RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ससस,,,, सॉरी मम्मी,,,,,( इतना कहकर वह अपनी नजरें नीचे झुका लिया,,, लेकिन निर्मला अपने बेटे के सामने भी एकदम बिंदास होकर अपनी पैंटी को पहनने लगी। अपनी लंबी लंबी चिकनी गोरी टांगो को पैंटी में डालकर वह धीरे-धीरे सरका कर अपनी जांघो तक ला दी,,,, और इतने पर ही अटका कर एक नजर शुभम पर डाली तो वह तिरछी नजर से उसे ही देख रहा था दोनों की नजरें जब आपस में टकराई तो शुभम शरर्मा कर फिर से नजरें झुका लिया,,,, यह देखकर निर्मला के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,, निर्मल ने अपनी पैंटी को जांघो तक लाकर जानबूझकर अटका दी थी। ताकि वह उसकी चिकनी और तरोताजा बुर को देख सके लेकिन डर के मारे शुभम नजर उठा कर अपनी मां की जांघों के बीच के उस खूबसूरत द्वार को देख ना सका। यह कसमसाहट उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी क्योंकि उसने अब तक अपनी मां के बदन के सारे अंगो को देख चुका था लेकिन वही एक अंग को अभी तक नहीं देख पाया था। बल्कि अभी तो उसके पास पूरा मौका भी था लेकिन ना जाने कौन से डर की वजह से वह आंख उठाकर जांगो के बीच की उस जगह को देख नहीं पाया। निर्मला भी मुस्कुराते हुए पैंटी को पहन ली और पहनने के बाद उसे इधर उधर से खींचकर ठीक से आरामदायक स्थिति में कर ली। अभी तो मात्र उसके बदन पर पैंटी ही चढी़े थी बाकी का पूरा बदन नंगा ही था। लेकिन आज ना जाने निर्मला को कौन सा जुनून सवार था कि अपने बेटे की उपस्थिति में भी शर्माए बिना ही संपूर्ण रूप से नंगी होकर कि अपने कपड़े बदल रही थी। पेंटी पहनने के बाद वह शुभम से बोली,,,,,,
शुभम तेरे पीछे मेरी ब्रा भी है उसे भी दे दे,,,, लेकिन फ़ेंक कर नहीं मेरे हाथ में दे,,,,,
( इस बार ब्रा मांगने पर फिर से शुभम की हालत खराब होने लगी पेंट में लंड पूरी तरह से तंबू बनाए हुए था उसकी हालत फसल खराब हुई जा रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि बिना छुए हि आज उसका पानी निकल जाएगा। वह अपने आप को संभालते हुए पीछे हाथ बढ़ाकर बिस्तर पर से ब्रा उठाया जो की बहुत ही मुलायम थी। और खड़े होकर अपनी मां को थमाया लेकिन इस बार वह अपनी उत्तेजना को छिपा ना सका,,,, उसकी मां की नजर उसके पैंट में बने तंबू पर पड़ ही गई और उस तंबू को देखकर निर्मला के बदन में सुरसुराहट सी दौड़ गई। वह मुस्कुराते हुए शुभम के हाथ से ब्रा को लेकर पहनने लगी। वह शुभम की तरफ देखते हुए अपनी चूची को एक एक हाथ से पकड़ कर ब्रा के अंदर कैद करने लगी और शुभम यह नजारे को छुपते छुपाते देखे बिना अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। यही सब निर्मला को बहुत ही ज्यादा उत्तेजना का अनुभव करा रहा था और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। धीरे धीरे करके ऐसे ही शुभम की उत्तेजना को बढ़ाते और उसे अंदर ही अंदर तड़पाते हुए निर्मला अपने कपड़े पहन ली,,,, आसमानी साड़ी में निर्मला एकदम परी की तरह खूबसूरत लग रही थी जिसको देखकर शुभम की आंखें उसके बदन की खूबसूरती की चमक से चौंधिया सी गई थी। घर से निकलते निकलते वह शुभम पर आखरी बार अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए बोली,,,,,
शुभम बेटा लगता है मेरे ब्लाउज की डोरी ठीक से बंधी नहीं है तू जरा इसे ठीक से बांध दे तो,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनते ही शुभम की उंगलियां तो पहले से ही कांपने लगी,,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा वह धीरे धीरे चलते हुए अपनी मां के करीब आया और उसके पीछे खड़े होकर के धीरे-धीरे ब्लाउज की रेशमी डोेरी को खोलने लगा,,, डोरी को खोलते हुए उसके हाथ कांप रहे थे,,, उसकी उंगलियों के कंपन को निर्मला अपनी पीठ पर साफ महसूस कर रही थी और मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी। अगले ही पल उसने अपने हाथ की उंगलियों का सहारा लेकर ब्लाउज की डोरी को खोल दिया और खोलने के बाद उसे ठीक से बांधते हुए,,, उसमे गीठान मार दिया,,,, चिकनी गोरी पीठ पर ब्लाउज की डोरी कसते ही पीठ की खूबसूरती और भी ज्यादा निखरने लगी। लेकिन तभी उसकी नजर ब्लाउज के साइड से निकली हुई ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ी,,,,, उसे देखते ही वह अपनी मां से डरते हुए बोला,,,,
मम्मी आपकी ब्रा की स्ट्रेप बाहर निकली हुई है।
( अपने बेटे की बात सुनकर उसके भी बदन में हलचल सी मच गई,,,, और मुस्कुराते हुए वह बोली।)
कोई बात नहीं बेटा तू उसे अंदर की तरफ कर दें,,,,
( शुभम फिर से अपने कांपते उंगलियों से अपनी मां की ब्रा की स्ट्रेप को ब्लाउज के अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यही सही मौका देखकर निर्मला अपने बेटे की तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए बोली,,,,)
बेटा लगता है कि तेरे उसमे अभी तक आराम नहीं हुआ है,,,
( शुभम अपनी मां की हर बात को समझ नहीं पाया और उसकी ब्रा की स्ट्रैप को ब्लाउज के अंदर उंगली से सरकाते हुए बोला,,,)
कीसमे,,,,,,,
अरे तेरे लंड में और किसमे,,,, लगता है फिर से तेरे लंड की अच्छे से मालिश करनी पड़ेगी तब जाकर इस में,,, आराम होगा,,,,,
( अपनी मां की मुझे ऐसी खुली बातें सुनते ही शुभम के दिल की धड़कन तेज हो गई और पेंट के अंदर से ही लंड ने सलामी भरना शुरु कर दिया,,,,,, वह अपना बचाव करते हुए बोला,,,)
ननननन,, नननन,,, नही मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है मुझे आराम है,,,( इतना कहने के साथ ही वह ब्रा के स्ट्रैप को ठीक कर दिया,,,,, निर्मला शुभम की तरफ घूमी और अपनी नजर को उसके पैंट में बने तंबू की तरफ घूमाते हुए बोली,,,,)
आराम है तो फिर इतना तना हुआ क्यों है? ( इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर जाने लगे तो शुभम भी पीछे-पीछे अपनी मां के पिछवाड़े को देखता होगा जाने लगा वह अपने मां की इस बात का जवाब नहीं दे पाया,,,, घर से बाहर आते हैं वहां के राज में से गाड़ी बाहर निकालने के लिए गई मौसम खराब हो रहा था हल्की हल्की बारिश होने लगी थी। )
शुभम और निर्मला दोनों घर के बाहर आ गए थे । बाहर का मौसम कुछ कुछ खराब होने लगा था हल्की हल्की बारिश हो रही थी आसमान में काले बादल पूरी तरह से छा चुके थे,,, ऐसा लग रहा था कि पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में कर लिए हो। निर्मला गैराज मैं जा कर गाड़ी स्टार्ट कर के घर के मेन गेट तक लाइ,,, जहां पर शुभम गाड़ी का दरवाजा खोलकर आगे वाली ही सीट पर अपनी मां के करीब बैठ गया।
और निर्मला एक्सीलेटर पर पैर दबाते हुए गाड़ी को गति प्रदान करने लगी। निर्मला के घर से शीतल घर की दूरी तकरीबन 1 घंटे की थी। चारों तरफ घने बादल की वजह से अंधेरा हो गया था,,,,, निर्मला बहुत अच्छे से तैयार हुई थी और वह आज बेहद खूबसूरत और साथ ही बड़ी सेक्सी लग रही थी। वैसे तो वह दूसरे मर्दों के लिए हमेशा से सेक्सी ही थी लेकिन आज सेक्सी शब्द की परिभाषा को पूरी तरह से उसने अपने अंदर उतार ली थी और सेक्सी पन का एहसास उसे खुद भी हो रहा था। इस तरह के कपड़े उसने कभी पहले नहीं पहनेी थी,,, डीप गले का ब्लाउज और वह भी पूरी तरह से बेतलेंस,,, बस एक पतली सी रेशमी डोरी ब्लाउज को बांधने के लिए,,,, और ऊपर से ट्रांसपेरेंट साड़ी जिसमें से छुपाना चाहो तो भी अपने बदन को छुपा नहीं सकते और वैसे भी निर्मला को कुछ छुपाना नहीं था इसलिए तो उसने इस तरह की साडी पहनी हुई थी।
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