।

वे अंधेरे जंगल में वेतहाशा भागे चले जा रहे थे । इस प्रकार मानों भूतों कोइ टोली उनका पीछा कर रही हो ।

अन्धेरें में कई स्थान पर ठोकर खाकर गिरे भी , किन्तु उठ कर फिर दौड़ने लगते ।

अन्त में जंगल के बीच वनी एक इमारत को देखकर वे रूक गये ।।।।



बुरी तरह फूली हुई सांसें लेकर उन्होंने एक-दूसरे को देखा, फिर इमारत को और फिर एक-दूसरे को ।।

दोनों डी आखें एक--दूसरे से पूछ रही थीं कि जंगल के बीच यह इमारत कैसी है ? अपनी फूली हुई सांस पर पहले संयम पाया । नुसरत ने बेला कौन बेवकूफ है, जो इस जंगम में रहता है ।।

" बेवकूफ तुम हो जो तुमने यह सवाल किया ।"

खा जाने वाली नजरों से नुसरत ने तुगलक को घूरा बेले---" क्या मतलब।"

" अबे यही सवाल तो मैं तुमसे करने बाला था ।"

" जरा सोचने दे ।" कहने के उपरान्त तुगलक ने ऐसा पोज बना लिया मानो वह दुनिया का सवोंत्तम विचारक हो । कोई प्रेमी बात सोचने में तल्लीन हो होगया हो जो मानव जाति को नया मार्ग दिया सके । फिर उसने अपनी समाधि तोड़ी बोला ---" सोच लिया ।"

" क्या सोचा ?" नुसरत ने पुछा ।

" निश्चित रूप किसी लकड़वग्घे ने यह इमारत अपनी लकड़वग्घी केलिये बनाई है ।" अपने दीम्ग का मलीदा निकालते हुए तुगलक ने बतीया-"उसे अपनी लकड़वग्घी से उतनी ही मोहब्बत होगी जितनी मेरे अब्बा को अम्मी से ...."

"अबे चुप देगची के ।"

"गाली देता है ।"
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