Sex kahani अधूरी हसरतें
03-31-2020, 03:48 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपनी मां के गुलाबी होठो पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया,
लाल लाल गुलाब की पंखुड़ियों से भी नरम स्पर्श शुभम को पूरी तरह से अपनी मस्ती में डूबने के लिए मजबूर कर दिया,,,

वह पागलों की तरह अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों के बीच रख कर किसी चूसनीे की तरह चूसना शुरू कर दिया,,,, शुभम को आज पहली बार ऐसा लग रहा था कि वह है वास्तव में चुंबन की वास्तविकता से मुखातिब हुआ है। इससे पहले उसे इस बात का एहसास तक नहीं था कि औरतों के खूबसूरत होठो को चुमने से चुसने से बदन में अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति होने लगती है । वह अपनी मां के होठों के मदन रस में डूबता चला जा रहा था,,, उसकी मा भी एक चुंबन में बराबर का साथ देते हुए उसके होठों को भी अपने होठों में भरकर चूसना शुरू कर दी थी,, इस बेहतरीन लजीज चुंबन के आदान-प्रदान में शुभम को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं चला कि कब उसकी मां की जीभ उसके मुंह में घुस कर उसकी जीभ को अंदर से चाटना शुरू कर दी है,,, निर्मला की हरकत पर शुभम को बेहद मजा आ रहा था और उसने भी अपनी जीत को अपनी मां के मुंह में डालकर सोचना शुरु कर दिया दोनों के चुंबनों के आदान-प्रदान के साथ-साथ दोनों के लार का भी आदान प्रदान हो रहा था। निर्मला को भी बेहद उत्तेजना के साथ साथ रोमांचकारी अनुभव हो रहा था,,, इस तरह से तो आज तक उसके पति ने भी उसका चुंबन नहीं लिया था। दोनों दोनों पहली बार चुंबन की क्रिया से और उसके आनंद से अवगत हो रहे थे। शुभम तो पागलों की तरह से लगभग अपनी मां के होठों को दांतो से काटते हुए चबा रहा था। और अपने बेटे की इस हरकत में निर्मला को मज़ा भी बहुत आ रहा था वो खुद अपने बेटे को होंठ को दांत से दबा दे रही थी,,,, शुभम फोटो को चोदते हुए एक हाथ से ब्लाउज के ऊपर से ही निर्मला के खरबूजों को दबाना शुरु कर दिया,,,, निर्मला एकदम गर्म होने लगी थी होठो सें होंठ सटे होने के बावजूद भी उसके मुंह से घुटी घुटी सी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी,,,,,। होठो को चूसते हुए और साथ ही स्तन मर्दन में शुभम के साथ-साथ निर्मला को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,

यह गाढ़ चुंबन दोनों के मिलन का प्रतीक था। दोनों के होठ एक दूसरे के थुक में सने हुए थे। पूरे कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्मा चुका था। धीरे धीरे शुभम अपनी मां की चुचियों को दबाता हुआ आगे की तरफ बढ़ रहा था और एक हाथ से ब्लाउज के बटन को भी खोलना शुरू कर दिया था। ब्लाउज के सारे बटन बेहद टाइट थे क्योंकि निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल थी जोकि उसके ब्लाउज में ठीक से संमा नहीं पा रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे निर्मला ने जबरदस्ती अपने दोनों खरबूजाे को छोटे से ब्लाउज में ठुंसकर कैद किया हो। शुभम ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों से अलग होने ही नहीं देगा और उसकी मां भी एक हाथ ऊपर की तरफ ले जाकर अपने बेटे के सिर पर रखी हुई थी और उत्तेजना के मारे कसके उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भीेचकर जबरदस्त होठों की चुसाई कर रही थी और करवा भी रहीं थी। कुछ देर तक शुभम की उंगलियां ब्लाउज के बटन से उलझी रही लेकिन उसे खोलने में शुभम को जरा भी कामयाबी हासिल नहीं हुई,,,, निर्मला इस बात को अच्छी तरह से समझ गई और वह यह भी जानती थी की वह अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को बड़ी मुश्किल से उस ब्लाउज के अंदर कैद करके रखी थी इसलिए तो ब्लाउज के सारे बटन एकदम टाइट थे जो कि जिस तरह से एक हाथ से शुभम ब्लाउज के बटन खोलने की कोशिश कर रहा था,,, ऊससे एक भी बटन खुलना नामुमकिन था। जिस तरह से शुभम मस्ती के साथ उसके होठों की चुसाई भी कर रहा था और उसके ब्लाउज के बटन खोल देने के लिए जूझ भी रहा था,,, जो देखकर निर्मला मन ही मन बेहद खुश हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों को नंगी करके उसे मुंह में भर कर पीना चाहता है। निर्मला भी यही चाहती थी कि जल्दी से ब्लाउज के बटन खुल जाए और उसकी नंगी बड़ी बड़ी चूचियां शुभम के हाथों में हो और वह उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल को अपने मुंह में भर कर चुसनी की तरह चूस डालें,,, लेकिन अपने बेटे को इस तरह से तड़पता हुआ देखकर उसे मजा आ रहा था साथ ही वह भी अपने होठो में उसके होंठ को भरकर बड़ी लिज्जत के साथ होठ की चुसाई कर रही थी।


लेकिन जिस तरह से शुभम रह रह कर उसकी चूचियों को हथेली में जितना हो सकता था ऊतना भर कर जोर जोर से दबा रहा था जिसकी वजह से निर्मला की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी हो रही थी। उसकी सांसे तेज गति से चलने लगी थी उसके मुंह से गर्म सिसकारियों कि आवाज बढ़ती जा रही थी जिससे पूरा कमरा गूंज रहा था उससे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह खुद ही अपने दोनों हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और अगले ही पल वहां अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल कर,,,, अपने बेटे को सांसो की गति के साथ उठ बैठ रही भारी भरकम छाती के दर्शन कराने लगी,,,, पेंटी के साथ हाथ निर्मलाने ब्रा भी मरून रंग की पहन रखी थी,,, जो भी उसके गोरे दूधिया रंग पर बेहद जंच रही थी। दोनों बेहद उत्तेजित हो चुके थे। निर्मला अपने बेटे के होठों को चूसते हुए का एक अपने होंठ को उसके होंठ से अलग कर ली और उसके चेहरे को अपनी हथेली में भर कर उसकी आंखों में बड़ी ही नशीली अंदाज में देखने लगी,,,, शुभम की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,, उसके मुंह से ढेर सारी लार टपक रही थी,,, उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मां का इस तरह से होठो को अलग करना उसे अच्छा नहीं लगा और इस बात को शायद निर्मला भी समझ गई थी,,, इसलिए वह बड़े ही मादक स्वर में बोली,,,,,

ब्लाउज के बटन खुल गए हैं,,,,

( इतना सुनते ही अपने आप ही शुभम की नजर उसकी मां की छातियों की तरफ चली गई,,, यह कहना कि ब्लाउज के सारे बटन खुल गए हैं यह पूरी तरह से खुला निमंत्रण था कि अब चूचियों की बारी है,,,,,, शुभम भी अपनी मां की बात सुनकर अपनी मां की चुचियों की तरफ देखने लगा जो कि अभी भी यह बेशकीमती खजाना पर्दे के पीछे छुपा हुआ
था,,, बड़ी बड़ी चूचियां ब्रा में भी नहीं कमा पा रही थी इसलिए तो आपस में इतनी ज्यादा सटि हुई थी कि उसके बीच की लकीर बहुत ही ज्यादा गहरी हो चुकी थी,,, गहरी लकीर और बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर शुभम का लंड ठुनकी मारने लगा,,,, शुभम भौचक्का सा कभी अपनी मां की बड़ी बड़ी छातियों को ऊपर नीचे होता हुआ देखता तो कभी उसके चेहरे की तरफ देखता,,,, निर्मला शायद अपने बेटे के मन की बात को भाप गई,,, और वहां अपने दोनों हाथों को अपनी छातियों पर ले जाकर नरम नरम उंगलियों को ब्रा की निचली पट्टी में अंदर की तरफ डालकर ब्रा कों ऊपर की तरफ उठा कर सरकाने लगी,,,, और देखते ही देखते निर्मला ने अपनी ब्रा को गले तक सरका दी जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां छलक कर बाहर आ गई यह देख कर तो शुभम की आंखों मैं उत्तेजना की चमक फैल गई चूचियों का दूधिया पन और उसका ऊछाल देख कर मारे आश्चर्य के उसकी आंखें चौंधिया गई,,,, वह आंखें फाडे अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियो को देखता ही रह गया,,,,

, सुबह आश्चर्य के साथ कभी अपनी मां की तरफ देखता तो कभी उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजों के जैसे चुचियों की तरफ देखता,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में नहीं आया कि उसे करना क्या है। लंड में रक्त का प्रवाह इतनी तेज गति से हो रहा था कि, इस बात का उसे डर लगने लगा था कि कहीं उत्तेजना के मारे उसके लंड की नसें ना फट जाए। निर्मला को अपने बेटे की हालत पर तरस आ रहा था और हंसी भी आ रही थी उसकी हालत को देखकर इतना तो समझ ही गई थी कि अभी थी शुभम को बहुत कुछ सीखना बाकी था,, उसे एक मजे हुए खिलाडी के रूप में मैदान में उतरना बाकी था।

अब तक तो सिर्फ प्रैक्टिस मैच ही चल रही थी खरी कसौटी तो उसकी आज थी अब देखना यह था कि वह मैदान पर अपनी कला का जौहर किस तरह से दिखाता है,,,, क्योंकि निर्मला के बदन रुपी पीच का रुख कब और कैसे बदल जाए यह कहना बहुत मुश्किल था। पिच पर काफी नमी फैली हुई थी जिसकी वजह से पीच पूरी तरह से गीली हो रही थी,,, और ऐसी पीच पर एक मजा हुआ खिलाड़ी ही अपनी कला का जौहर पूरी तरह से दिखा सकता है। शुभम तो अभी नया नया ही था उसने अभी बहुत कुछ सीखना बाकी था फिर भी निर्मला की उम्मीदें ईस खिलाड़ी पर पूरी तरह से टिकी हुई थी। सारी संभावनाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना शुभम के लिए बेहद जरूरी था। अब देखना यह था कि कितनी देर तक एक खिलाड़ी मैदान पर बैठा रहता है लेकिन इस बात का डर भी बराबर बना हुआ था कि नया नया होने की वजह से कहीं यह पत्ते के महल की तरह ढह ना जाए अगर ऐसा हो गया तो निर्मला फिर से एक हारे हुए खिलाड़ी की तरह प्यासी ही रह जाएगी,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी दोनों की आंखों में एक दूसरे को अपने अंदर सामा लेने की प्यास बढ़ती ही जा रही थी,,,, निर्मला बड़े गौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी सांसो की गति मद्धम चल रही थी जिसकी वजह से उसके बड़े बड़े खरबूजे ऊपर नीचे होते हुए अपने करतब दिखा रहे थे,,, निर्मला की चुचियों कुछ ज्यादा ही बड़ी थी इसलिए ऊपर नीचे होते हुए ऐसा लग रहा था कि चूचियों के अंदर भरा हुआ दूध हिलोरे ले रहा है जौकी साफ तौर पर चुचियों के ऊपर उपसता हुआ नजर आ रहा था। शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है कभी निर्मला अपने बेटे को निर्देश देने के उद्देश्य से अपने हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को पकड़कर दबाना शुरु कर दी और साथ ही गरम गरम सिसकारी उसके मुंह से निकलने लगी,,, अपनी मां की उन्मादक की स्थिति को देखकर शुभम भी पूरी तरह से कामोत्तेजित हो गया,,, और अपनी मां की आंखों में जागते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जल्दी से बड़ी बड़ी चूचियां को अपनी हथेली में थाम लिया,,, नरम नरम और बड़ी बड़ी चूचियां हथेली में आते हीवह तुरंत उत्तेजना की स्थिति में जोर-जोर से अपनी मां की चुचियों को दबाना शुरु कर दीया,,,


गजब का सुख, अद्भुत एहसास शुभम के पूरे बदन में फैलने लगा था साथ ही निर्मला की हालत खराब होती जा रही थी जितनी ताकत लगाकर वह चूचियों को मसलता उतनी ही ज्यादा आनंदमय निर्मला हुए जा रही थी। उसके मुंह से बेहद गर्माहट भरी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी।

सससससहहहहहह,,,, आहहहहहह,,,, बेटा बस ऐसे ही जोर-जोर से मसलता रेह,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,आहहहहहह,,,,,

,,,, देख तो सही तेरे हाथों में कितना जादू है तू जिस तरह से दबा रहा है मेरी निप्पल एकदम टाइट हो गई है,,,,ऊमममम,,,

इसे भी चूस बेटा मुंह में भर कर जोऱ जोर से पी,,,,,ससससहहहहह,,,,, तूने तो मेरी हालत खराब कर दिया जिस तरह से तू दबा रहा है इस तरह की ताकत तो तेरे पापा ने भी कभी इस पर नहीं लगाएं,,,,,, तेरे हाथों में बहुत ताकत है बस ऐसे ही जोर-जोर से दगा करे पर मेरी चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी,,,,

( निर्मला की प्यास बढ़ती जा रही थी जिस तरह से जोर जोर से शुभम अपनी मां की चुचियों को दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि वह सारे रस को निचोड़ डालेगा,,, शुभम की नजर चूचियों के बीच की कड़क हो चुकी निप्पल पर ही टिकी हुई थी आज पहली बार वह निप्पल को इतने गौर से देख रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि निप्पल भी इतनी टाइट हो सकती है निर्मला के बदन में उत्तेजना की वजह से उसकी चूचियों के आकार में तो बढ़ोतरी हुई ही थी साथ ही दुबकी हुई निप्पल भी तनंकर एकदम टाइट हो चुकी थी लगभग एक छोटी सी उंगली की तरह हो गई थी,,,, शुभम भी उसकी मां की बात सुनकर चूची को मुंह में भरने के लिए लालायित हुआ जा रहा था,,,, इसके बाद वह तुरंत चूचियों पर झुकने लगा और अगले ही पल जितना हो सकता था उतना निप्पल सहित अपनी मां की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,, शुभम की इस हरकत पर तो निर्मला का पूरा बदन एकदम से गनगना गया। जिस तरह से वह चाहती थी उसी तरह से सुभम ने चूची पीने का ं शुरूआत किया था। निर्मला तो उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो गई,,, एकदम से वह चुदवासी हो चुकी थी और अपने चुदास पन को बिल्कुल भी दबा नहीं पा रही थी और बिस्तर पर अपनी एड़ियां रगड़ रही थी।,,, शुभम पागलों की तरह चूचियों पर ही टूट पड़ा था वह तो ऐसे लगा हुअा था जैसे मानो चुचिया ना होकर के पका हुआ आम का फल हो,,,, और वह उसे दबा दबा कर उसमे का सारा रस निकाल कर पी जाना चाहता हो,,, वह कभी इस चूची को मुंह में भर कर पीता तो कभी दूसरी चुची को,,, निर्मला की सिस्कारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, वह पागलों की तरह शुभम के बालों को भींचकर ऊसके मुंह को अपनी चुचियों पर दबाए हुए थीे ताकि वह अपना मुंह ऊपर ना उठा सके। और लगातार गर्म सिसकारियों के साथ शुभम को बोले जा रही थेी,,,।


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