RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी मां को घर में चारों तरफ ढुंढ़ चुका था लेकिन उसकी मां का कहीं अता-पता नहीं था। तभी उसे ख्याल आया कि वह घर के पीछे वाले भाग में अभी तक नहीं ढूंढा था,,,, जहां पर निर्मला कभी-कभी कपड़े धोने जाया करती थी। उस जगह का ख्याल आते ही शुभम बिना कुछ सोचे समझे घर के पीछे की तरफ जाने लगा,,,,, जैसे ही वह घर के पीछे पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर वह एक दम से दंग रह गया,,,,, वह तुरंत दीवार की ओट में छुपकर देखने लगा,,,,,
घर के पीछे थोड़ा खुला मैदान था जिसकी चारों ओर दीवार घिरी हुई थी,,,,, जिसकी वजह से बाहरी लोगो की नजर अंदर तक नहीं पहुंच पाती थी । जहां पर पानी की अच्छी खासी व्यवस्था थी इसलिए जब भी कभी पानी की समस्या होती थी तो निर्मला यहीं पर आकर सारे काम किया करतीे थी।
शुभम दीवार की ओट में छिपकर सब कुछ देख रहा था,,,,, क्या करें नजारा ही कुछ ऐसा था कि सामने खड़ा होकर के देख नहीं सकता था क्योंकि अगर ऐसा होता तो शायद नजारे पर पर्दा पड़ जाता,,,,, घर के पीछे का नजारा देख कर शुभम की आंखों में एक कामुकता भरी चमक नजर आने लगी थी।
वह छीप कर सब कुछ देख रहा था उसके मन में एक अजीब सी उमंग जगने लगी थी,,,, यहां का नजारा देख कर उसे तुरंत अपने दोस्तों की कही गई बातें याद आने लगी,,,,, और दोस्तों की बातें सुनकर जो उसके मन में एक आंख भरी हुई थी उसे ऐसा लगने लगा कि आज उसके भी अरमान पूरे हो जाएंगे क्योंकि वह भी अपनी मां को पूरी तरह से संपूर्ण नंगी देखना चाहता था। और इधर पर उसे वैसा होता नजर भी आ रहा था। निर्मला की पीठ शुभम के तरफ थी,, और उसके बदन पर मात्र पेटीकोट ही थी जिसे उसने कमर से खोल कर अपनी बड़ी बड़ी चूचीयो के उपर टिकाकर बांध रखी थी,,, जिसकी वजह से उसकी लंबी गोरी चिकनी टांगे जांगो से नीचे नजर आ रही थी । मोटी मोटी और चिकनी जांघों को देखते ही शुभम के लंड में सुरसुराहट होने लगी,,, ध्यान से देखने पर शुभम को इस बात का अंदाजा लग गया कि उसकी मां भी पूरी तरह से पानी में भीगी हुई थी और साथ ही उसकी पेटीकोट भी,,,, जिसकी वजह से पेटीकोट पानी में भीगने की वजह से उसके बदन से चिपक गई थी,,, और तो और पेटीकोट के भीगने की वजह से उसके बदन का हर एक अंग साफ-साफ उभरा हुआ नजर आ रहा था । यह सब देख कर तो शुभम की सांसे एकाएक तेज चलने लगी,,, वह अपने आप को दीवार की ओट में छिपाकर अपनी मां की गीले बदन का रसपान अपनी नजरों से कर रहा था । शुभम इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उसकी मां उसे देख ना ले उसकी मां कपड़ों को बाल्टी में डाल डाल कर भीगो रही थी। जिसकी वजह से वो बार-बार बाल्टी में कपड़े भिगोने के लिए झुकती थी और जब वह झुकती थी तो उसकी बड़ी-बड़ी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़े ही कामुक तरीके का मोड़ ले लेता था जिसे देखकर शुभम के पूरे बदन में हलचल सी मच जा रहे थे। पेटीकोट के गीले होने की वजह से निर्मला के कमर के नीचे का भाग का कटाव और उभार इतना साफ साफ नजर आ रहा था कि देखने वाले को यह अंदाजा लगाना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं होता कि उसकी गांड का साइज कितना है। निर्मला यहां आकर अपने सारे कपड़े उतार दी थी यहां तक कि ब्रा और अपनी पैंटी तक को निकाल कर ऊसे धो रही थी,,,, लेकिन शुभम की बिन अनुभवी नजरें अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की चिकनाई को पेटिकोट की सतह पर उभरते हुए देख कर भी यह अंदाजा नहीं लगा पा रही थी कि उसकी मां ने पेटीकोट के अंदर पेंटी नहीं पहनी हुई है वह पेटीकोट के अंदर बिल्कुल नंगी है उसे तो यही लग रहा था कि उसकी मां ने पेंटी पहन रखी है। लेकिन भीगे बदन में भले ही वह संपूर्ण रुप से निर्वस्त्र ना हो लेकिन फिर भी अर्धनग्न अवस्था में भी वह एकदम कयामत लग रही थी जो कि जवान हो रही शुभम के लिए यह मादक दृश्य भी कामोत्तेजना का भंडार ही साबित हो रहा था।
शुभम अपने तन-बदन में प्रचंड उत्तेजना का अनुभव कर रहा था जिसका सीधा असर उसकी जांघों के बीच लटक रहे उसके हथियार पर हो रहा था। शुभम ने कभी सोचा भी नहीं था कि अपनी मां को इस हालत में कभी देख पाएगा वह तो बस यह सब कल्पना में ही देख रहा था और अपने आप को शांत करने की कोशिश कर ले रहा था। शुभम के दोस्तों की बातों ने शुभम के अंदर भी अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखने का लालच बढ़ा दिया था वरना इस बात की लालच उसके अंदर अभी तक नहीं पनप पाई थी। शुभम एक टक अपनी नजरों को अपनी मां के बदन पर गड़ाए हुए था,,,, वह एक पल का भी दृश्य अपनी नजरों से ओझल नहीं होने देना चाहता था। उसकी मां भी इन सब बातों से बेखबर अपने ही धुन में कपड़ों को धो रही थी,,,,, हालांकि इस समय उसके मन में भी चुदासपन भरा हुआ था। तभी तो वह यहां आते ही अपने सारे कपड़े उतार फेंकी थी और बस अपनी पेटीकोट को ही अपने बदन पर लपेट रखी थी। निर्मला बार-बार कपड़े धोने के लिए नीचे झुक रही थी और जब भी झुकती थी तो एक बहुत ही गजब प्रचंड मादकता से भरा हुआ नजारा शुभम को देखने को मिल जा रहा था। पेटीकोट और बदन गीला होने की वजह से बार-बार पेटीकोट नीचे की तरफ तरफ जा रहा था जिसे निर्मला अपने हाथों से एडजस्ट कर ले रही थी,,, ऐसे ही पेटीकोट के नीचे वाला भाग जो कि उसके नितंबों को ढका हुआ था उसे एडजस्ट करने में भूल से पेटीकोट थोड़ा सा कमर के ऊपर चढ़ गई जिसकी वजह से उसकी मदमस्त मादक और भरी हुई गांड की उत्तेजित कर देने वाली गहरी लकीर नजर आने लगी और साथ ही भरपूर नितंब का अच्छा खासा भाग भी शुभम को नजर आने लगा,,
यह नजारा देखते ही शुभम का लंड पैंट के अंदर ठुनकीे लेने लगा,,,, शुभम की सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,,, अपनी मां की मदमस्त बड़ी-बड़ी और गोरी गांड को देखकर उसका मुंह आश्चर्य और उत्तेजना के कारण खुला का खुला रह गया। नंगी गांड को देखते ही उसे इस बात का पता चला कि उसकी मां ने पेंटी नहीं पहन रखी है। आज जिंदगी में पहली बार उसने अपनी मां की नंगी गांड को देखा था जोकी बिल्कुल चांद के टुकडे की तरह चमक रही थी और जिसे देखते ही उत्तेजना के परम शिखर पर वह विराजमान हो चुका था। उसे अपनी आंखों पर और इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि औरत की गांड इतनी ज्यादा खूबसूरत होती है। वैसे भी आज वह पहली बार नंगी गांड को देख रहा था। पर जिस तरह से उसके दोस्त मजे ले लेकर अपनी मां को नंगी देखने की बात कर रहे थे उसी तरह से शुभम को भी अपनी मां को नंगी देखने में मजा आ रहा था।
निर्मला इस बात से बेखबर कि उसका बेटा उसके नंगे बदन का रसपान कर रहा है अपने काम में मशगूल थी। वह कपड़े धो चुकी थी उसकी भी हालत कुछ कम ठीक नहीं थी मोटे लंड की प्यास उसके बदन को तड़पा रही थी। वह बार-बार अपनी हथेली को अपने पूरे बदन पर फिरा रही थी। धीरे-धीरे वह भी उत्तेजित हो चुकी थी। उसे तो पहले से ही एक जबरदस्त चुदाई की आवश्यकता हो रही थी लेकिन वह अपनी प्यास ना तो लंड से बुझा पा रही थी और ना ही बैगन से क्योंकि खरीद के लाए हुए बैगन भी खराब हो गए थे जिसे उसने कूड़ेदान में फेंक चुकी थी। निर्मला पूरी तरह से चुदास के रंग में रंग गई थी। इसलिए तो वहां उत्तेजित हो करके अपने बदन पर चारों तरफ अपनी हथेली फिराकर अपनी आग को और ज्यादा भड़का रही थी। जैसे ही उसने अपनी हथेलियों को अपनी कमर से नीचे की तरफ ले गई तो नितंबों पर हथेली पड़ते ही उसे इस बात का अंदाजा लग गया कि उसकी गांड भी पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी है। लेकिन इस बात का अंदाजा लगने के बावजूद भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की घर के पीछे वाला भाग चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ था जिससे किसी के देखे जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था।
लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसका ही बेटा उसे छिप कर देख रहा था। शुभम कीे तो दिल की धड़कन बहुत ही तीव्र गति से चल रही थी। उसकी हालत पल पल खराब होते जा रही थी ।उसकी पेंट में पूरी तरह से तंबू तन चुका था। अपने दोस्तों की बात सुनकर उसके मन में भी अपनी मां को नंगी देखने का अरमान बन चुका था जिसकी ताक में वह हर पल लगा रहता था लेकिन फिर भी उसे सफलता प्राप्त नहीं हुई थी,,, उसे ऐसा लगने लगा था कि शायद अब वह अपनी मां को कभी भी नग्नावस्था में नहीं देख पाएगा,,,, और अपनी मां को नग्नावस्था में देखकर बदन में कैसी मस्ती चढ़ती है शायद वह उस मस्ती के एहसास को कभी भी महसूस नहीं कर पाएगा उसने तो शायद आस ही छोड़ दिया था,,, लेकिन आज अनजाने में ही उसे अपने अरमान पूरे होते नजर आ रहे थे।
शुभम बार-बार अपनी मां की नंगी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था और उसे ऐसा करने में बहुत ही आनंद मिल रहा था। उसकी मां भी मस्ती में जहां तहां अपने बदन को अपनी हथेली में भर कर दबा दे रही थी।
निर्मला के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना का सुरूर चढ़ चुका था इसलिए वह बार-बार अपनी चुचियों को भी अपनी हथेली में भरकर पेटीकोट के ऊपर से ही दबा दे रही थी,,,, लेकिन जहां शुभम खड़ा था उसे इस अतुल्य दृश्य का रसपान करने को नहीं मिल पा रहा था क्योंकि निर्मला की पीठ शुभम की तरफ थी वहां से बस उसे उसके हाथों की हरकत ही नजर आ रही थी और दिन अनुभवी शुभम को इस बात का अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था कि उसकी मां अपने हाथों से अपनी चुचियों का मर्दन कर रही है।
निर्मला मस्ती से सराबोर हो चुकी थी और वह जोर-जोर से अपनी चूचियों को दबाकर सिसकारी ले रही थी। हालांकि उसकी सिसकारी अभी बहुत ही मंद थी जिसकी वजह से गर्म सिसकारियों की आवाज शुभम के कानों तक नहीं पहुंच पा रहीे थी। लेकिन शुभम को इसमें इतना ज्यादा आनंद और मस्ती की अनुभूति हो रही थी कि शायद ही उसे इस तरह की अनुभूति हुई हो। पेंट में उसका लंड तनकर एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था। जिसे वह पेंट के ऊपर से ही मसल रहा था।
निर्मला धीरे-धीरे मस्ती के सागर में डूबती चली जा रही थी।
निर्मला धीरे-धीरे मस्ती के सागर में डूबती चली जा रही थी वह एकदम बेफिक्र और बिंदास होकर के अपने बदन से आनंद ले रही थी। वह पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को मसलते चली जा रही थी। थोड़ी ही देर बाद उसका एक हाथ चूची पर और दूसरा हाथ धीरे धीरे नीचे की तरफ फीसलता हुआ आगे बढ़ रहा था। और शायद हथेली को उसकी मंजिल मिल गई थी और हथेली जांघो के बीच की पतल़ी दरार पर हरकत करना शुरु कर दी। निर्मला बड़े ही मादक अंदाज में अंगड़ाई ले रही थेी जो कि शुभम को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर कार उसकी मां कर क्या रही है लेकिन इतना जरुर पता था कि जो भी कर रही थी उसे देखकर शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी। निर्मला के ऊपर कामोत्तेजना का असर भारी होता चला जा रहा था। वह जोर जोर से अपनी हथेली को अपनी बुर पर रगड़ रही थी लेकिन ऐसा करने से उसकी प्यास शांत होने की वजाय और ज्यादा भड़कने लगी,,,, आज खुले में पहली बार हुआ इस तरह की हरकत कर रही थी,,,, इससे पहले भी उसने बहुत बारिश है वहां पर आकर कपड़े धोने थे और घर के काम भी किए थे लेकिन जिस तरह की कामुकता का एहसास की वजह से उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे और सिर्फ पेटीकोट में ही अपने वदन से खेल रही थी ऐसा कभी उसने बंद कमरे में भी नहीं की थी। निर्मला भी मजबूर थी आखिर कब तक अपने बदन की प्यास ओर उसकी जरुरतो पर काबू कर पाती,,,,, अपने पति से उपेछित होने के बाद उसके पास यही एक राह रह गई थी।
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