RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
बाहर गांव वालो की भीड़ लगी थी, सब गांव वाले पारुल को नमस्ते करते है,
पारुल-- जी नमस्ते मेरा नाम पारुल है, और मै इस गांव की नयी डाक्टर हूं॥
पारुल-- अच्छा तो , आपका नाम
झुमरी का पती-- जी मेरा नाम बेचन है,
पारुल-- अच्छा तो बेचन जी मै चलती हू,
बेचन-- जी डाक्टर साहीबा कीतना पैसा हुआ॥
पारुल-- अरे बेचन जी मै सरकारी डाक्टर हूं, और ये दवाइया ,इलाज ये सब मुफ्त है, हमे सरकार से तनख्वाह मिलती है,
बेचन--लेकीन डाक्टर साहिबा इससे पहले जो डाक्टर था वो तो बिना पैसे का इलाज ही नही करता था॥
पारुल-- तो आप लोगो ने कंम्पलेन नही की॥
बेचन-- अब ये झंझट मे कौन पड़े, लेकीन अच्छा हुआ भगवान ने आपको हमारे गांव
मे भेजा, नही तो हम गरीब उसे पैसे देते देते बरबाद हो जाते,
पारुल-- अच्छा ठीक है, बेचन जी मैं चलती हू और हा कल झुमरी को अस्पताल लाना मत भुलना,
बेचन -- ठीक है डाक्टर साहीबा,
पारुल जाने लगती है तो उसकी कमर कभी इधर कभी उधर डोलती, गांव के पुरे जवान मर्द उसकी कमर ही देख रहे थे,
पारूल कार मैं बैठती है और कार चल देती है....
सोनू घर पहुचं जाता है, और सिधा खाट पर लेट जाता है...
सुनीता-- आ गया बेटा, रुक मैं खाना लाती हू,
सोनू-- अभी नही मां मै नहाने जा रहा हूं,
सुनीता-- ठीक है बेटा,
सोनू नहाने चला जाता है, नहाने के बाद सीधा खाना खाता है और सो जाता है....
सुनीता-- अरे मालती कहां है आज कल तू दिखाइ नही दे रही है,
मालती गांव की धोबन थी,
मालती-- अरे दिदी कपड़े धोने और सुखाने में पुरा वक्त निकल जाता है, कुछ कपड़े है धोने के लिये क्या?
सुनीता-- हा ठहर मैं देखती हू, और सुनीता अंदर से कुछ कपड़े ला कर मालती को देती है,
मालती-- अच्छा दिदी मैं चलती हू...और मालती अपने घर की तरफ़ निकल देती है,
सोनू उठ बेटा शाम हो गयी, सुनीता उसे जगाती है, सोनू सो कर उठता है और हैडंपम्प पर जा कर मुह हाथ धोने लगता है,
तभी सुनहरी वहां आ जाती है...
सुनहरी-- आ गया बेटा,
सुनीता-- हां दिदी वो तो कब का आया है,
सोनू सुनहरी को उसके पिछे आने का इशारा करता है, और वो घर की छत पर चला जाता है,
कुछ देर बाद सुनहरी भी छत पर आ जाती है,
सुनहरी के छत पे आते ही, सोनू उसे छत के कमरे ले के जाता है,
सुनहरी--तू मुझे छत पे क्यूं बुलाय ?
सोनू अपनी बड़ी अम्मा को अपनी बाहों मे भर लेता है,
सोनू-- तेरी लेने बड़ी अम्मा,
सुनहरी--क्या लेने बुलाया है,
सोनू-- तेरी बुर,
सुनहरी-- हे भगवान , तुझे शरम नही आती, अपनी बड़ी मां से ऐसे बात करते हुए,
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