RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
यह जानकर कि मामी को बहुत अच्छा लग रहा है और वह और अच्छी तरीके से मालीश करने के लिए उसे बोल रही है,,, शुभम की खुशी का ठिकाना ना रहा उसे समझते देर नहीं लगी की उसकी मामी बहुत कुछ करवाना चाहती है। मन में यह बात सोच कर ही,,की अब उसे उसकी मामी की रसीली बुर को छुने का अवसर मिलने वाला है, उत्तेजना के मारे उसकी उंगलियां कांपने लगी, क्योंकि अभी तक उसके पूरे बदन में मात्र उसकी मामी के बुर के बाल छुने भर से उत्तेजना की लहर दौड़ जा रही थी।,,, इस बार वह मन में ठान लिया था कि मालिश करते समय वहां मामी की रासिली बुर को जरुर स्पर्श करेगा,,, और इतना सोच कर बहुत सिर से परसों कि शीशी से 10:12 बूंद तेल अपनी हथेली पर लेकर,,, एक नजर अपनी मामी पर डाला जिसकी कसमसाहट को देख कर ऐसा ही लग रहा था कि वह अगले पल के लिए अपने आपको तैयार कर रही है,,
माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,, घर पर कोई नहीं था इसलिए किसी बात का डर ना तो मामी को ही था ना की भांजे को,, शुभम के पजामे में तंबू पूरी तरह से अपने शबाब पर था।,,, कसमसाहट की वजह से उसकी मम्मी का पेटीकोट थोड़ा सा ऊपर की तरफ सरक गया था जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी भरावदार गोल गोल गांड की दोनो फांको के नीचे की लकीर जो कि किसी अंडर लाइन की तरह ही नजर आती है वह साफ तौर पर नजर आने लगी जिसे देखकर शुभम का दिल जोरो से धड़कने लगा। इस नजारे को देख कर सुभम अपने आप पर बिल्कुल भी शब्र नहीं कर पाया और तुरंत अपनी मामी की चिकनी मोटी जंघो पर मालिश करना शुरु कर दिया,,, शुभम के दिल की धड़कने इतनी तेज चल रही थी मानो घोड़ा दौड़ रहा हो,,और ऊसकी टापो की आवाज धड़कनो की धक धक से बिल्कुल मिल रही थी। इस बार वह अपनी हथेली का दबाव जांघेा पर कुछ ज्यादा ही बढ़ाता हुआ मालिश करने लगा,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था वह चाह रहा था कि उसकी मांमी अपनी दोनों टांगे हल्के से खोल दे,,, ताकि वह अपनी मामी की रसीली बुर के दर्शन कर सके,,, वह भी यही चाह रही थी कि वह अपनी टांगो को थोड़ा सा फैला दे ताकि जिस अंग को वह दिखाना चाहती है वह बड़ी आसानी से शुभम देख सके, लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म आ रही थी इसलिए चाहकर भी वह अपनी टांगें फैला नहीं पा रही थी।,,,,,
धीरे-धीरे शुभम फिर से अपनी उंगलियों को जांघों के बीच नीचे तक ले गया ताकि वह उसकी पूर्व के मुहाने पर आराम से पहुंच सके,,, उसकी मामी की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,, शुभम भी मचल रहा था धीरे-धीरे वह अपने उंगलियों को जांघों के बीच घुसा कर ऊपर की तरफ ले जाने लगा,,, जैसे-जैसे उसकी उंगलियां बुर के करीब पहुंच रही थी वैसे वैसे उसकी मामी की हालत पतली होती जा रही थी,, बुर में अजीब तरह की हलचल मचने लगी थी,,, नमकीन रेस बुर की पतली धार से नीचे की तरफ रिस रही थी। शुभम थोड़े से प्रयास में एक बार फिर से बुर के इतने करीब पहुंच गया की उसकी उंगलियां बुर के बाल पर स्पर्श होने लगी। जैसे ही शुभम के साथ साथ उसकी मम्मी ने भी यह महसूस की, की शुभम की उंगली एक बार फिर से उसकी बुर के बाल पर स्पर्श हो रही है तो उसकी बुर उत्तेजना के मारे पिघलने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी।,,, अत्यधिक कामोत्तेजना का अनुभव करते हुए शुभम का मुंह खुला का खुला रह गया था और वह धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ा रहा था। दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। शुभम के मन मस्तिष्क के साथ साथ उसकी उंगलियों पर भी कामोत्तेजना का असर देखने को मिल रहा था। तभी तो पतली सी संकरी कसी हुई टांगों के बीच से भी
आहीस्ता आहीस्ता अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ रही थी,,,शुभम की ऊंगलिया ऊसकी मामी की बुर के बेहद करीब थी। इतनी ज्यादा करीब कि बुर की तपन उंगली पर साफ महसूस हो रही थी।,,,, अपनी मंजिल को पाने के लिए शुभम को एक सेकंड की भी देरी करना उचित नहीं लग रहा था। लेकिन आगे बढ़ने से पहले वह ऊसकी मामी के मन में क्या चल रहा है यह जान लेना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी उंगली को उसकी बुर के बिल्कुल करीब रगड़ते हुए बोला।,,,,
क्या मामी अब बताओ ना तुम्हे कैसा लग रहा है,,, मैं तुम्हारी अच्छी तरह से मालिश कर तो पा रहा हूं ना,,,
(अब ऊसकी मामी क्या बोलती वह तो उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो चुकी थी, अपने बदन में हो रही हल-चल और कामोत्तेजना का अनुभव इससे पहले उसने अपनी जिंदगी में कभी भी नहीं की थी,,, वह तो ऐसा महसुस कर रही थी मानो सातवें आसमान पर झूला झूल रही हो। उसके पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे फिर भी वहं शुभम के बात का जवाब देते हुए बोली,।)
बहुत अच्छा लग रहा है बेटा बदन का दर्द मालीश करवाने से इस तरह से फुर्र हो जाएगा मैं कभी सपने में भी सोच नहीं सकती थी। सच बेटा तेरे हाथों में जादू है तू बस इसी तरह से मालिश करता जा, मेरे बदन का पूरा दर्द निकाल दे,,,,
( अपनी मामी का जवाब सुनकर शुभम को संतुष्टि के साथ प्रोत्साहन भी मिल रहा था,,, वो खुश होते हुए बोला।)
मामी मैं तुम्हारी इस तरह से मालिश कर रहा हूं तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है।( एक बार फिर से वहां अपनी हथेली को पीछे की तरफ खींचते हुए बोला।)
नहीं बेटा मुझे कोई एतराज नहीं है तेरी जैसी मर्जी हो उसी तरह से तु मेरी मालीश कर,,, बस मेरे बदन का दर्द निकाल दे।
तो मामी बस आज तुम्हारे बदन का दर्द गायब हो जाएगा,,,।
( शुभम समझ गया था कि उसकी मामीें पूरी तरह से तैयार हो चुकी है । अब वह कुछ भी कर सकता है लेकिन फिर भी हर एक कदम को सोच समझकर रखना था। इसलिए वहं अपनी हथेली को फिर से एक बार टांगों के अंदरूनी हिस्से से रगड़ता हुआ बुर के करीब पहुंचने लगा,,,,। शुभम की हालत खराब होने लगी थी साथ ही उसकी मामी पानी पानी हुए जा रही थी। वह पल पल उत्तेजना में जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी। शुभम अब कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहता था इसलिए उसकी उंगलियां धीरे-धीरे बुर के करीब पहुंचने लगी। एक बार फिर से झांटों का स्पर्श उंगली पर होते ही शुभम का लंड फड़फड़ा उठा,,, इतनी देर तक वह कैसे अपने आप पर सब्र कीए हुए था। यह सोचने वाली बात थी वरना अभी तक तो उसका मोटा तगड़ा लंड ऊसकि मामी कि बुर की गहराई नाप चुका होता। शायद इसी सब्र की वजह से औरतें उसकी दीवानी थी और वह औरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही छोड़ता था।,,, शुभम के मन की प्यास बढ़ती जा रही थी आज वह अपनी मामी की रसीली बुर का स्पर्श कर लेना चाहता था। बहुत ही अजीब और सोचने वाली बात थी कि निर्मला जैसी खूबसूरत औरत की खूबसूरत बुर का पूरी तरह से मालिक बन चुका शुभम,, अपनी मामी की बुर को छूने के लिए तड़प रहा था। जबकि निर्मला की खूबसूरती और उसके खूबसूरत बदन के आगे उसकी मामी की खूबसूरती कोई मायने नहीं रखती थी। कहते हैं ना घर की मुर्गी दाल बराबर होती है। यह वाक्य इस जगह पर बिल्कुल सही बैठ रहा था। अपनी मां कीबुर को तो वह जब चाहे तब छु सकता था मसल सकता था चाट करता था और उसमें लंड डालकर चोद भी सकता था। लेकिन इस समय उसे दूसरी औरत के साथ मज़े लेने की तड़प जागी हुई थी जिसे वह पूरा करना चाहता था और अपनी यही तड़प पूरा करने के लिए अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे टांगों के बीच सरकाता हुआ बुर के मुहाने तक पहुंच चुका था।
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