Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:14 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कमरे के अंदर का नजारा बेहद उन्मादक और कामोत्तेजना से भऱता जा रहा था।,,, बेहद प्यासी और भरावदार बदन वाली उत्तेजनात्मक स्थिति में बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसके करीब ही, जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही,, जवानी के रस को चखने के लिए बेकरार उसका जवाब भांजा बैठा हुआ था जो कि,, ओके खूबसूरत और कामाग्नि भड़काने वाले बदन के हर एक कटाव और उभार को कपड़ो के ऊपर से भी बड़ी आसानी से देख पा रहा था।,,, शुभम की प्यासी न करें सर से लेकर पांव तक अपनी मामी के खूबसूरत बदन पर फिसलती जा रही थी,, गर्मी के मौसम में कमरे के बाहर का कितना तापमान था उससे भी कहीं ज्यादा तपन,, दोनों के जोश से भरे हुए बदन की गर्मी से तप रहा था।,, अपनी मा्मी की आज्ञा और उसका निमंत्रण पाकर शुभम पूरी तरह से जोश से भर चुका था,,, उसके दोनों हाथ मचल रहे थे अपनी मामी की पेटीकोट को उठाने के लिए और पूरी तरह से मामी की आज्ञा मिल जाने की वजह से उत्तेजना के मारे उसके हाथों में कंपन हो रहा था,, ऐसा नहीं था कि इससे पहले उसने औरतों के कपड़े ना उतारा हो। वह अनगिनत बार अपने हाथों से अपनी मां के कपड़े ना जाने कितनी बार उतार कर उसे नंगी कर चुका था लेकिन आज वहं अपनी मामी के कपड़े उतारने जा रहा था,,, हालांकि अभी सिर्फ हल्के से पेटिकोट को उठाना भर था, लेकिन उसे पूरा यकीन था कि थोड़ी देर बाद उसे पूरी तरह से नंगी करने का शुभ अवसर उसे मिलेगा।,,, उसकी मामी बिस्तर पर आराम से बैठ कर शुभम द्वारा अपने पेटीकोट को ऊपर उठाने का इंतजार कर रही थी,, दिल की धड़कन तेज हो चुकी थी,, बुर की ऊपरी सतह नमकीन पानी से गीली हो चुकी थी,,, साथ ही बदन से चू रहा पशीना अपना अलग मिजाज दिखा रहा था। सुभम अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ाते हुए,,, पेटीकोट के दोनों छोर को पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,जैसे जैसे पेटिकोट ऊपर की तरफ सरक रहा था वैसे वैसे उसकी चिकनी टांगे अपना जलवा दिखा रही थी धीरे-धीरे करके सुभम में पेटिकोट को उसकी पिंडलियों तक सरका दीया,,, पिंडलियों तक की नंगी टांगों को देख कर शुभम का हौसला जवाब देने लगा,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें, जांघों तक पेटीकोट को उठाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी।,,, वह बस हाथों में पेटीकोट को पकड़े हुए टांगो की खूबसूरती को देखे जा रहा था,, दूसरी तरफ उसकी मामी कें बदन में उत्तेजना की सुरसुराहट पूरे जोर पर थी,,,, कामोत्तेजना का अनुभव करते हुए उसका बदन कसमसा रहा था वह चाह रही थी कि जल्दी से जल्दी शुभम उसकी पेटीकोट को कमर तक उठा दे, ताकि वह भी अपनी गोल-गोल गदराई गांड के दर्शन उसे करा सके। लेकिन इस तरह से रुक जाने की वजह से उसकी भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी बार-बार बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी। शुभम फिर से थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए पेटिकोट को ऊपर की तरफ उठाने की सोचा लेकिन तभी उसकी मा्मी के बदन में हल्की सी हलचल होने की वजह से वह फिर से रुक गया,,, और पेटीकोट को उसी स्थिति में छोड़कर फिर से सरसों की तेल की शीशी उठा लिया और उसमे से चार पांच बूंद,,, तेल पिंडलियों पर गिराकर मालिश करने लगा,,,, नरम नरम पिंडलियों पर शुभम की हथेली का स्पर्श होते ही,,, एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी पहली बार किसी गैर मर्द का स्पर्श उसके बदन पर हो रहा था जिसका पूरा लुत्फ. उठाते हुए वह कसमसा रही थी।,,
लेकिन शुभम के हाथों से मालिश का मजा वह अपने नितंबों पर लेना चाहती थी। इस लिए थोड़ी निराशा हाथ लगी,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसने तो शुभम को,ऊसकी जांघों पर मालिश करने के लिए बोली थी लेकिन वह पिंडलियों पर ही क्यों मालिश कर रहा है यह बात उसे कुछ समझ में नहीं आ रही थी इसलिए वह बोली,,,

बेटा वहां नहीं उससे ऊपर जांघो पर बहुत तेज दर्द कर रहा है,,, वहां पर मालीश कर,,,
( उसकी यह बात सुनते ही शुभम समझ गया कि उसकी मा्मी एकदम गर्म हो चुकी है,,और जांघों के बहाने अपनी गांड दिखाना चाहती है,,, जिसको देखने के लिए वह खुद ही तड़प रहा था,, दूसरी तरफ उसकी मामी जांघों पर मालिश करने के लिए बोल कर इंतजार करने लगी कि कब उसका भांजा उसकी पेटीकोट को और ऊपर उठाता है,,, वैसे तो वह अपनी गांड पर सरसों के तेल की मालिश करवाना चाहती थी, लेकिन अभी इतनी भी बेशर्म नहीं हुई थी कि वह अपने भांजे से सीधे मुंह यह कह दे कि तू मेरी गांड पर सरसों के तेल की मालिश कर दें,,,, इसलिए तो वह उसे जांघो पर मालिश करने के लिए बोली थी, क्योंकि जांघो पर मालिश करते करते वह जानती थी कि उसका भांजा उसकी गदराई और बड़ी-बड़ी गांड को जरुर देखेगा और उसे पकड़ने के लिए दबाने के लिए मचलने लगेगा,,, और वैसे भी मर्दों के लिए सिर्फ इशारा ही काफी होता है,,,, औरत की जांघो पर मालिश करने का मौका आकर दुनिया के किसी भी मर्द को प्राप्त हो जाए तो वह जांघों के साथ साथ कब उसकी गांड और बुर तक पहुंच जाए,,, यह पता ही नहीं चलता,,, वैसे भी घरेलू औरतें खुले शब्दों में कहने की बजाय इशारों में ही काम चला लेती है बस उनके इशारों को समझने वाला चाहिए,,, लेकिन शुभम भी कोई कम नहीं था वह अपनी मामी के इशारे को अच्छी तरह से समझ रहा था वह जानता था कि,,, जांघों पर मालिश तो एक बहाना है सही मायने में उसकी मां में उसे अपनी बुर देना चाहती थी लेकिन खुले तौर पर नहीं इशारों में,,,,, शुभम की जल्दबाजी नहीं करना चाहता था इसलिए थोड़ा घबराते हुए ही सही धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और अपनी मामी का कहना मानते हो शुभम ने तुरंत पेटिकोट को ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया,,,, देखते ही देखते कांपते हाथों से और क्या सी नजरों का सहारा लेकर शुभम ने अपनी मामी के पेटीकोट को जाँघो से एकदम ऊपर उठा दिया,,, इतना उठा दिया कि उसकी बड़ी बड़ी गांड की बीच की फांक के साथ साथ भारी भरकम नितंबों के गोलाई के नीचे वाली लकीर साफ साफ नजर आने लगी,, शुभम की तो हालत खराब होने लगी उसने अपनी मामी के खूबसूरत बदन की खूबसूरती का आधार उसके बदन की रचना को देखते हुए जिस तरह से अनुमान लगाया था,,,, उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत संरचना देखने को मिल रही थी। बड़ी-बड़ी गांड की गोलाई फुटबॉल की तरह लग रही थी,,, शुभम का तो गला सूखने लगा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन उसके सामने जो नजारा था उस पर विश्वास करना बेहद जरूरी था क्योंकि यह कोई सपना नहीं वास्तविक्ता थी। शुभम जब इस बात पर गौर किया कि उसकी मां की कपड़ों के ऊपर से हल्की सांवली है, लेकिन कपड़ों के अंदर एकदम गोरी थी,,,, जो कि उसे समझते देर नहीं लगी कि गांव की गर्मी और धूप की वजह से और खेतों में काम करने की वजह से मामी का रंग थोड़ा सांवला हो गया था।। गजब का नजारा कर उनकी आंखों के सामने था गांव की खूबसूरत गदराई जवानी से भरपुर गठीले बदन वाली औरत ऊसके बिल्कुल करीब बिस्तर पर लेटी हुई थी।
जिस की पेटीकोट को खुद उस का भांजा अपने हाथों से उसकी गांड तक उठा दिया था,,,, बेहद उत्तेजना से भरपूर इस नजारे को देखकर शुभम का लंड पेंट में गदर मचाने लगा,,, गांड की गहरी फांकों को देख कर शुभम का मन हो रहा था कि अपने लंड को बाहर निकालकर गांड की गहराई में उतार दे,,, एक तो यह जानकर और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि उसकी मामी पेंटिंपहनती ही नहीं है,,,ईसलिए तो उत्सुकतावश शुभम और भी ज्यादा मचल रहा था अपनी मा्मी की पेटीकोट को ऊपर उठाने के लिए,,, क्योंकि उसके मन में
यह बात पहले से ही थी कीे पेटिकोट ऊठाने से उसकी बुर के दर्शन जरूर हो जाएंगे,,, इसलिए तो बीना पेंटिं के अपनी मामी को देखकर उसकी यही इच्छा हो रही थी कि लंड को पूरा गांड में उतार दे, लेकिन अभी उसे सिर्फ मालिश करनी थी। शुभम अपने आप पर बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पा रहा था इसलिए वह बार बार अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही इधर-उधर करके एडजस्ट कर रहा था।
उसकी मा्मी भले ही अपने पेटीकोट को उठाने की इजाजत शुभम को दे दी थी और उसका कहना मानते हुए शुभम भी उसकी पेटीकोट को जांघों के ऊपर तक ऊठा दिया था। लेकिन जिंदगी में पहली बार किसी गैर मर्द के सामने और वह भी अपने सगे भांजे के हाथों और उसकी आंखों के सामने,, अपनी नंगी गांड का दर्शन कराते हुए ऊसे शर्म महसुस हो रही थी।,,,, लेकिन वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी की शर्म की दीवार को गिरा कर ही मस्ती के सागर में गोते लगाने का मजा आता है। ईसलिए तो कुछ कल के लिए आई शर्मिंदगी के एहसास को परे हटाते हुए,,, वह उत्सुकतावश लेटे-लेटे कसमसाहट महसूस करने लगी और इंतजार करने लगी थी तब उस का भांजा अपनी हथेली से उसकी जांघों पर मालिश करता है। अपने सूखे गले को अपने थूक से गीला करते हुए,,, शुभम आगे बढ़ने के लिए बिल्कुल तैयार हो गया,,, ईसलिए बार।वह सरसों की तेल की शीशी से सरसों के तेल की बूंदों को अपनी हथेली पर गिराकर सीधे जांघों पर मालिश करना शुरू कर दिया,,, नरम नरम जांघो की स्पर्श जैसे ही शुभम ने अपनी हथेली पर किया वैसे ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। मोटी मोटी सुडौल केले के तने के समान चिकनी जांघो पर उसका हाथ फीसलने लगा। वह जांघ कि ऊपरी सतह से लेकर जांघो के बीच की अंदरूनी सतह तक ऊंगलिया डालकर मालिश करने लगा,,, शुभम की इस हरकत की वजह से तो उसके तन-बदन में गुदगुदी होने लगी साथ ही उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन कसमसाने लगा,,,, उसे बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी शुभम का हाथ उसकी चिकनी जांघों पर बेहद रगड़कर फिसल रहा था। जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था शुभम जानता था कि इस समय वह कुछ भी करेगा लेकिन उसकी मम्मी उसे इंकार नहीं कर पाएगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी इसलिए तो वह अपनी हथेली को जांघो के ऊपर तक सरकाना शुरू कर दिया,,,, वह दोनों जहां पर एक साथ अपनी दोनों हथेलियों रखकर ऊपर की तरह एैसे सरकाता की उसकी अंगुलियां उसकी टांगों के बीच होते हुए हल्की-हल्की उसकी बुर के बालों पर स्पर्श हो रही थी।


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