Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जैसे ही निर्मला ने शुभम को उस जगह को ऊंगली के निर्देश से दिखाने लगी जहां की पहली बार कार के अंदर उन दोनों ने अपने मां बेटे की पवित्र रिश्ते को खत्म करके आपस में शारीरिक संबंध बनाया था। उस जगह पर नजर पड़ते ही निर्मला के साथ-साथ शुभम के बदन में भी उत्तेजना की गुदगुदी होने लगी। शुभम की आंखों के सामने उस रात को भी था एक एक पल किसी फिल्म की तरह आंखों से गुजरने लगा। निर्मला जी उस जगह पर नजर पड़ते ही रोमांचित हो उठी।,,,, निर्मला अपनी कार की रफ्तार को एकदम धीमी कर दी दोनों की नजर बराबर ऊस. घने पेड़ के ऊपर टिकी हुई थी। तभी अचानक निर्मला कार को साइड में लगाकर कार खड़ी कर दी और तुरंत कार से बाहर आ गई अपनी मां को इस तरह से कार के बाहर ज्यादा देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और वह भी कार से उतरकर बाहर खड़ा हो गया,,,,।

हाईवे पर आती-जाती कार अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी इसलिए किसी का भी ध्यान इन लोगों पर नहीं था। वैसे भी अगर किसी का भी ध्यान इन लोगों पर पड़ता इस बात की फ़िक्र इन दोनों को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि कोई भी इस तरह से हाइवे के किनारे कार खड़ी करके हरियाली का नजारा लेता रहता था। वैसे भी हाइवे के किनारे काफी खली झाड़ियां उगी हुई थी जो कि बेहद आंखों को ठंडक प्रदान करने वाली भी लगती थी। दोनों सड़क के किनारे खड़े होकर उस घने पेड़ की तरफ देख रहे थे जंगली झाड़ियां होने की वजह से हवाएं एकदम ठंडी बह रही थी और वैसे भी सुबह का समय था इसलिए इधर का नजारा काफी खूबसूरत लग रहा था। तेरी चलती हवाओं के साथ साथ निर्मला के रेशमी मखमली बाल भी हवा से उलझ रहे थे। बार-बार निर्मला के बालों की लट है उसके गोरे गालों पर झूम जा रही थी जिसे निर्मला अपनी नाजुक उंगलियों के सहारे कान के पीछे ले जा कर उन्हें शांत करने की कोशिश करती थी लेकिन हवा इतनी बेशर्म थी कि बालों के साथ-साथ उसके कंधे पर से उसका आंचल भी खींच ले रही थी जिसकी वजह से कुछ पल के लिए उसकी भरावदार छातिया ऊजागर होकर अपनी खूबसूरती बिखेरने लगती थी। लेकिन इस खूबसूरती का रसपान केवल शुभम ही कर पा रहा था क्योंकि निर्मला के ऊपर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा था वैसे भी हाईवे पर अभी गाड़ियों की भीड़ नहीें थी इक्का-दुक्का गाड़ियां ही गुजर रहे थी।,,,, बार-बार बेशर्म हवाएं पूरी ताकत लगाकर निर्मला के साड़ी के पल्लू को उसके कंधे से हटा दे रही थी,,,

मानव की ऐसा लग रहा था कि यह हवाएं भी निर्मला की बड़ी बड़ी चूचीयों के दर्शन करना चाह रही हो और जबरदस्ती उसका पल्लू हटाकर अपनी नजरें गड़ाने की कोशिश कर रही हो। हवाओं का कोई आकार नहीं था वरना सचमुच यह कामातुर हो चली हवाएं निर्मला को अपनी बाहों में जकड़ कर अपने अंग को उसके कोमल अंग में ऊतार दीया होता।,,, कभी हवा का एक तेज झोंका इतनी तेजी से निर्मला के बदन से टकराया की,,, झोंके के साथ हवा का पूरा गुबार निर्मला के पैरों पर इतनी जोर से टकराया की सारी की सारी हवा पैरों से टकराकर उपर की तरफ उठी जिसकी वजह से निर्मला की साड़ी हवा के साथ ऊपर की तरफ उठने लगी और एकाएक उसकी गाड़ी उठकर जांघो तक आ गई,,, निर्मला की जागो तक का बदन पूरी तरह से नग्नावस्था में नजर आने लगा कुछ पल के लिए निर्मला टांगो से बिल्कुल नंगी हो गई,,,, किसी दूसरे की नजर पड़ती इससे पहले ही निर्मला झटलसे अपनी साड़ी को नीचे की तरफ दबाकर वापस अपनी टांगों को ढंक ली। हाईवे पर आते-जाते किसी की भी नजर इस बेहद अतुल्य और दुर्लभ नजारे पर नहीं पढ़ी थी लेकिन शुभम हवाओं की इस गुस्ताखी को देख चुका था वह देख चुका था कि हवा के झोंके ने किस तरह से उसकी मां की टांगो और जांघों को एकदम नंगी कर दिया था,,, शुभम के चेहरे पर यह नजारा देखकर मुस्कुराहट फैल गई,,,। इस बेशर्म हरकत में हवा की गुस्ताखी थी इसलिए शुभम नाराज नहीं हुआ अगर हवा की जगह कोई और होता तो शुभम कब का आग बबूला हो गया होता। कुछ सेकंड के लिए साड़ी उठने की वजह से निर्मला भी पूरी तरह से झेंप गई थी और अपने चारों तरफ नजर दौड़ाकर यह तसल्ली कर रही थी कि किसी की नजर तो नहीं पड़ी,,, हालांकि किसी की भी नजर उस पर नहीं पड़ी थी इस बात से उसे राहत महसूस हुई। लेकिन ऐसा लग रहा था कि हवाओं को जो नजारा देखने का अरमान था उसमें यह हवाएं कामयाब हो चुके थे। हवाओं की इस गुस्ताखी को को देख कर तो ऐसा ही लग रहा था कि वह लोग भी निर्मला के नंगे जिस्म का रसपान करना चाहते थे उसके जिस्म को छूकर गुजारना चाहते थे। और निर्मला के खास अंग की गर्माहट को अपनी शीतल लहरों पर महसूस करना चाहते थे और इसमें भी यह गुस्ताख हवाएं कामयाब हो चुकी थी। क्योंकि निर्मला को अपनी जांघों के बीच अपनी तपती हुई रसीली बुर पर हवा का झोंका लगने से ठंडक महसुस हो रही थी। यह हवाएं निर्मला की बुर को ही चूमना चाहती थी। और जैसे ही इन हवाओं का मकसद पूरा हो गया वैसे ही तेज चलने वाली हवाएं एकाएक एकदम शांत हो गई। वैसे भी हर शख्सियत की इच्छा औरत की टांगों के बीच चुंबन लेने की ही होती है। शुभम अपनी मां की हालत पर गौर करते हुए उसे छेड़ते हुए बोला।


मम्मी यह हवाएं भी तुम्हारे नाम के जितने का दर्शन करना चाहती थी तुम्हारी बुर देखना चाहती थी और देखो कैसे तुम्हारी साड़ी उठाकर और बुर देखकर सरपट यहां से भाग गई,
( अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर निर्मला एकदम से शर्मा गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली)

धत्त पागल कुछ भी बोलता रहता है बातें बनाना तो कोई तुझसे सीखे,,,,

अरे सच कह रहा हूं मम्मी तभी तो देखो हवा केसे शांत हो गई जब तक तुम्हारी बूर नहीं देखी थी, तब तक इतनी तेजी से बह रही थी।


चल अब बस भी कर यह हवा खुद नहीं देखना चाहती थी यह तुझे दिखाना चाहती थी क्योंकि बहुत देर से मेरे बेटे ने मेरी बुर के दर्शन नही किए हैं।,,,( तभी निर्मला उस घर में पेड़ को देखते हुए) जरा देखो तो यह पेड़ कितना घना है और इसके नीचे की जमीन कितनी हरी-भरी है जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी नहीं दिख रहा है चारों तरफ बड़ी-बड़ी घांसें ही नजर आ रही है। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों ने इस पेड़ के नीचे इतनी घनी झाड़ियों में रात बिताई थी।


हां मम्मी सच कह रही हो तुम देखो तो सही कितना घना है और रात में और तूफानी बारिश में तो यह और भी भयानक लग रहा होगा उस समय तो हम दोनों मे से कीसी ने भी ईस पर गौर ही नही कीया ।

सच कह रहा है तू,,,, ( इतना कहकर निर्मला एकदम शांत होकर उस जगह को देखने लगी जहां पर उन दोनों ने कार के अंदर तूफानी बारिश में रात गुजारी थी और निर्मला ने जिंदगी में पहली बार अपनी मर्यादाओं की चादर को अपने ऊपर से दूर करके अपने ही बेटे के मोटे लंड को अपनी बुर मे लेकर चुदाई के परम आनंद को महसूस की थी।,,, निर्मला के साथ-साथ शुभम के लिए भी वह पल एकदम अविश्वसनीय था। क्योंकि शीतल की पार्टी में जाने से पहले दोनों को बिल्कुल भी ऐसा आभास नहीं था कि रास्ते में उन दोनों के साथ इस तरह की सुखद घटना हो जाएगी। निर्मला तो मन ही मन उस पल को बार-बार धन्यवाद देती है क्योंकि उस पल में ही उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया था। दोनों एक टक उसी तरफ देखे जा रहे थे। निर्मला और शुभम दोनों मां बेटे के लिए वह घना पेड़ और उसके नीचे फेलीे जंगली झाड़ियां इस समय किसी पर्यटक स्थल से कम नहीं लग रहा था।,, वह दोनों मां बेटे ऊस स्थल को देखने में मशगूल थे कि तभी उनके करीब से एक ट्रक होरन बजाता हुआ गुजरा और उनकी आवाज सुनकर दोनों की तंद्रा भंग हुई,,,,, तो निर्मला बोली,,,, काफी समय हो रहा है चल गाड़ी में बात करते हैं और इतना कहने के साथ दोनों वापस कार में बैठ गए और निर्मला गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी,,,, गाड़ी फिर से हाईवे पर भागने लगी। निर्मला के चेहरे पर संतुष्टि भरा अहसास साफ झलक रही थी। कुछ देर तक दोनों खामोश रहे ऐसा लग रहा था कि मानो वे दोनों उस रात के एहसास को इस समय अपने अंदर महसूस कर रहे हो, और करे भी क्यों नहीं वह पल इन दोनों के लिए बेहद उन्मादक और अद्भुत था। ऐसा कुछ हो जाएगा इन दोनों को बिल्कुल भी आशा ही नहीं थी।


शुभम को क्या मालूम था कि उसका कुंवारापन उसकी मां के ही हाथों से टूटना लिखा था। और निर्मला भी इस बात से कहां वाकिफ थे कि जिंदगी की दोबारा शुरुआत उसके ही बेटे के हाथों से शुरू होगी क्या पता था कि उसकी बुर में उसके खुद के बेटे का मोटा लंड घुसने वाला है और वह अपने ही बेटे के लंड से चुद कर संतुष्टि का अनुभव करेगी। गाड़ी अपनी रफ्तार से हाईवे पर भागे चली जा रही थी सब कुछ पीछे छूटता चला जा रहा था तभी निर्मला बोली,,,,

सच बताऊं तो शुभम मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता होने के बावजूद भी एक मर्द और औरत का रिश्ता कायम हो चुका है।

पति पत्नी जैसा,,,( शुभम तपाक से बोला)

हां ऐसा ही तू सच कह रहा है । देखना,,,,, जो संतुष्टि जो सुख तेरे पापा मतलब कि मेरे पति नहीं दे सके वह तू दे रहा है। जो सुख जो एहसास एक पति को अपनी पत्नी को देना चाहिए,,

उस तरह का एहसास और सुख मुझे अपने बेटे से मिल रहा है। अब तो लगता ही नहीं है कि तू मेरा बेटा है मुझे तो तुझ में मेरा प्रमीं मेरा पति नजर आता है। जिस तरह से हम दोनों आपस में इतना खुल चुके हैं इस तरह से तो एक प्रेमी प्रेमिका या पति और पत्नी ही खुलते हैं।,,,,( स्टेरिंग पर अपनी हथेली का पकड़ जमाते हुए) सच शुभम मैं बहुत खुश हूं अच्छा ही हुआ कि ऊस रात कार में हम दोनों के बीच जो नहीं होना चाहिए था वह हो गया,,, और इसीलिए मैं आज इस तरह की जिंदगी जी सकने में सक्षम हो गई हो,,।

उस रात कार में जो कुछ भी हुआ वह भला कैसे नहीं होता,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही शुभम बोला) जरा तुम ही सोचो मम्मी बरसती बारिश में हाइवे के किनारे घने पेड़ के नीचे जंगली झाड़ियों के बीच कार के अंदर अगर एक खूबसूरत औरत और एक जवान लड़का हो तो क्या कुछ नही हो सकता।

इसका मतलब तुझे मालूम था कि यह सब होने वाला है।
( निर्मला आश्चर्य के साथ बोली)

नहीं ऐसा कुछ तो लगा नहीं था।,, लेकिन मम्मी तुम ही सोचो जब एक खूबसूरत औरत यह कहे कि उसे पेशाब लगी है तब तो उस जवान लड़के का इतना सुनते ही उसके बदन में ना जाने कैसे-कैसे अरमान मचलने लगे होंगे।


उस समय तुझे ऐसा ही लग रहा था क्या?

और क्या जरा तुम ही सोचो यह कैसा लड़का जिसने कभी जिंदगी में औरत की खूबसूरत बदन को नग्नावस्था में ना देखा हो और ऐसे लड़के के सामने एक खूबसूरत औरत पेशाब लगने की बात करें जो कि औरत कभी भी मर्दों के सामने नहीं कहती है,,, खास करके अपने ही बेटे के सामने,,, और तो और जब उसके ही आंखों के सामने साड़ी उठाकर अपने खूबसूरत अंग को दिखाते हुए,,,, अपनी रसीली बुर से पेशाब की धार को बड़ी तेजी से मारने लगे,,, तो उस नजारे को देखने वाले लड़के पर क्या बीत रही होगी,,,,
( शुभम जिस तरह से उस रात को हुई घटना के बारे में उत्तेजित होकर बता रहा था यह देखकर निर्मला के तन-बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे भी अपने बेटे की यह बात बड़ी ही रोमांचकारी लग रही थी। )


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-01-2020, 03:04 PM

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