RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ऐसा मत करो जान तुम मेरे लिए सब कुछ हो,,,, तुम अच्छी तरह से जानती हो कि अब तक मैंने तुम्हारी सारी जरूरतों को पूरी करते आया हुं,,,, तुम्हारी यह जरूरत भी मैं पूरी कर दूंगा तुम इतनी जल्दी नाराज हो जाती हो यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,
अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता अशोक लेकिन क्या करें तो मुझे एकदम मजबूर कर देते हो मैंने तुम्हें सब कुछ दे चुकी हूं अपनी इज्जत तक तुम्हें दे चुकी हूं लेकिन तुम्हें मेरी जरा भी फिक्र नहीं है,,,,,
मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है रीता (इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथ से रीता की साड़ी ऊपर सरका ने लगा तो रीता ने फिर से उसका हाथ दूर झटक दी,,, )
रहने दो अशोक तुम्हें अगर मेरी जरा भी इज्जत होती मेरी बात मानते तो मुझे कब से ₹500000 दे दिए होते हीरो का हार बनवाने के लिए,,,,
तुम्हें मना कब कर रहा हूं तुम्हें देने के लिए तो तैयार हूं,,, तुम मुझे बस अभी चोदने दो मैं तुम्हें 500000 का,, चेक लिख दूंगा,,,
नहीं तुम फिर झूठ बोल रहे हो चोदने के बाद फिर भूल जाओगे,,
नहीं भूलूंगा प्रॉमिस मुझे तड़पाओ मत देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,
( यही तो रहता चाहती थी वह जानबूझकर सब कुछ कर रही थी वह अशोक को अपना खूबसूरत बदन और अपनी बुर पर उसके लंड का स्पर्श करा कर जानबूझकर उसके लंड को बाहर खींच दी थी,,,, रीता अशोक को उसकी बुर पाने के लिए एकदम विवस देखना चाहती थी जो कि वह हो चुका था,,, इसी पल का वह इंतजार कर रही थी वह जानती थी कि ऐसे मोड़ पर पहुंच कर वहं जरूर उसे पैसे देने के लिए तैयार हो जाएगा,,,, उसका चलाया तीर निशाने पर लगा था। वह फिर से अपने बातों के जादू में उसे उलझाते हुए बोली,,,।
देखो अशोक तुम तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो क्योंकि इस बार तुम अगर मुझसे झूठ बोले तो मेरा और तुम्हारा रिश्ता नहीं खत्म हो जाएगा तुमको हमारे प्यार का वास्ता है अगर इस बार तुम झूठ बोले,,,
नहीं मेरी जान मैं कभी झूठ नहीं बोलता ना आप बोल रहा हूं मैं बिलकुल सच बोल रहा हूं बस मुझे चोदने दो,,,,
तुम कहते हो तो इस बार तुम पर भरोसा करके तुम्हारी बात मान जाती हूं,,,,
प्रोमि्स मेरी जान,,, बस अपनी सारी को ऊपर करो और झुक जाओ,,,,
( रीता एक बार फिर से अपने हुस्न के जादू से अशोक से अपनी बात मनवा ली थी और जल्दी से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा कर फिर से टेबल पर झुक गई,,,, रीता की मस्त गांड देखकर अशोक से रहा नहीं गया और वह अपने लंड को रीता की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से रीता झूठ-मूठ का अशोक की चुदाई से सिसकने लगी,,,, वह जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलकर अशोक का मजा दुगना कर रही थी,,,
ओ मेरी जान रीता तुम बहुत मस्त हो मैं तुम्हारी तरह ही बीवी चाहता था तुम बहुत अच्छी औरत हो जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो तब से मेरी जिंदगी में बहार आ गई है,,,,,आााहहहहहह आहहहहहह,,,, रीता बहुत मजा आ रहा है।
हां जान मुझे भी बहुत मजा आ रहा है चुदाई का असली मजा मुझे तुम्हारे लंड से ही आता है,,,,आहहहहहहह,,, आहहहहहहहहह,,,, अशोक और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,,,
( अपनी ऑफिस में अशोक अपनी सेक्रेटरी रीता को चोदकर मस्त हुए जा रहा था रीता भी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके लंड का मजा ले रही थी,,, ऑफिस के बाकी कर्मचारी और पूरी दुनिया से बेखबर होकर दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे,,,,, कि तभी अचानक ऑफिस का दरवाजा खुला,,, रीता और अशोक की नजरें एक साथ दरवाजे की तरफ घूमी और शुभम अंदर का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया किसी भी बेटे के लिए यह नजारा बेहद आश्चर्यजनक रूप से हैरान कर देने वाला ही था क्योंकि उसका बाप ऑफिस में अपनी ही सेक्रेटरी की चुदाई कर रहा था। शुभम आंखें फाड़े ऑफिस में अपने बाप की करतूत को देख रहा था,,, उसका बाप अपनी सेक्रेटरी को चोद रहा था जो कि वह खुद टेबल पर झुकी हुई थी और उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी, और उसकी लाल रंग की पेंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,, शुभम साफ-साफ देख पा रहा था कि उसके बाप का लंड उस औरत की बुर में जल्दी-जल्दी अंदर बाहर हो रहा था,,, और वह भी समझ गया कि जिस तरह से दोनों हांप रहे थे दोनों का पानी निकलने ही वाला था,,,, अशोक के साथ-साथ विजेता भी इस तरह से ऑफिस का दरवाजा खुलने पर एकदम हड़बड़ा से गए थे,,,,, तीनों की नजरें एक दूसरे को देख रही थी यह नजारा देखकर शुभम पल भर के लिए एकदम शर्मिंदा हो गया क्योंकि उसे अपने बाप से ऐसी उम्मीद नहीं थी,,, वहां खड़ा रहना और ऐसे हालात में अपने बाप से रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर लेना उसे ठीक नहीं लगा और वह वहां एक पल भी रुकना गवारा नहीं समझा और वापस लौट गया,,, अशोक की हालत ऐसी हो गई थी कि बिना धक्के मारे ही उसका पानी निकल गया,,,,
रीता अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए आश्चर्य के साथ अशोक से बोली,,,,
यह लड़का कौन था अशोक,,,,,
( इस बार अशोक रीता पर गुस्सा होते हुए बोला)
वह मेरा बेटा था लेकिन रीता तुमने जो आज गलती की हो यह गलती मेरी जिंदगी में ना जाने कैसा तूफान लाएगी,,, तुलसी दरवाजा ठीक से बंद नहीं होता,,,,
मुझ पर चिल्लाओ मत अशोक जितनी गलती मेरी है उतनी गलती तुम्हारी भी है,,,,,, आप अपने वादे के मुताबिक मुझे 500000 का चेक लिख कर दो,,,
अभी तुम जाओ रीता मैं बाद में तुम्हें दे दूंगा अभी मेरा मूड खराब है,,,,
( रीता ऐसे हालात में पैसे मांगने पर जोर देना ठीक नहीं समझी क्योंकि वह जानते थे कि गलती उसकी है इसलिए शांति से उसकी ऑफिस से बाहर निकल गई,,,,)
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