RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
बार-बार उसके लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करके वह गीली हो जा रही थी,,, वह मन में इस बात से और भी ज्यादा उत्साहित और उत्तेजित हो जा रही थी कि जब साड़ी के ऊपर से ही उसका ताकतवर लंड बुर के द्वार पर दस्तक दे देता है,, तब वह जब ऊसके नंगे लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करेगी तब उसका क्या हाल होगा,,,, यह सोचकर ही शीतल ना जाने कितनी बार पानी छोड़ दी थी। अधिकतर हालातों में औरतों का चरित्र उसकी 2 इंच की बुर में छिपी होती है जब तक उसके अंदर कुलबुलाहट नहीं होती तब तक वह एकदम सीधी सादी और संस्कारी बनी रहती है।
लेकिन जैसे ही बुर के अंदर कुलबुलाहट और खुजली मचने लगती है तब,,, औरत बुर के अंदर की खुजली मिटाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जातीे हैं,,, ठीक उसी तरह के हालात दोनों औरतों के सामने पैदा हो चुके थे और उनमें से एक औरत ने तो सारी हदें पार करके अपने बेटे से ही शारीरिक संबंध बनाकर अपनी बुर की खुजली मिटाने का सारा जुगाड़ जमा ली थी। और दूसरी उसका लंड पाने के लिए तड़प रही थी,,,, पेसे से दोनों शिक्षिका थी इसलिए कोई सोच भी नहीं सकता था कि सामाजिक स्तर पर इतने ऊंचे होद्दे पर होते हुए भी,,, दोनों औरतें अपनी वासना के आगे विवश होकर इस तरह के भी कदम उठा सकतीे हैं,,,। स्कूल में अब शीतल को अधिकतर,,,शुभम का ही इंतजार रहता था उसकी आंखें उसी को ढुंढ़ती थी,,, और इस बात का ख्याल भी रखती थी कि कहीं उसकी ताका-झांकी का पता शुभम की मम्मी निर्मला को ना हो जाए,,, ऐसे ही 1 दिन शुभम अपनी क्लास की तरफ जा रहा था तो रास्ते में ही शीतल ने उसका रास्ता रोकते हुए अपने करीब बुलाई,,,,,, शुभम के तन बदन में शीतल को देखते ही वासना की ज्वाला फूटने लगी,,,वह तिरछी नजरों से शीतल की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रहा था जो की लो कट ब्लाउज पहनने की वजह से आती चूचियां बाहर को ही नजर आती थी,,, उसकी तिरछी नजरों का निशाना शीतल अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि वह उसकी चूचियों को ही घूरता रहता है इसलिए अपना सीना कुछ ज्यादा ही उभारकर उसके सामने उससे बातें करती थी,,,, शीतल के द्वारा इस तरह से उसका रास्ता रोककर अपने पास बुलाना शुभम को भी बहुत अच्छा लगा था वह जल्दी से उसके पास जाकर बोला,,,
क्या हुआ मैडम आप मुझे इस तरह से क्यों बुला रही हो,,
मुझे तुझसे प्यार हो गया है इसलिए मैं तुझे अपने पास बुला रही हूं,,,( शीतल अपने चारों तरफ नजरें घुमा कर इस बात की पुष्टि करते हुए कि कोई उन दोनों को नहीं देख रहा है इसलिए बड़े ही मादक अदा में अपने होठों पर अपनी जीभ फीराते हुए उससे बोली,,,,, शीतल की बात सुनकर शुभम कुछ बोल नहीं पाया बस उसे आंखें फाड़े देखता ही रह गया,, शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बड़े ही कामोत्तेजित ढंग से बोली,,,) और शुभम तुम मुझे मैडम मत बुलाया करो तुम मुझे शीतल बुला सकते हो हां सबके सामने नहीं बस अकेले में जब मुझे और तुम्हें एकांत में कहीं मौका मिले तब तुम मुझे शीतल ही बुलाया करो,,,,
( शीतल की बातें सुनकर शुभम की हालत खराब होने लगी इतना तो जानता था कि शीतल उसी से चुदवाना चाहती है लेकिन उसकी मादक अदाएं और उसकी बातें उसके तन-बदन में आग लगा रही थी,,, जिसकी वजह से पेंट में उसका लंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते बड़ा ही भीषण रूप लेकर पेंट के आगे का आकार पूरी तरह से बड़ा कर दिया जिस पर नजर पड़ते ही शीतल की बुर कुलबुलाने लगी,,,, चेतन के लिए यह बड़ा ही कामोतेजना से भरपूर नजारा था क्योंकि इस तरह का बड़ा भयानक रूप धारण किया हुआ लंड वह सिर्फ शुभम के ही पेंट में देखती आ रही थी और शुभम के इस ताकतवर मर्दाना लंड नें उसकी रातों की नींद उड़ा रखी थी,,,,। इसके लिए तो शिवम के उड़ते हुए उस मर्दाना अंग को देखते ही उत्तेजना के मारे शीतल का गला सूखने लगा,,,, उसकी बुर से मदन रस चुने लगा जिसकी वजह से उसकी पैंटी भीगने लगी थी,,, उस ऊठे हुए भाग को देखकर शीतल का मन कर रहा था कि उसे अपनी हथेली में दबोच ले,,, लेकिन वह अपने मन पर काबू रखी हुई थी,,, क्योंकि यहां ऐसा करने पर किसी के देखे जाने का डर बराबर बना हुआ था वह जानते थे कि यहां कुछ भी करना उसके लिए बहुत ही खराब स्थिति को जन्म देने के बराबर था,,,, वह बराबर ऊस उठे हुए भाग पर नजर गड़ाए हुए थी,,, वह शुभम की तरह मुस्कुराहट भरी और मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,,
शुभम तुम चाहती मुझ से मिलते हो तो तुम्हारे ईस पैंट में इतना बड़ा सा क्या बन जाता है,,,,,
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