RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपने पापा की ऑफिस से वापस लौट आया था। ऑफिस के अंदर का नजारा देखकर उसके चेहरे के हाव भाव साफ बता रहे थे कि, वह उस नजारे की वजह से हैरान और परेशान था। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और ना ही अपने पापा से इस तरह की उम्मीद थी।,,, वह रास्ते पर अपने पापा के बारे में और उस नजारे के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, अब उसे इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था कि उसे रिपोर्ट कार्ड पर उसके पापा के दस्तखत लेने थे,,,,। वह तो बल्कि एकदम सदमे में था क्योंकि जो भी हो वह अपने पापा को बहुत ही अच्छा इंसान समझता था और उन्हें बेहद इज्जत देता था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके पापा का जो चेहरा सामने आया था इस चेहरे को देख कर शुभम काफी परेशान हो गया था। अभी तक वह अपने पापा के चरित्र को लेकर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा था,,,। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह फुटपाथ के किनारे पेड़ के नीचे रखी बेंच पर बैठ गया,,, और अपने पापा के बारे में सोचने लगा उसे इस बात का ख्याल आने लगा कि उसकी मां ने उसे यह बात जरूर बताई थी कि उसके पापा उसकी मम्मी को प्यार नहीं करते ना ही उनकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं। धीरे-धीरे उसे अपने पापा के चरित्र के बारे में समझ आने लगा था। क्योंकि शुभम अब पूरी तरह से जवान होने की कगार पर पहुंच चुका था और तो और मर्दों का संबंध औरतों से किस प्रकार का होता है,,, ऐसे रिश्तो के बारे में वह अपनी मां से सीख चुका था और यह समझते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके पापा का संबंध उस औरत के साथ बिल्कुल नाजायज था,,,। धीरे-धीरे ऊसको यह समझ मे आने लगा कि उसकी मां के साथ के पापा क्यों ऐसा कर रहे हैं। क्यों उसकी मां अंदर ही अंदर इतना घूमती रहती थी आखिर क्यों इतने वर्षों से वहं प्यासी ही रह गई,,,,, आखिर क्यों उसकी मां को अपने ही बेटे से चुदने के लिए मजबूर होना पड़ा।,,,,, शुभम की आंखों के सामने बार-बार ऑफिस का नजारा घूम जा रहा था जो कि इस बात को भी झुठला या नहीं जा सकता था कि ऑफिस के अंदर का नजारा उसके बदन में गर्मी पैदा कर दिया था,,,, क्योंकि जैसे ही वह ऑफिस का दरवाजा खोला था सामने ही डेस्क पर खूबसूरत औरत गोरे बदन के तीखे नैन नक्श वाली अपने गदराए बदन को लेकर टेबल पर झुकी हुई थी,,, उसकी साड़ी ऊपर कमर तक चढ़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड साफ नजर आ रही थी। और उसकी पैंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,,, शुभम ने एकदम साफ साफ उस नजारे को देख पाया था कि उसके पापा का लंड ऊसकी बुर मे बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था और इन दोनों के चेहरे के हाव भाव को देख कर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों ऑफिस के अंदर चुदाई में पूरी तरह से मग्न होकर उस पल का आनंद उठा रहे थे,,, और तो और चुदाई की वजह से उस औरत की सिसकारी भी छुट़ रही थी,,,। उस नजारे को याद करके शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, शुभम एकदम कामोत्तेजित हो चुका था अगर ऑफिस में चुदाई कर रहे हैं उसके पापा की जगह कोई और होता तो शायद उस पल के बारे में सोच-सोच कर और ज्यादा आनंदित अपने आपको महसूस कर पाता लेकिन उस शख्सियत उसके खुद के पापा है इस बारे में जानकर उसके मन में चिंता की भावना उठने लगी थी।।,,, शुभम के मन में अब यह बात पक्के तौर पर घर कर गई कि उसके पापा ऊसकी मां को धोखा दे रहे थे,,,। शुभम अभी और कुछ सोच पाता इससे पहले ही एक स्कूटी आकर उसके सामने रुकी और उसकी स्कूटी की आवाज सुनकर वह स्कूटी की तरफ देखने लगा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ना था क्योंकि स्कूटी पर बैठीे एक खूबसूरत औरत उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी और वह कोई और नहीं बल्कि शीतल थी,,,,।
यहां क्यों बैठे हो शुभम,,,?
कुछ नहीं बस यूं ही पापा के ऑफिस आया था तो पता चला कि पापा ऑफिस में नहीं थे किसी काम से बाहर है,,,
किस काम से आए थे वह तो तुम्हें घर पर भी रोज मिलते हैं तो ऑफिस आने की क्या जरूरत थी।
रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर लेना था लेकिन मैं भूल गया इसलिए मुझे पापा के ऑफिस अाना पड़ा,,,, आज रिपोर्ट कार्ड जमा कराना था ना इसलिए,,,,।
कोई बात नहीं तुम कल भी जमा करा सकते हो,,,, आओ बैठ जाओ मैं भी वहीं जा रहीं हुं जहां तुम जा रहे हो,,,,
( शीतल की बात सुनकर उसका मन प्रसन्न हो गया इस बहाने वह शीतल के खूबसूरत बदन को स्पर्श करना चाहता था,,,, बिना एक पल गवाए वह शीतल के पीछे बैठ गया,,, ऊसका बैग पीठ पर टंगा हुआ था इसलिए उसका बदन शीतल के खूबसूरत बदन से स्पर्श हो रहा था। शीतल भी बहुत खुश थी वह स्कूटी को स्कूल की तरफ ले जाने लगी,,,, शुभम के मन में तो हो रहा था कि वह शीतल को पीछे से अपनी बाहों में भर लो लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं शीतल गुस्सा ना करें,,,, यह शुभम के मन का डर था बल्कि वह खुद भी जानता था कि शीतल उसके साथ सब कुछ करना चाहती है पर फिर भी उसे डर लग रहा था बार-बार वहां शीतल के बदन से अपने बदन को स्पर्श होने से बचा भी रहा था,,,, लेकिन सड़क पर ब्रेक मारने की वजह से बार-बार शुभम शीतल के बदन से सट जा रहा था,,,, जब जब वह शीतल के बदन से खुद का बदन स्पर्श होता महसूस करता तब तब उसके बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़नेें लगती थी।
शीतल को भी उसके बदन का स्पर्श बेहद उत्तेजक लग रहा था। शीतल अच्छी तरह से समझ रही थी कि शुभम अपने आपको बेहद असहज महसूस कर रहा है,,,, बार-बार जब भी वह स्कूटी की रफ्तार को कम करती तो शुभम का दोनों हाथ उसकी पीठ पर आ जा रहा था लेकिन वह झट से अपने हाथ को हटा दे रहा था,,,, यह देख कर शीतल के मन में शरारत सूझी और वह स्कूटी की रफ्तार को थोड़ा तेज करके एकाएक ब्रेक मारी शुभम इस यकायक लगी ब्रेक से अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे जाकर शीतल के बदन से एकदम से चिपक गया,,,, और उसके दोनों हाथ अपने आप को संभाल ले लें और इस बात का ख्याल रखने में की शीतल के बदन पर उसका हाथ ना चला जाए इस कसमसाहट भरी स्थिति में शुभम अपने आप को बिल्कुल भी नहीं संभाल पाया था और उसके दोनों हाथ सीधे जाकर उसकी चुचियों पर पड़ गए इतने से ही इस स्थिति को ना संभाल सकने की हालत में और अपने आप को बचाने की कोशिश में शुभम दोनों हथेलियों में आई शीतल की बड़ी बड़ी चूची को अनजाने में ही दबा दिया और कुछ सेकेंड तक वैसे ही दबाया रहा जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह झट से अपने हाथ को पीछे की तरफ हटा लिया,,,, शीतल की शरारत काम कर गई थी वह जितना चाहती थी उससे ज्यादा शुभम के हाथों से हो चुका था,,,, एक बार फिर से सुभम ने उसके बदन में कामाग्नि भड़का दिया था,,,, शुभम झट से अपने हाथ को पीछे हटाते हुए अपनी गलती को मानते हुए शीतल से बोला,,,
सससससस, सॉरी मैडम गलती से हो गया,,,,
इसमें सॉरी किस बात की,,,( हंसते हुए) और हां मैं तुमसे पहले ही कही हूं कि तुम मुझे मैडम नहीं शीतल कहा करो,,,,
उसे तुमने इस तरह से मेरी चूची दबाए हो,,,,,
सॉरी मैडम मेरा मतलब है कि शीतल गलती से हुआ है।
( शुभम बीच में है उसकी बात काटता हुआ बोला)
अरे हां मैं वही कह रही हूं कि यह तुम ने जानबूझकर नहीं किया है मैं तो तुम्हारे हाथों से गलती से मेरी चूची दब गई,,,
इसमें तुम्हें सॉरी बोलना नहीं चाहिए,,,,
( शीतल की बात सुनकर शुभम पूरी तरह से समझ गया कि उसके लिए लाइन पूरी तरह से क्लियर थी और शीतल जानबूझकर उसके सामने चूची जैसे शब्द का खुला प्रयोग कर रही थी ताकि शुभम उत्तेजित हो जाए,,, और ऐसा हो भी रहा था शुभम इससे पहले से ही उसके बदन के स्पर्श से उत्तेजित हो चुका था और इस बार उसकी हथेली में अनजाने मे हीं उसकी चूचियां आ जाने की वजह से उसके बदन में पूरी तरह से कामोत्तेजना की लहर फैल गई थी। जिसकी वजह से उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया था,,,,, और उसकी चुभन सीधे जाकर शीतल के नितंबों पर हो रही थी जिस की चुभन को शीतल भी साफ-साफ महसूस कर पा रही थी,,,, शुभम के लंड की चुभन की वजह से शीतल भी पूरी तरह से गन गना गई थी। उसके अनुभवी एहसास है इसका अंदाजा लगा लिया कि शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और वह उसके नितंबों पर ठोकर मार रहा है,,,,। स्कूटी चलाते समय उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से उसका बदन कसमसा रहा था,,,, वह सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए अपने बदन को इधर-उधर हल्के से कसमसाहट भरी,,,, हरकत देते हुए बोली,,,,
शुभम मेरे पीछे कुछ चुभ रहा है,,,, तू कुछ रखा है क्या?
( शीतल की यह बात सुनकर शुभम पूरी तरह से हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट में बोला,,,,)
कककक,,, कहां मैडम मैंने तो कुछ नहीं रखा हुं,,,
( इतना कहते हुए शुभम अपने आप को संभालता कि इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए शीतल ने झट से अपने एक हाथ को पीछे की तरफ लाकर,, अपने नितंबों पर ठोकर मार रहे शुभम के लंड को पेंट के ऊपर से हैं अनजान बनती हुई उसे पकड़ ली,,,, हाथ मैं आया शुभम का लंड पेंट के ऊपर से ही उसका आकार बड़ा भयंकर लग रहा था। जिसका एहसास शीतल की बुर में सुरसुराहट भरी गुदगुदी मचा गया,,,, शीतल एक हाथ में शुभम के लंड को पूरी तरह से दबोचे हुए थी। और जानबूझकर उसे कसकर दबाते हुए बोली,,,।
यह क्या रखे हो शुभम बहुत चुभ रही है,,,,।
( शीतल की यह हरकत और उसकी बात सुनकर शुभम क्या बोलता वह तो एकदम शर्मिंदा हो गया था,,, शर्मिंदगी के एहसास के साथ-साथ पूरी तरह से उत्तेजित भी हो गया था,,, शीतल की यह बात सुनकर वहां हड़बडातेे हुए बोला,,,।)
ययय,,, ये ये ये,,, मैडम यह मेरा,,,,
( शुभम इससे आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही शीतल पीछे एक नजर मारते हुए बोली,,।)
क्या यह,,,, यह,,,, यह,, लगा रख,,,,,( इतना कहते ही उसकी जबान जैसी अटक सी गई,,, यह सिर्फ शुभम को जताने के लिए कर रही थी बल्कि वह तो जानती थी यह सब उसका नाटक ही था,,, ।)
सससससस,, सॉरी,,,, शुभम यह तो तुम्हारा,,,,, लंड है,,, ( लंड शब्द धीरे से बोली और आगे देखने लगी,,,
शीतल मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसका रोम रोम पुलकित हो गया था,,,,। उसे आज बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह शुभम के साथ इतना कुछ कर लेगी लंड की मोटाई का एहसास अभी तक उसके बदन को झनझनाना दे रहा था,,,, शुभम शीतल के बदन से कितना दूर होने की कोशिश कर रहा था वह सऱक कर उतना और ज्यादा उससे चिपक जा रहा था,,,, शीतल को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था यह कैसे हो गया,,, उसका अंग अंग मस्ती से चूर हो चुका था। जिस लंड को वह अपनी हथेली में महसूस करके इतना मस्त हो चुकी थी वह उस लंड को बुर के अंदर रगड़ता हुआ महसूस करने के लिए तड़पने लगी,,, देखते ही देखते स्कूल आ गया और स्कूटी को खड़ी करते हुए वह मासूम बनने का नाटक करते हुए शुभम से बोली,,,,
सॉरी शुभम मुझे मालूम नहीं था की जो चीज मुझे चुभ रही है वह तुम्हारा,,,,लं,,,,( अपनी नजरें नीचे झुका कर शर्माने का नाटक करते हुए)लंड है,,,,
कोई बात नहीं शीतल इसमें तुम्हारी गलती नहीं है जो भी हुआ अनजाने में हुआ,,,( इतना कहकर वह मुस्कुराता हुआ स्कूल की तरफ चल दिया और शीतल उसे जाते हुए देखती रही,,)
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