RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
सुनहरी सोनू के बगल में लेट जाती है, और रज़ाइ ओढ़ लेती है,
सुनहरी-- सो गया क्या सोनू बेटा?
सोनू सुनहरी को अपनी बाहों में भरता हुआ-- नही बड़ी मां बस ठंड लग रही है,
सुनहरी भी सोनू के कमर पर हाथ रखकर सोनू को अपने से चिपका लेती है,
सुनहरी-- अरे मेरे बेटे को ठंड लग रही है, अब नही लगेगी,
सुनहरी सोनू को ऐसे चिपकाइ थी अपने से जैसे चंदन के पेड़ पर सांप चिपका हो,
सोनु और सुनहरी के होठो के बिच कुछ इंचो का फर्क था, सुनहरी की बड़ी बड़ी चुचींया सोनू के छाती से दबी हुइ थी,
जिसके वज़ह से, उसमें जोश भरने लगा था, और उसका सोया हुआ लंड खड़ा होने लगता है,
सोनू का लंड खड़ा होकर सुनहरी के बुर पर दस्तक देने लगता है, अगर सुनहरी ने कपड़े नहि पहने होती तो सोनु का लंड सुनहरी के बुर में होता,
सुनहरी को तब अहसास होता है जब सोनू का लंड इकदम टाइट होकर उसके बुर पर गड़ने लगता है,
सुनहरी(मन में)-- हे भगवान जो मैं सोच रही हूं क्या ये सोनू का वही हैं, सुनहरी के सोचने मात्र से ही उसकी सांसे तेच होने लगती है, और उसकी गरम सांसे सोनू को महसुस होता है,
सोनू अपनी बड़ी मां से और चिपक जाता है, जिससे उसका लंड सुनहरी के बुर पर सीधा महसुस होने लगता है, सुनहरी की हालत खराब होने लगती है, वो चाह कर भी सोनू से अलग नही हो पा रही थी,
सोनू (मन में)-- आह, बड़ी मां तेरी बुर की गर्मी से मेरे लंड की हालत खराब हो रही है, और सोचते सोचते अपना इक हाथ सुनहरी के बड़ी चुचीं पर रख देता है,
सुनहरी को जैसे ही सोनू का हाथ अपनी चुचींयो पर महसुस होता है, उसका शरीर और गरम होने लगता है, इतनी ठंडी में भी रज़ाइ के अंदर जुन और जुलाई की गरमी पड़ रही थी,
सुनहरी को लगा शायद सोनू अभी जवान हो रहा है, तो इस उमर में लंड का खड़ा होना लाज़मी है, ये तो अभी इस मामले में बच्चा है , और गलती से इसका हाथ मेरी चुचींयो पर आ गया होगा, लेकीन सुनहरी को झटका तब लगता है, जब सोनू के हाथेली उसकी चुचीयों को कसती जाती है,
सुनहरी के तो मानो होश उड़ जाते है, और मन में हे भगवान ये सोनू क्या कर रहा है, मेरे साथ, और वो सबसे ज्यादा हैरान तो वो अब हो रही थी, क्यूकीं सोनू की हथेली उसकी चुचीयों को लगातार कसती चली जा रही थी,
सोनू अपने होश में नही था, उसके उपर हवस सवार था, उसने अपनी बड़ी मां की चुची को अपने अंदाज में दबा रहा था, उसकी हथेली मे एक चुचीं का जितना हिस्सा आ सकता था वो पकड़ कर दबाता चला जा रहा था,
सोनू अब अपनी बड़ी मां की चुची को इकदम जोर से अपने हथेली में पकड़ लिया था, जिसकी वजह से सुनहरी को दर्द होने लगा था, और वो धिरे धिरे सिसक रही थी,
सुनहरी-- आइ...अम्मा...रे और सोनू के कान में कहती है, सो....नू बेटा दर्द हो रहा है,
सोनू-- होने दे,
सुनहरी-- आइ....सोनू इतनी बेरहमी से क्यू दबा रहा है... मेरी चुचीं..आ....आ मैं तेरी बड़ी मां हूं,
सोनू-- अपनी बड़ी अम्मा की चुचीयों को अब और जोर जोर से मसलते हुए-- तू बड़ी अम्मा हो चाहे छोटी अम्मा मुझे तो तेरी चुचीं मसलने में मज़ा आ रहा है,
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