RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोई बात नहीं इसी को लगा दे थोड़ी बहुत तो राहत मिल ही जाएगी । ( शुभम के पेंट में बने तंबू की तरफ नजर गड़ाते हुए बोली,,,, वह भी अपनी मां की नजर को पहचान गया और झट से कुर्सी के पीछे चला गया,,,, निर्मला के ठीक पीछे शुभम खड़ा था और बीक्स की डिब्बी को खोल रहा था बिक्स की डिब्बी खुल पाती इससे पहले उसके हाथ से छूटकर नीचे की तरफ गिरी,,,, लेकिन वह डिब्बी सीधे जाकर निर्मला के ब्लाउज के बीचों-बीच की पतली गहरी दरार में जाकर फंस गई। यह देख कर तो शुभम परेशान हो गया लेकिन परेशान से ज्यादा वह उत्तेजना का अनुभव करने लगा,,,, जिस जगह ्विक्स की डीबियां गिरीे थी उस जगह को लेकर निर्मला काफी उत्तेजित थी,,, क्योंकि उसके दोनों हाथ में मेहंदी लगी हुई थी,,,, ऐसे मे वह जाहिर तौर पर अपने हाथ से उस डीब्बी को तो निकाल नहीं सकती थी,,,, और शुभम था कि गिरने वाली जगह को देखकर काफी हैरान था ऐसे में वह क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसकी परेशानी को समझते हुए निर्मला बोली।
अब देख क्या रहा है इसे निकाल तो सही,,,,, मेरे हाथ में मेहंदी लगी है वरना मैं ही निकाल देती,,,,,,
( अपनी मां की बात सुनकर उसके बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़नें लगी,, वह तो ना जाने कब से बेताब था अपनी मां की चुचियों को पकड़ने के लिए,,,, और यहां तो उसकी मां खुद ऊसे मौका दे रही थी। भला वह इतना सुनहरा मौका हाथ से कैसे जाने देता,,, वह ठीक अपनी मां के सामने आकर खड़ा हो गया,,, उत्सुकता और उत्तेजना की वजह से उसे इस बात का एहसास भी नहीं हुआ कि उसकी पेंट में तंबू बना हुआ है और उसकी मां की नजर ठीक उसके तंबु पर ही है। वह अपना हाथ अपनी मां की चुचियों की तरफ बढ़ाया लेकिन उसका हाथ कांप रहा था,,, उसकी उंगलियां कांप रही थी जैसे ही वह,,, डिब्बी को लेने के लिए अधिक होने ब्लाउज में हाथ डाला वैसे ही उंगलियों के कंपन की वजह से डिब्बी और अंदर चली गई,,,, ब्लाउज की हालत पहले से ही खराब थी ब्लाउज में जरा सा भी तनाव बढ़ने से ब्लाउज के बटन टूट सकते थे,,,,, इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,
मम्मी ब्लाउज इतना तना हुआ है कि अगर एक उंगली भी अंदर जाएगी तो हो सकता है ब्लाउज का बटन टूट जाए,,,
नननन नननन,,,, ऐसा बिल्कुल मत करना यह मेरा पसंदीदा ब्लाउज है। एक काम कर ईसके बटन खोल दे तब विक्स की डीब्बी भी मिल जाएगी,,,,
( शुभम तो यही चाहभी रहा था। उसके हाथ में तो जैसे लड्डू आ गए थे उसने एक पल का भी विलंब किए बिना अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा,,,, लेकिन ऊसकी उंगलियां लगातार कांप रही थी यह देखकर निर्मला को मजा आ रहा था। धीरे धीरे करके उसने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,,,, सारे बटन खुलते ही ऊसकी बड़ी बड़ी चुचीयां बिल्कुल. नंगी हो गई क्योंकि जानबूझकर उसने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी।
शुभम तो अपनी मां की नंगी चूचियों को देखकर एकदम उत्तेजित हो गया,,,, ऊसकी पेंट में बना तंबू और ज्यादा भयानक नजर आने लगा,,, अब विक्स का किसको ख्याल था। वह तो ना जाने कब से नीचे गिर चुकी थी। शुभम अपनी मां की चुचियों को देखे जा रहा था और निर्मला अपने बेटे के पेंट में बने तंबु को देखे जा रही थी। शुभम अपनी मां की चुचियों को हाथों से छूना चाहता था उन्हें हथेली में लेकर दबाना चाहता था,,,, सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही था लेकिन फिर भी वह आगे बढ़ने से कतरा रहा था।
तभी निर्मला अपने बेटे के तंबू को देखते हुए बोली,,,,
बेटा अभी तक तुझे राहत नहीं मिला क्या,,,,
मिल तो गई मम्मी,,,,,
तो फिर तेरा खड़ा क्यों है?
कुछ नहीं मम्मी यै तो ऐसे ही,,,
नही ला मुझे दिखा तो,,, तू जल्दी से खोलकर मुझे दिखा ने देखूं तुझे राहत मिली या अभी भी परेशानी है।
( अपनी मां की बात सुनकर थोड़ी तो हिचकिचाहट उसके मन में थी लेकिन फिर भी वह उत्तेजना का अनुभव करते हुए जल्दी से अपने पेंट की बटन खोल कर,,, तुरंत पेंट को जांगो तक कर दिया और अपने खड़े लंड को दिखाने लगा निर्मला नजर भर कर अपने बेटे के लंड को देख पाती उससे पहले ही गाड़ी का होरन बजने लगा शुभम समझ गया कि उसके पापा आ गए हैं उसने जल्दी से पेंट पहन लिया।।
उसकी मां भी जल्दी से बोली,,,
जल्दी से मेरे ब्लाउज के बटन बंद कर तेरे पापा देख लेंगे तो क्या समझेंगे,,,,,
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