RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ऐसा क्यों कह रही हो मम्मी क्या ऐसा किसी का नहीं होता,,,,
होता है लेकिन शायद तेरे जैसा नहीं होता,,,, तेरा तो काफी बड़ा है,,,, तभी तो देख दवा लगाने में मुझे तकलीफ हो रही है।
तभी तो कह रहा था मम्मी कि तुम रहने दो मैं अपने हाथ से लगा लूंगा,,, आपको खामखा तकलीफ होगी,,,,
नहीं बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तेरे लिए तो सारी तकलीफ सहने को मैं तैयार हूं। ( ऐसा कहते हुए निर्मला जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को हिलाने लगी,,,,, शुभम की हालत खराब हो जा रहे हैं जो क्रिया वह अपनी हथेली में लेकर कर रहा था आज वही क्रिया उसकी मां अपने नरम नरम हथेली में लेकर कर रही थी जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ चुकी थी। उत्तेजना के मारे से बंद के हाव भाव बदलने लगे थे उसका चेहरा उत्तेजित होकर एकदम लाल हो गया था निर्मला भी काफी देर से बुर की खुजली से परेशान हुए जा रही थी। कभी वह अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए बोली।
अब बता कैसा लग रहा है तुझे,,, ( इतना कहते हुए वो अपनी नजरें उठाकर अपने बेटे की तरफ देखीे तो हैरान रह गई क्योंकि उसकी आंखें मस्ती के असर के कारण मुंदने लगी थी उसका मुंह खुला का खुला था वह जोर जोर से सांसे ले रहा था,,,,, वह एक दम मस्त हो चुका था उसकी हालत देखकर निर्मला को भी इस बात का एहसास होने लगा कि उसने उसका बेटा बड़ा हो गया था क्योंकि जिस तरह से उसके हाव भाव हो रहे थे उससे ऐसा साफ नजर आ रहा था कि उसे बहुत मजा आ रहा है यह देखकर निर्मला के सब्र का भी बांध टूटने लगा। उसकी बुर तो पहले से ही ज्यादा तड़प रही थी वासना भी उसके सर पर सवार हो चुकी थी उसने इस बात का बिल्कुल भी परवाह किए बिना कि उसका बेटा उसके करीब ही खड़ा है जो कि उससे अपने लंड पर दवा लगवा रहा है। जो की दवा लगवाने के बहाने शायद दोनों ही अपनी अपनी तरह से मजा ले रहे थे। शुभम की मस्ती देखकर निर्मला दे पूरी तरह से खुलने की कोशिश करने लगी और धीरे-धीरे करके उसने एक हाथ से अपने गांऊन को अपनी कमर पर चढ़ा ली,,, और एक हाथ अपनी पैंटी में डाल कर अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसलने लगी,,,, शुभम की आंखें अभी भी बंद थी,,,, निर्मला एक हाथ से अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए और दूसरे हाथ से अपनी बुर को रगड़ते हुए फिर से बोली।
शुभम तुझे कैसा लग रहा है,,,,,,,
( इस बार शुभम आंखें खोलकर अपनी मां की तरफ देखा तो वह एकदम से हैरान रह गया उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी अपनी मां को इस तरह से अपना गाउन कमर तक उठा कर एक हाथ पैंटी में डालकर अपनी बुर को रगड़ते हुए देखकर शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई,,,,, दोनों की आंखें आपस में टकरा गई लेकिन दोनों बोल कुछ नहीं रहे थे बल्कि एक दूसरे की आंखों की गहराई में खोते हुए एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे। शुभम कभी अपनी मां की आधी से ज्यादा चूचियों को देखता तो कभी अपने हाथ से अपनी बूर को लगा रहे पेंटिं की तरफ देखता,,,, और उत्तेजना से भरते हुए बोला।
बहुत मजा आ रहा है मम्मी ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया ( और ऐसा कहते हुए वह अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की हथेली को ही चोद रहा है। दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैं जोर-जोर से इतनी दूर को मसल रही थी और एक हाथ से अपने बेटे के लंड को हिला रही थी,,,,,
और जोर से मम्मी और जोर से हिलाओ मुझे मजा आ. रहा है।
हां बेटा मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
( दोनों के सर पर वासना सवार हो चुकी थी दोनों उन्माद की लहर में रहने लगे थे दोनों क्या कह रहे हैं शायद उस समय उस बात से दोनों को मजा आ रहा था,,,,, शुभम की इच्छा हो रही थी कि वह आगे बढ़ कर अपनी मां की चुचियों को पकड़ ले और अपनी मां की हथेली को हटाकर खुद अपनी हथेली से बुर को मसले । लेकिन ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी भी उसके मन में थोड़ा बहोत डर बना हुआ था।
दोनों अपनी अपनी मस्ती में खोए हुए थे दोनों इससे आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन आगे बढ़ने से कतरा रहे थे। निर्मला के मुंह से गर्म पिचकारी निकलने लगी थी और शुभम भी अपनी मस्ती में अपनी कमर को जोर-जोर से आगे पीछे करते हुए हीला रहा था। शुभम का लंड ठीक निर्मला के मुंह के करीब था,,, अगर वो थोड़ा सा भी आगे बढ़ती तो तुरंत अपने बेटे के लंड को मुंह में ले लेती,,,, और उसका मनीषा कर भी रहा था वह मन ही मन में सोच रही थी कि अपने बेटे के लंड को मुंह में ले कर चूसने लगे लेकिन शायद अभी भी दोनों पूरी तरह से नहीं खुले हुए थे।
पूरे कमरे में दोनों की गरम सिसकारी गूंज रही थी। कमरे का नजारा पूरी तरह से गर्म हो चुका था निर्मला की गरम सिसकारी शुभम की हालत और खराब किए जा रही थी जिसकी वजह से शुभम भी,,, आहहहहहह आहहहहहह करते हुए अपनी कमर को आगे पीछे जोर जोर से हिला रहा था। निर्मला की बुर भी पानी पानी हो चुकी थी जिससे निर्मला की पूरी पैंटी गीली हो चुकी थी। थोड़ी ही देर बाद दोनों का बदन अकडने़ लगा,,,, निर्मला का हाथ शुभम के लंड पर और हथेली अपनी बुर पर बड़ी तेजी से चलने लगी,,,,
और कुछ ही सेकंड में दोनों के मुंह से जोर से चीख निकली और दोनों के नाजुक अंगों से पानी की पिचकारी फूट पड़ी,,,,, लेकिन शुभम के ल** से निकली पिचकारी निर्मला के चेहरे पर पड़ने लगी जिसकी वजह से कुछ ही सेकंड में जबरदस्त तेज पिचकारी के कारण निर्मला का पूरा चेहरा शुभम के लंड के पानी से भर गया। निर्मला को उत्तेजना के कारण इस बात का अंदाजा नहीं था कि शुभम के लंड से पिचकारी निकल कर सीधे उसके मुंह पर आएगी। शुभम अपने लंड की पिचकारी अपनी मां के चेहरे पर गिरता हुआ देखकर आनंद से सराबोर हो गया,,,, और निर्मला इस बात से अक्षर में तेजी मंदी से इतनी तेज पिचकारी भी निकल सकती है इस बात की जानकारी उसे पहले कभी नहीं थी।
निर्मला जोर से अपने होंठों को भींच ली थी ताकी शुभम के लंड से निकला पानी उसके मुंह में ना जा पाएं।
निर्मला भी अपनी बुर का ढेर सारा पानी निकालकर पानी पानी हो गई थी और शुभम भी झड़ चुका था।
थोड़ी देर बाद दोनों का नशा उतरा तो निर्मला अपनी स्थिति को देखकर शर्म से पानी-पानी हो गई और भागते हुए सीधे बाथरूम में घुस गई।
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