RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक अपनी बीवी निर्मला के व्यवहार से थोड़ा सा परेशान था उसे उसके बदलते व्यवहार के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इस समय उसके लिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी बल्कि उसका सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि शुभम ऑफिस वाली बात कही उसकी मां से ना बता दे,,, लेकिन कुछ दिन तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ कि जिससे लगे कि शुभम ने उसकी मां से सब कुछ बता दिया हो सब कुछ नॉर्मल ही चल रहा था इस बात से उसे बेहद खुशी हुई और वह शुभम के कमरे में जाकर उसे धन्यवाद देते हुए बोला,,
शुभम तूने जो मेरे लिए किया है वह शायद कोई भी बेटा अपने बाप के लिए नहीं कर सकता,,,, इसलिए मुझे तुझ पर बहुत गर्व होता है,,,,,
पापा इसमें थैंक्स बोलने वाली कोई बात नहीं है जो कुछ भी मैंने किया वह आपकी और पूरे घर की भलाई के लिए मैंने किया,,, क्योंकि यह बात मम्मी को पता चलती तो शायद ऊन्हे बहुत दुख होता है और घर का माहौल भी बिगड़ सकता था।,,,( शुभम अपने पापा की आंखों में देखते हुए बोला)
तू बहुत समझदार है बेटा इसलिए ऐसी बात को छुपा दे क्या वरना कोई भी होता अपनी बात को ऐसी अवस्था में देखकर वह अपनी मां से जरूर बता देता,,,, इसलिए तो मैं तुझे थैंक्स कहने आया हूं कि तूने मेरी इज्जत रख ली और इसी घर में शांति भी कायम रखने में पूरी मदद किया इसलिए मैं तुझसे वादा करता हूं कि चाहे कुछ भी हो मैं तेरा साथ जरूर दूंगा चाहे कोई भी हालात हो,, मैं पूरी तरह से तेरे साथ रहूंगा भले ही तू उस समय गलत क्यों ना हो,,,,
( शुभम अपने पापा की बात सुनकर बेहद खुश हो रहा था उसकी खुशी के पीछे बहुत बड़ा कारण था क्योंकि वह जानता था कि आज नहीं तो कल उसके और उसकी मम्मी के बीच में शारीरिक संबंध के बारे में उसके पापा को जरूर पता चलेगा और वह उस समय ऑफिस वाली बात का फायदा अपने बाप से उठाते हुए अपनी सारी गलतियों पर पर्दा डाल देगा और अशोक को भी अपना मुंह बंद रखना होगा,,,, शुभम अपने बाप की बात सुनकर खुश होता हुआ बोला।)
आप सच कह रहे हो पापा,,,,
हां बेटा मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,, तुझे अभी कुछ चाहिए तो बोल मैं तुझे अभी वह चीज ला कर देता हूं तेरी जेब खर्च सब कुछ जिसकी कोई लिमिट नहीं है,,, हां लेकिन इस बारे में भी तेरी मम्मी को पता नहीं लगना चाहिए वरना वह खामखा तुझ पर नाराज होगी,,,, बोल तुझे कुछ चाहिए,,,,,
नहीं पापा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि उसका जवाब आप बिल्कुल सच सच देना,,,,
( शुभम की बात सुनते ही अशोक के चेहरे पर परेशानी के बाल साफ नजर आने लगे वह समझ नहीं पा रहा था कि उसका बेटा उससे क्या पूछना चाहता है लेकिन फिर भी वह जवाब देने के लिए तैयार था क्योंकि इनकार करने का कोई भी कारण उसके पास नहीं था इसलिए वह बोला,,,।)
पूछो क्या पूछना चाहते हो मैं तुम्हें इनकार भी नहीं कर सकता,,,
मैं जानता हूं कि आप इनकार नहीं कर सकते इसलिए तो मैं एक ही बात पूछ रहा हूं क्योंकि पूछना नहीं चाहिए और खास करके अपने ही बाप से,,,,
( शुभम मुस्कुराते हुए बोल रहा था और अपने बेटे की बात सुनकर अशोक को उसकी बात में एक छुपी हुई धमकी का एहसास हो रहा था लेकिन इस समय अशोक मजबूर था इसलिए उसके सारे नखरे सहने में ही उसकी भलाई थी,,,,।)
पूछो,,,,,
पापा वैसे तो मैं पूछना नहीं चाहता लेकिन मेरे मन में ढेर सारे सवाल उमड़ रहे हैं जिसका जवाब सिर्फ आप ही दे सकते हो और ना चाहते हुए भी मुझे आपसे सवाल करना पड़ रहा है,,।
( अशोक हां में सिर हिला दिया जैसे कि कोई विचारमग्न में तल्लीन हो चुका था।,, शुभम के मन में भी इतनी चाहत हो रही थी क्योंकि जो सवाल वह अपने बाप पर करने जा रहा था इस तरह का सवाल शायद ही कोई बेटा अपने बाप से किया हो इसलिए उसे शर्म से भी महसूस हो रही थी लेकिन वहां उस ऑफिस वाली औरत से संबंध बनाने का असली कारण अपने बाप के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह शरमाते हुए बोला,,,,।)
पापा वैसे तो ऑफिस के अंदर जो मैंने देखा वह मुझे नहीं देखना चाहिए था लेकिन जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ रातों में रिपोर्ट कार्ड पर आपके दस्तखत कराने ऑफिस जाता और ना ही मैं उस दृश्य को देखता,,,, और ना ही मेरे मन में इस तरह के सवाल उत्पन्न होते,,,,
कैसे सवाल तुम सीधे-सीधे पूछो इस तरह से बात को गोल-गोल क्यों घुमा रहे हो,,,( अशोक थोड़ा नाराजगी दर्शाते हुए बोला,,।)
मैं यही पूछना चाहता था कि मम्मी इतनी ज्यादा खूबसूरत है लेकिन फिर भी आप उस ऑफिस वाली औरत के साथ उस तरह के संबंध क्यों रख रहे थे,,,, जबकि वह मम्मी की खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं थी,,,,।
( शुभम के सवाल को सुनकर अशोक की भाौवे तन गई,,, उसे कुछ पल के लिए तो समझ में नहीं आया कि शुभम यह क्या पूछ रहा है इसका जवाब देना शायद अशोक के बस में नहीं था इसलिए वह बोला।)
यह कैसा सवाल है यह कोई सवाल तो नहीं हुआ,,,,
यही तो सवाल है पापा,,,,
नहीं बेटा यह कोई सवाल नहीं हुआ और अभी यह सब जानने के लिए तुम्हारी उम्र छोटी है वैसे भी मुझे देर हो रही है मुझे ऑफिस जाना है,,,,।
पापा यह कोई बात नहीं हुई और मेरी उम्र अब छोटी नहीं है अगर मेरी उम्र छोटी होती तो मैंने जो ऑफिस में देखा सबकुछ मम्मी को बता दिया होता तो आप की खातिर मैं यह राज को राज ही रखा हूं,,,, अगर आप मेरे सवालों का ठीक ठीक जवाब नहीं देंगे तो शायद यह राज,,, राज नहीं रह जाएगा,,,
तो तुम मुझे धमकी दे रहे हो,,,,,( अशोक के चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे।)
धमकी नहीं दे रहा हूं पापा बस में सच्चाई जानना चाहता हूं क्योंकि जो आप कर रहे हैं यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है,, इसलिए मैं जानना चाहता हूं कि मम्मी जितनी खूबसूरत औरत होने के बावजूद भी आप दूसरी औरतों के पास क्यों जाते हैं,,,,,।
( अशोक हैरान था शुभम के सवाल और इस उम्र में उनकी इस तरह की बातें सुनकर अशोक को भी अब ऐसा लगने लगा था कि वास्तव में तो बहुत छोटा नहीं रह गया था क्योंकि जिस तरह कि वह बातें करता था एक बच्चा नहीं कर सकता था। अशोक किसी भी तरह से बात को टालने में लगा हुआ था इसलिए वह फिर से बोला,,,,।)
बेटा मैं तुझ से बता नहीं सकता,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तू अपनी मम्मी के बारे में आप उससे जुड़ी किसी भी प्रकार की बातों को सुनने के लिए तेरी उम्र ठीक है।
पापा मैं कह रहा हूं ना कि मैं अब बच्चा नहीं रहा जब मैं आपके राज को राज रख सकता हूं तो उस राज्य से जुड़ी हर बात को सुनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं और वैसे भी अपने राजदार से कोई भी बात राज नहीं रखनी चाहिए।
तेरी बातें सुनकर ऐसा लगने लगा है कि तू सच मे बड़ा हो गया है,,,,। लेकिन क्या तू अपनी मम्मी के बारे में उस तरह की बातें सुन लेगा,,,,
नहीं मैं अपनी मम्मी के बारे में इस तरह की बातें कभी नहीं सुन पाऊंगा लेकिन हां अगर यह बात आप कहेंगे तो जरूर मुझे सुनना पड़ेगा,,,, बाहर हाल अगर यह सारी बातें कोई और करता तो शायद में एक ही मुक्के में उसका मुंह तोड़ दिया होता,,, इसलिए आप निश्चिंत होकर बताइए और एक दोस्त की तरह ना की बाप की तरह क्योंकि जब बच्चे बड़े हो जाएं तो बाप को चाहिए कि वह अपने बेटे के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करें,,,,,
( शुभम की बातें और उसकी दिमाग में चल रही कोलाहल को देखते हुए अशोक को बड़ी हैरानी हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह मासूम सा दिखने वाला शुभम इतनी सारी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर ले रहा है उसे समझ में आ रहा था कि शुभम जैसा दिखता है वैसा बिलकुल भी नहीं है यह बहुत ही चालाक और बड़ा हो गया है,,, इसके सवाल को टाल देना अब उसके बस में नहीं था वह जानता था कि शुभम अपने सवाल का जवाब उससे पाकर ही रहेगा और कोई समय होता तो शायद वह उसे थप्पड़ मारकर उसे चुप करा सकता था लेकिन इस समय शुभम उसका बहुत ही गहरा जानता था जो कि उसकी जिंदगी में तबाही ला सकता था इसलिए उसे जैसा वह कहता था वैसा ही उसे करना था क्योंकि यही उसकी मजबूरी थी इसलिए वह बोला,,,।)
बेटा मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह की बातें सुनो लेकिन जब तुम जिद कर रहे हो तो मैं तुम्हें सब बता देता हूं लेकिन ध्यान रहे कि मेरे और तुम्हारे बीच में यह सारी बातों का पता किसी और को ना चले वरना गजब हो जाएगा,,
आप फिकर मत करो पापा मैं तुम्हारा हर राज अपने सीने में दफन रखूंगा,,,,,
बेटा जिस तरह से तू कह रहा है कि तेरी मम्मी बहुत ही खूबसूरत है यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन सिर्फ खूबसूरती से ही मर्दों का पेट नहीं भरता,,, तेरी मम्मी हर तरह से बिल्कुल परफेक्ट है लेकिन तू शायद नहीं जानता कि तेरे मम्मी बिस्तर पर एकदम ठंडी है जो कि औरत को नहीं होना चाहिए खास करके अपने ही पति के साथ,,,,
( शुभम अपने पापा की बात को बड़े गौर से सुन रहा था वह अपने बात की कही गई बात का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन कुछ ना समझ पाने का नाटक करते हुए वह अपने पापा से बोला,,,।)
बिस्तर में ठंडी,,,,,,, मैं कुछ समझा नहीं पाता जरा आप खुलकर समझाएंगे,,,,
बेटा मैं तुझे कैसे समझाऊं खुलकर बोलने जैसा मुझे नहीं लगता कि कुछ भी है तू बस समझ जा,,,,
पर पापा मुझे आपकी कही गई बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही है तो मैं कैसे समझा जांऊ,, क्या बात कुछ गंदी तरह की है,,,,।
हां,,,,, ( अशोक तपाक से बोला)
तो क्या हुआ पापा वैसे भी तो अब हम दोनों दोस्त हैं और दोस्त में इस तरह की बातें तो होती रहती हैं आप बिना किसी बात का संकोच किए बिना सब कुछ बताइए वह भी खुलकर जैसे कि एक दोस्त अपने दोस्त को बताता है।
शुभम तू पागल हो गया है भला एक बाप अपनी बेटी से इस तरह की गंदी बातें और वह भी तेरी मां के बारे में कैसे कर सकता है,,,।
ऑफिस में किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं और वह भी चालू समय में लेकिन वही बात जो कि अपने ही राजदार को बताने में आपको शर्म महसूस हो रही है,,,
लेकिन पापा यह बात भी आप अच्छी तरह से समझ लो कि ऑफिस वाली बात को मुझे मम्मी से बताने में किसी भी प्रकार की शर्म महसूस नहीं होगी मैं सब कुछ बता दूंगा जो मैंने देखा,,,,।
शुभम तुम मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहे हो,,
फायदा तो आप उठा रहे हैं मेरी मम्मी के भोलेपन का उसके संस्कार का उसके विश्वास का और उसके समर्पण का,,,,
( अशोक समझ गया कि शुभम बिल्कुल भी मानने वाला नहीं है इसलिए वह तंग आकर बोला।)
तुम नहीं मानोगे तो सुनो,,,, तुम्हारी मम्मी को कुछ भी नहीं आता मर्दों को कैसे खुश रखा जाता है ईस कला को,,, औरत होने के बावजूद भी उसे नहीं मालूम,,, जब भी मैं उसे चोदने के लिए उसके कपड़े उतारता हूं तो वह अपनी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देती बस एक निर्जीव शरीर की तरह पड़ी रहती है मुझे ही सब कुछ करना पड़ता है,,,( शुभम की जीद के आगे आज वह पहली बार अपने पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुन रहा था शुभम के कहे अनुसार अशोक बेहद अश्लील शब्दों में वर्णन कर रहा था,।) उसके ब्लाउज से लेकर के उसकी पैंटी तक मुझे ही उतारनी पड़ती हैं,,,, वह बस शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लेती है तो शायद यह सब बातों के लिए अभी बच्चा है जब बड़ा हो गया तो तुझे खुद समझ में आ जाएगा कि एक आदमी औरत के साथ क्या चाहता है वह बिस्तर पर जब औरत के साथ संबंध बनाने को होता है तो वह औरत की तरफ से किसकी प्रतिक्रिया की आशा रखता है,,,,,( अशोक शुभम के सामने सिर झुका कर सब कुछ बोले जा रहा था और यह सब सुनने में शुभम को मजा भी आ रहा था।) तेरी मम्मी कुछ भी नहीं करती ना तो वह मुझे अपनी बांहों में करती है ना ही मुझे चुम़ती है,,,,, और तो और वहां अपने मुंह से संबंध बनाते समय एक भी शब्द मुझे प्रोत्साहित करने के लिए नहीं बोलती,,,,।
( अशोक अपने मन की भड़ास निकाली जा रहा था लेकिन जिस तरह की बातें हो आप उसकी मां के बारे में बता रहा था यह सब से बम को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि बिस्तर पर शुभम के साथ उसकी मां बिल्कुल भी ठंडी औरत की तरह प्रतिक्रिया नहीं करती बल्कि वह तो इस तरह की प्रतिक्रिया करती है कि ऐसा लगता है कि जन्मों की प्यासी हो,,, ) तुझे शायद नहीं पता शुभम मर्दों को तब और ज्यादा आनंद आता है जब औरत उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती है,,,( अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुभम की भौंवे तन जा रही थी,,,। ) लेकिन शुभम शादी के इतने साल गुजर गए लेकिन आज तक तेरी मम्मी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसी,,, जब कभी भी मैं उसे जोर जबरदस्ती करके उसके मुंह में अपना लंड डालकर उसे चुसवाने की कोशिश करता भी हूं तो वह उल्टी कर देती है,,
तू सोच भी नहीं सकता कि मैं किस तरह से अपने दिन गुजार रहा हूं एक खूबसूरत औरत का पति होने के बावजूद भी औरत का शौक मुझे नहीं मिल पाता,,,, तेरी मां सामने से कभी भी मुझे चोदने के लिए नहीं बोलती जब भी कुछ भी करना होता है तो मुझे ही करना पड़ता है,,,।
( शुभम अपने पापा की बात सुनकर सोच रहा था कि उसके साथ तो बिल्कुल उल्टा होता है उसकी मां तो खुद ही पहले से ही उससे चुदने के लिए तैयार रहती है। )
जिस औरत को तु ओेफीस मे देखा,,, उसे मुझे कुछ भी नहीं बताना पड़ता और ना ही कुछ सिखाना पड़ता है,,, उसे सब पता चल जाता है कि कब मुझे क्या करवाना है तू शायद नहीं जानता कि ऑफिस में भी मैंने उसे नहीं बुलाया था वह खुद ही आकर के मुझ से चुदवाने लगी,,,, मर्दों को कैसे खुश किया जाता है या वह औरत अच्छी तरह से जानती है और वह मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर देती है यही कारण है कि मुझे इस तरह से दूसरी औरत के साथ बाहर संबंध रखना पड़ता है।
( अशोक की बात सुनो बड़े गौर से सुन रहा था उसे अपने पापा की बात सुनकर मजा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से वहां उसकी मां को ठंडी औरत बता रहे थे उसके जी में तो आ रहा था कि वह साफ-साफ कह दे कि तुम्हारे छोटे लंड से चुदने मैं उसे बिल्कुल भी मजा नहीं आता,,,,। वह अब मेरे मोटे और लंबे लंड से चुदकर एक दम मस्त हो गई है,,,। लेकिन ऐसा कहना बिल्कुल भी ठीक नहीं था इसलिए वह बोला,,,)
पापा अगर ऐसी बात है तो आपको मम्मी के साथ मिलकर खुलकर यह सब बातों पर चर्चा कर लेनी चाहिए थी ताकि मम्मी भी दूसरी औरतों की तरह तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर सके,,,
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