RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला सामान्य गति से ही अपनी गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे वह बहुत ही संभाल कर गाड़ी चलाते थे वह बार-बार शुभम की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रही थी और इस तरह से अपनी मां को मुस्कुराता हुआ देखकर,,,, उसके दिल की घंटियां बजने लगती थी। बार-बार उसे बाथरुम वाला नजारा याद आ जा रहा था,,,, वह अपने नसीब को मन ही मन धंयवाद भी कर रहा था कि अच्छा हुआ था कि उसे इस समय पेशाब लग गई थी और वह बाथरुम की ओर आ गया था वरना इस तरह का अद्भुत और कामुकता से भरा उन्मादक. द्रश्य का लाभ वह कभी भी नहीं ले पाता। का मन ही मन सोच कर उत्तेजित होने लगा कि कितना काम होते देना से भरा हुआ वह नजारा था किस तरह से उसकी मां बाथरूम में अपने पूरे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नहा रही थी। उस की नंगी चिकनी पीठ और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पानी में भीग कर कैसे चमक रही थी। किस तरह से वह खड़ी हो करके नहा रही थी और उसकी गांड मटक रही थी ऊसके गांड की थिरकन देख कर के उसके लंड की हरकत बढ़ने लगी थी। और तो और उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी जब उसकी मां नहाते नहाते नीचे बैठ कर पेशाब करने लगी,,,, सच में यह नजारा देख कर तो वह इतना ज्यादा कामोत्तेजित हो गया था कि उसे लगने लगा की कहीं उसका लंड पानी ना छोड़ दे,,,, यह सब उसकी मां के अनजाने में ही हुआ था उसकी मां यह नहीं जानती थी कि शुभम यह सब देख रहा है और अगर वह जान भी लेती तो शायद जो चीज अनजाने में हुई थी वह जानबूझकर उसकी आंखों के सामने निर्मला की जानकारी में ही हो जाती। वह सब पल याद करके उसके लंड के ऐंठन बढ़ने लगी थी।
लेकिन उसे यह नहीं समझ में आ रहा था कि आखिर उसकी मां नग्नावस्था में भी बिना जी जाती उसकी आंखों के सामने क्यों कपड़े बदल रही थी जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। उसकी मां इतनी शर्मीली थी कि उसके सामने इस तरह की अर्धनग्न अवस्था में भी नहीं आती थी और आज तो वह उसकी आंखों के सामने ही एकदम बेफिक्र होकर के नग्नावस्था में अपनी पैंटी ब्रा और कपड़े पहन रही थी।
आखिर निर्मला ऐसा क्यों कर रहीे थी यह शुभम के समझ के बाहर हो रहा था। अाखिर उसकी मां उसकी आंखों के सामने ऐसा क्यों कर रही थी,,,, कहीं वो जानबूझकर तो उसे अपना बदन नहीं दिखा रही थी,,,, कभी उसे उसके दोस्तों की कही बात याद आने लगी जब खेल के मैदान में उसका दोस्त बता रहा था कि उसकी सगी भाभी भी उसकी आंखों के सामने इसी तरह की हरकत करती थी नहाने के बाद वह टावल में ही बाहर चली आती थी,,,, तो कभी खुद उसी से ही बाथरुम में ही टावल मांगा करती थी और टावल लेते समय,,
भीे एकदम नग्न अवस्था में ही रहती थी। और अपने देवर को देखकर मुस्कुराती भी थी,,, उसके दोस्त ने यह भी कहा था कि जिस तरह से वह अपना नंगा बदन दिखाती थी,, उसे मोटे ताजे लंड की जरूरत थी,,,, वह अपनी भाभी के इशारे को समझ कर और उसकी जमकर चुदाई कर दिया उसके बाद से वह लगातार अपनी भाभी को रोज यही चोदने लगा,,,,, वह उस दिन साफ-साफ बताया था कि जब औरत इस तरह की हरकत करने लगे तो समझ जाने का कि उसका चुदवाने का मन कर रहा है तभी वह अपना बदन दिखा कर अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।
अपने दोस्त की कही बात याद आते हैं शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, वह सोचने लगा कि क्या उसकी मां भी एक दम से चुदवासी हो गई है,,,,,, इसलिए वह उसे अपना नंगा बदन दिखाती है। क्या वह भी यही चाहती है कि उसका ही बेटा उसको ़ चोदे,,,,,, हां बिल्कुल ऐसा ही है तभी तो वह मुझे अपना नंगा बदन दिखा कर मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। और पिछले कुछ दिनों से उसके बर्ताव में भी काफी बदलाव आ गया है कपड़े पहनने का ढंग ही बदल गया है। अगर उसके मन में ऐसा कुछ नहीं होता तो तैयार होते समय जिस तरह से वह केवल टॉवल में ही थी मुझे कमरे में आने को ना कहती,,, और अगर भूल से आ भी गया होता तो,,,, मेरी उपस्थिति में वह एकदम बिंदास होकर कपड़े नहीं बदलती बल्कि मुझसे शर्माती,,, और तो और जिस तरह से उसके बदन से टावल गिर गई थी और वह नंगी हो गई थी,, य,वह झट से टावल उठाकर अपने बदन पर लपेट लेती। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया बल्कि बेझिझक होकर के उसी तरह से ना तो अपने बदन को छुपाने की रत्ती भर कोशिश ही की और ना ही मुझसे जरा सा भी शरमाई बल्कि,,, बेझिझक होकर मुझसे अपनी पैंटी मांगी,,,,, अगर वह सामान्य होती तो इस तरह की हरकत बिल्कुल भी ना करती क्योंकि इससे पहले उन्होंने अपने पहनने के एक भी कपड़े मुझसे कभी नहीं मांगी,,,, और तो और जिस तरह से वह बार-बार पेंट उतार कर लंड दिखाने की बात कर रही थी इससे साफ़ लगता है कि जरूर उसके दोस्तों की कही बात शत प्रतिशत सच है। जरुर वह एकदम चुदवासी हो गई हैं।
दोस्तों की कही बातें उसकी अंतरात्मा को एकदम झकझोर गई। यह सब उसके लिए बड़ा ही आश्चर्यजनक भी था और उसे प्रसन्न करने वाला भी था। क्योंकि वह सोचने लगा कि अगर सच में कुछ ऐसा है तो उसका काम और भी आसान हो जाएगा,,,, इधर तो ऐसा हाल हो जाएगा कि प्यासे को कुएं के पास जाना ही नहीं पड़ेगा बल्कि कुंआ ही प्यासे के पास चलकर आएगा,,,,, उसका मन प्रसन्नता से भर गया उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि उसका सपना बहुत ही जल्द सच हो जाएगा। उसे लेकिन इस बात से हैरानी भी हो रही थी कि अगर उसके दोस्तों की कही बात सच निकली तो क्या सच में उसकी मां उसेसे चुदवाएगी उसके मोटे ताजे लंड को अपनी बुर मे लेगी,,,, वह तो कल्पना करके ही एकदम मस्त हुए जा रहा था कैसा लगेगा जब उसकी मां अपनी टांगे फैला कर उसका मोटा लंड अपनी बुर में डलवा कर चुदवाएगी,,,,,
क्या सच में इतना मोटा ताजा और लंबा लंड औरत की छोटी सी बुर में घुस जाता है और घुसता है तो उन्हें कैसा लगता है,, यह सब बातें उसे एकदम परेशान किए हुए थी। क्योंकि एक बात तो सत प्रतिशत सच ही थी कि उसने औरतों के हर अंग को लगभग देख ही चूका था,,,,, वह भी अपनी मां का ही लेकिन अभी तक उसने मुख्य केंद्र बिंदु बुर के दर्शन नहीं कर पाया था।
उसके मन में तो लड्डू फूट रहे थे । लेकिन यह बात भी उसके लिए जानना जरूरी था कि क्या सच में वह जैसा सोच रहा है ठीक वैसा ही होगा अगर कहीं उसके दोस्तों की बातें गलत निकली तो और उसकी मां यह सब जानकर कि उसका बेटा उसके बारे में गंदे विचार कर रहा है तो वह क्या सोचेगी,,,,, कहीं सब कुछ उल्टा ना हो जाए यह ख्याल मन में आते ही उसके मन में उदासी छा गई और वह मन ही मन सोचने लगा कि कैसे भी है वह हो वह अपनी मां के मन की बात को जरूर जान कर रहेगा।
बाहर का मौसम धीरे धीरे बिगड़े नहीं लगा था हल्की हल्की हो रही बारिश अब थोड़ा तेज हो चुकी थी। अपने बेटे को किसी ख्यालों में खोया हुआ देखकर निर्मला बोली,,,,
क्या हुआ बेटा तू इतना उदास क्यों है क्या सोच रहा है?
कुछ नहीं मम्मी मैं आपके ही बारे में सोच रहा था। ( उसके मुंह से एकाएक निकल गया उसे समझ में नहीं आया कि वह क्या बोले अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरा दी और वह मुस्कुराते हुए बोली।)
मेरे बारे में,,,,,, मेरे बारे में ऐसी कौन सी बात तो सोच रहा है कि एकदम गहराई में डूब गया,,,,,,
यही मम्मी कि मैंने आपको और पापा को एक साथ कहीं भी आते जाते लगभग नहीं देखा ना तो किसी शादी में आप दोनों साथ में जाते हैं ना किसी की पार्टी में और ना ही कभी मार्केट ही जाते हैं। मुझे यह सब बड़ा अजीब लगता है दूसरों के मम्मी पापा हमेशा साथ में घूमते फिरते रहते हैं हंसते बोलते रहते हैं लेकिन मेरे पापा इस तरह से क्यों करते हैं। ( शुभम बात को संभालते हुए एक ही सा में सब कुछ बोल गया,,,
अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला को भी हैरानी हुई कि आज वह ऐसा क्यों पूछ रहा है। इसलिए वह बोली।)
तू ऐसा क्यों पूछ रहा है?
इसलिए मैं पूछ रहा हूं कि आज देखो ना पापा को हमारे साथ आना चाहिए था ।लेकिन वह नहीं आए क्या आपने उन्हें बताया था।
हां बेटा,,,,, मैंने तो तुम्हारे पापा को साथ में आने के लिए बोली थी। ( निर्मला गहरी सांस लेते हुए बोली) लेकिन उन्हें मुझसे ना जाने कौनसी दुश्मनी है कि मेरे साथ कहीं भी आना जाना पसंद नहीं करते। ( गाड़ी का स्टेयरिंग हल्के हल्के घुमाते हुए बोली।)
लेकिन ऐसा क्यों है मम्मी?
पता नहीं बेटा ऐसा क्यों है!
मम्मी,,, पापा का यह व्यवहार मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आता।
बेटा इतने सालों में तो मैं तेरे पापा के व्यवहार को नहीं समझ पा रही तो तू कहां से समझ पाएगा,,,,( वह शुभम की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली। कुछ देर तक शांति छाई रही लेडीज परफ्यूम के साथ निर्मला के बदन की मादक खुशबू भी कार में उत्तेजना जगा रही थी। )
|