Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 02:52 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम और निर्मला ने तो अपनी वैलेंटाइन की रात को सारी हदें पार करते हुए एक दूसरे को चुदाई का अद्भुत और अलौकिक सुख की प्राप्ति कराते हुए आनंद से पूरी रात गुजारी,,, इस तरह का वैलेंटाइन निर्मला ने,,, आज तक कभी नहीं मनाई थी और शुभम का तो यह उसकी जवानी का पहला वैलेंटाइन था जो कि उसने अपनी मां के साथ मनाया और ईतना अद्भुत और कामोत्तेजित तरीके से मनाया कि यह वैलेंटाइन उसे जिंदगी भर याद रहेगा,, अब तक तो वह वैलेंटाइन का मतलब ही नहीं समझ पाता था लेकिन उसकी मां ने वैलेंटाइन का,,,, पूरा मतलब उसे एक ही रात में समझा दी,, शुभम अपनी मां की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पाकर बेहद प्रसन्न और आनंदित था,,,, और निर्मला भी अपने बेटे को मजबूत और दमदार लंड से चुद कर और भी ज्यादा निखर गई थी। बेटे के रूप में उसे चारदीवारी के अंदर का प्रेमी और पति दोनों मिल चुका था जिसके साथ वह जब चाहे तब अपने बुर की प्यास बुझा सकती थी,,,,,,, कुछ दिनों से तो वह अपने पति अशोक को बिल्कुल भी भूल चुकी थी अब वह उसे मनाने या आकर्षित करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती थी और वैसे भी अब इसकी उसे जरूरत भी नहीं थी क्योंकि अशोक से बेहतर और जवान प्रेमी कहो या पति उसे मिल चुका था अशोक जी छोटे से और पतले लंड की कामना में जिसे रात रात भर करवटें बदल कर बिताना पड़ रहा था,,,
ऐसे हालात में उसे घोड़े जैसा दमदार लंड मिल चुका था तो,,,, छोटे से नुन्नी के लिए ,, भला वह ऊसे क्यो याद करती,,,,, निर्मला की बुर में अब शुभम के लंबे तगड़े और दमदार मोटाई वाले लंड का सांचा बन चुका था जिसमें अब नुन्नी के लिए कोई स्थान नहीं था।,,,,
दूसरी तरफ वैलेंटाइन बनाने के लिए शहर से बाहर गए हैं अशोक और उसकी सेक्रेटरी रीता के बीच पैसे की मांगनी को लेकर झगड़ा हो गया,,,
शहर के बाहर महंगे होटल में, दिन भर इधर उधर घूम कर शॉपिंग करने के बाद जब वह दोनों रात को होटल के रूम में रंगरेलियां मनाने के लिए गए तब कमरे के अंदर पहुंचते ही अशोक ने रीता के बदन पर के एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार फेंका,,, रीता भी अशोक के कपड़े उतार रही थी कुछ ही सेकंड में दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में रीता के गोरे बदन को चमकता देखकर अशोक के लंड में सुरसुराहट होने लगी,,,, रीता अपनी जवानी के जलवे बिखेरते हुए अधखड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, रीता की यह अदा देख कर तो अशोक एक दम मस्त हो गया वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में दोनों के बदन में सुरूर चढ़ने लगा,,,, अशोक रिता की बांह पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, और झट से उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,, सरिता का वजन 50 से 55 किलो के लगभग था लेकिन फिर भी जवानी की जोश में चुदवासा होकर अशोक ने उसे बड़े आराम से अपनी गोद में उठा लिया,,,,,, और सीधे ले जाकर पलंग पर पटक दिया नरम नरम स्पंज युक्त गद्दे पर रीता गिरते ही किसी गेंद की भांति उछल गई जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां टोकरी में रखे फल की तरह इधर-उधर होने लगी,,, जिसे अशोक अपने दोनों हाथ बढ़ाकर जल्दी से झपट लिया और उसकी टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर अपने लंड को उसकी बुर के मुहाने पर रखकर,, धीरे-धीरे बुर के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, और थोड़ी ही देर में उसका पूरा लंड रीता की बुर में समा गया,,, अशोक पूरी तरह से जोश से भर चुका था और इसी पल का इंतजार रहता कर रही थी जैसे ही वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू किया ही था कि रीता अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर एक तरह से उसे रोकते हुए बोली,,,,,

ऐसे नहीं करने दूंगी जान,,,

क्यों क्या हुआ,,, (रीता द्वारा इस तरह से रोके जाने पर अशोक झुंझलाहट भरे स्वर में बोला)

तुम अच्छी तरह से जानते हो कि आज वैलेंटाइन डे है और आज के दिन प्रेमी अपनी प्रेमिका को तोहफा देता है,,।

हां देता है तो इसमें कौन सी नई बात है ऐसा कहते हुए वह अपनी कमर को नीचे की तरफ उसे चोदने के लिए बढ़ाया ही था कि फिर से रीता ने उसकी कमर थाम ली,,,


क्या कर रही हो रीता,,,,


ऐसे नहीं करने दूंगी पहले तुम भी मुझे तोहफा दो,,,

अरे ले लेना तोहफा अब शहर से इतनी दूर तुम्हें चोदने के लिए लाया हूं चोदने तो दो,,,,

हमें जानती हूं तुम शहर से इतनी दूर मुझे इस होटल में चोदने के लिए लाए हो,,, इसलिए तो मैं तुमसे कह रही हूं कि मुझे भी बाहर जाने के रूप में आज वैलेंटाइन डे पर तोहफा तो मिलना चाहिए,,,,,


हां दे दूंगा मैं तुम्हें तोहफा लेकिन ऐसे मौके पर मुझे रोक कर मेरा मूड मत खराब करो,,,

मुझे 5 लाख का हीरों का हार बनवाना है,,,,

क्या तुम पागल हो गई हो अभी पिछले हफ्ते तो मैंने तुम्हें रुपया दिया हूं और आज फिर से तुम पैसे मांग रही हो,,,
( ₹500000 की बात सुनते ही आश्चर्य के साथ अशोक बोला,,,।)

हमें जानती हूं कि तुम मुझे पैसे दिए थे लेकिन वह मेरी जरूरत थी लेकिन आज तो मैं तुमसे तोहफे के रुप में मांग रही हुे ं मेरे राजा,,,,

तुम्हें मालूम भी है कि तुम तोहफे में क्या मांग रही हो,,,,

मैं जानती हूं और बड़े अच्छे तरीके से जानती हो कि मैं तुमसे क्या मांग रही हूं और यह मेरा तुम पर हक भी है मांगना क्योंकि मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं प्रियंका क्या तुम्हारी आधी घरवाली है जिसे तुमने अपने लिए रखेल बनाकर रखा हुआ है,,,,( रीता अपनी अदाओं का जादू चलाने लगी वह जानती थी कि,,, किस तरह से अशोक को पैसे देने के लिए मनाना है इसलिए वह जितना लंड उसकी बुर में घुसा हुआ था वह नीचे हाथ लगा कर लंड को पकड़कर हल्के हल्के बुर में ही आगे पीछे करने लगी उसकी इस हरकत से अशोक एकदम बेकाबू हो गया वह रीता को चोदने के लिए मचलने लगा,,, और उसे चोदने के लिए कैसे ही अपनी कमर को नीचे की तरफ बढ़ाया,, रीता ने फिर से उसे रोक दी और उसे रोकते हुए बोली,,,।)
ऐसे नहीं डालने दूंगी,,, मे जानती हुं की तुम्हारा लंड तड़प रहा है मेरी दूर के अंदर जाने के लिए। और सच बताऊं तो मेरे राजा मेरी बुर भी तड़प रही है तुम्हारे लंड को लेने के लिए,,,,
(रीता अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह की बातें सुनकर अशोक पागल हो जाता है उसे ऐसी बातें बहुत ही अच्छी लगती है जब उसको चुदवाते समय गंदी बातें करो तो वह उस समय कुछ भी करने को तैयार हो जाता है और इसका असर अशोक पर भी अच्छी तरह से हो रहा था,,, वह रीता की मस्ती भरी बातें सुनकर एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,,, वह रिता की बुर में अपने लंड को अंदर बाहर करके चोदने के लिए मरा जा रहा था,,,। रीता एक बार फिर से अपनी बात मनवाते हुए उसे बोली,,)
बोलो मेरे राजा मेरी ख्वाइश पूरी करोगे ना मुझे हीरे का हार बनाने के लिए ₹500000 दोगे ना,,,,
( इतना कहते हुए रीता ने अशोक के दोनों हथेलियों को अपने दोनों बड़े-बड़े खरबूजे पर रख दी जिस पर हाथ पड़ते ही अशोक से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया और उसे दबाते हुए बोला,,,।)
हां ले लेना मेरी जान मैं तुम्हें हीरे का हार बनाने के लिए पैसे दूंगा लेकिन अब मुझे चोदने दो,,,
( रीता का काम बन चुका था एक बार फिर से वहां उसे चुदवासा करके उससे पैसे ऐंठने में कामयाब हो गई,, इसलिए जिस हांथ से वह अशोक की कमर को पकड़ कर उसे रोके हुए थी,,, उसी हाथ को वह कमर से हटाकर उसके नितंबों पर रखकर ऊसका दबाव अपनीे बुर पर बढ़ाते हुए बोली,,,।

रोका किसने है मेरे राजा अपने तो अपने लंड को मेरी बुर की गहराई में मुझे मस्त कर दो,,,


इतना सुनते ही अशोक जोर-जोर से अपने लंड को रीता की बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, कमरे में रीता की सिचकारी की आवाज गूंजने लगी,,,, अशोक रीता को जोर जोर से जोर देना शुरु कर दिया पूरा कमाल दिखाते हुए रीता ने अशोक को एकदम पागल बना दी,,,, थोड़ी ही देर में वह जोर जोर से चिल्लाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी फिर उसके बाद 2,,,4 धक्को मे हीं अशोक भी अपना पानी निकाल कर उसके ऊपर भी निढाल हो गया,,,,
अशोक का लंड अपनी बुर में लेकर जोर जोर से चिल्लाते हुए चुदवाना यह रीता का बहुत बड़ा नाटक था,,,, अशोक को यह जताने की पूरी कोशिश करा देती कि उसका लंड लेकर उसे बुर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है,,,, और वह जानबूझकर गरम गरम सिचकारी अपने मुंह से छोड़ते हुए,,,, अशोक का हौसला बढ़ाते हुए यह जताने की कोशिश करती कि उसका लंड लेकर उसे चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और वह एक दम मस्त हो गई है,,, और जैसा वहां जताने की कोशिश करती थी अशोक उस पर पूरा भरोसा करते हुए और जोर-जोर से अपने लंड के धक्के उसकी बुर में लगाता था वह यही सोचता था कि रीता को उसके लंड से चोदने में बहुत मजा आता है लेकिन सच इसके विपरीत था,, रीता जेसी चुदक्कड़ औरत के लिए अशोक का छोटा और पतला लंड कोई मायने नहीं रखता था,,,, रीता को मोटे लंबे लंड से चुदने की आदत थी और मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद मिलता था,,,, अशोक के साथ वह तो सिर्फ एक नाटक ही करती थी उसके पैसे ऐंठने के लिए,,, और अब तक वह अपनी अदाओं का जादू और जबरदस्त एक्टिंग की बदौलत अशोक से लाखों रुपए ऐंठ चुकी थी,,,। हालांकि यह बात धीरे-धीरे अशोक को समझ में आने लगी थी लेकिन वह इतना ज्यादा चुदास से भरा रहता था कि रीता की हर एक अदा पर लाखों रुपए लूटाने के लिए तैयार हो जाता था वह वैलेंटाइन की रात को भी उसे पैसे देने के लिए राजी हो गया,,,

दूसरी तरफ शीतल की हालत खराब थी अब तो रात दिन उसके दिमाग में बस सुभम हीें छाया रहता था।,,, जब से शुभम ने उसे पकड़ कर उसके होठों को चुमा था और चूमने के साथ ही ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया था तब से उसके तन-बदन में उसे पाने की लालसा और ज्यादा बढ़ गई थी। उसके लंड की ठोकर को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर महसूस करके वह शुभम के लंड की ठोकर को भूल नहीं पा रही थी बार-बार उस,,,,


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