RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम पूरी तरह से तैयार हो चुका था अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन कराने के लिए,, वह अपनी मामी की रसीली बुर में से अपनी उंगली को बाहर खींच लिया था जिस पर उसकी मामी की बुर का मदन रस पूरी तरह से लगा हुआ था। बुर से निकल रहा यह मदन रस मर्दों के लिए किसी अमृत से कम नहीं था,,,, इसके स्वाद का जरा भी पता नहीं चलता लेकिन फिर भी मर्दों को यह बेहद स्वादिष्ट ही लगता है। नारियल पानी से भी कहीं ज्यादा स्वादिष्ट और मीठा, लगता है बुर का पानी ऐसा लगता है कि मानो आसमान से कुदरती ओस बुर नुमा कटोरी में इकट्ठी हो गई हो। वैसे भी बुर के ऊपर उसकी खूबसूरती के बारे में उसकी बनावट के बारे में जितना भी लिखा जाए उतना कम है क्योंकि ऐसे ही नहीं पूरी दुनिया इसके आकर्षण से आकर्षित है। जिससे शुभम भी बच नहीं सका,,, तभी तो उसने रिश्तो के बीच में ही इस तरह के शारीरिक संबंध कायम कर लिया है और आगे बढ़ता ही जा रहा है और आज जाकर अपनी मामी के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है और इसी जुगाड़ में वह बिस्तर से नीचे उतर कर अपनी मामी को अपना लंड दीखाने पर उतारू हो चुका था।
शुभम के पेंट में उसका तंबू जोर मार रहा था उसकी मामी प्यासी नजरों से उसके तंबू को ही देखे जा रहीे थी। उसने आज तक इस तरह का उठाव अपने पति के पजामे में भी नहीं देखी थी इसलिए तो वह पूरी तरह से आश्चर्य मे थी।,, अधनंगी होकर वह अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसकी पेटीकोट उसकी कमर तक चढ़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी कमर के नीचे का पूरा भाग नंगा हो चुका था उसकी बालों से भरी हुई बुर साफ नजर आ रही थी जिस पर उसके नमकीन रस की बूंदे इस तरह से चमक रही थी जैसे हरी हरी घास पर ओस की बूंद चमक रही हो। शुभम ने उंगलियों पर लगे अपनी मामी के मदनरस को साफ करने की बिल्कुल भी दरकार नहीं किया था। वह जानता था कि उसका हथियार देख कर तो अच्छी-अच्छी औरतें घुटने टेक दे रही थी तो मामी क्या चीज़ थी। आज तक उसके लंड को देखकर दो औरतें पूरी तरह से आकर्षित होकर अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तैयार हो गई थी उनमें से एक तो उसकी खुद की मा ही थी जिसने,,, सारे रिश्ते नाते को एक तरफ रख कर अपने ही बेटे के साथ शारीरिक संबंध बना ली थी और उस का भरपूर आनंद उठा रही थी और दूसरी थी,,, उसकी मां की सहेली शीतल मैडम जो कि अपना तन बदन पूरी तरह से शुभम को सौंपने के लिए तैयार हो चुकी थी और तीसरी शुभम की खुद की मामी जो इस समय उसके सामने अध नंगी लेटकर,, अपनी प्यासी जवानी को लुटाने के लिए तैयार हो गई थी और वैसे भी प्यासी औरतों को सिर्फ लंड से काम रहता है।। मजबूत तगड़ा लंड देखते ही उनके मुंह के साथ-साथ उनकी बुर में भी पानी का सैलाब उठने लगता है। और शुभम इस समय जवानी से भरपूर तगड़े लंड का मालिक था।,,, शुभम अपने परिजनों के दोनों छोर को अपने दोनों हाथ से पकड़ लिया यह देखते ही बिस्तर पर लेटी उसकी मामी की सांसे तेज गति से चलने लगी उसके मन में उत्सुकता के साथ साथ मदहोशी भी बढ़ते जा रही थी। शुभम धीरे-धीरे अपने पजामे को नीचे की तरफ सरकाने लगा और साथ ही अपनी मामी की प्यासी नजरों से अपनी नजरें मिलाकर उनका हौसला भी बढ़ाने लगा और अगले ही पल शुभम ने एक झटके से अपने पजामे को अपने घुटनों तक सरका दिया ,,, एकाएक अपने पजामे को नीचे सरकाने की वजह से उसका लंड पूरी तरह से आजाद होकर हवा में झूलने लगा।,,,, यह देखते ही उसकी मामी की तो सिटी पीटी गुम हो गई,,, उस दिन तो वहां थोड़ा दूर से ही देखी थी लेकिन आज बिल्कुल करीब से इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड झूलते हुए देख रही थी उसकी बुर की फांके फुदकने लगी,,, उसके मुंह से तो उत्तेजना के मारे गरम आह निकल गई वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना तगड़ा लंड भी होता है।,,,, अपनी मम्मी के चेहरे पर बदलते भाव को शुभम अच्छी तरह से पहचानता था क्योंकि इस तरह के ही भाव वह अपनी मां के चेहरे पर देख चुका था इसका मतलब साफ था, कि उसकी मां में भी उसके लंड को लेने के लिए व्याकुल हुए जा रही है। शुभम जानबूझकर लंड को अपने हाथ में पकड़कर उसे हिलाते हुए बोला।
देख लो अच्छे से देख लो और बताओ अब क्या कहती हो , ?
( वह क्या कहती उसकी तो हालत ही खराब हो गई थी उसकी आंखों के सामने ऊसकी प्यास बुझाने वाला,,,ऊसकी ओखली को कुटने वाला तगड़ा मुसल झूल रहा था। और ऐसे हालात में कुछ कहने को नहीं बल्कि उसे महसूस करने को होता है। इसीलिए उसके पास भी बोलने के लिए कुछ भी नहीं था लेकिन फिर भी शुभम को जवाब देना जरूरी था इसलिए वह धीरे से बिस्तर पर उठते हुए बोली।,,, ।
बाप रे बाप यह है क्या,,,( इतना कहने के साथ ही रहा अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से,, अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों को लंड पर फिराने लगी, उस की गर्माहट अपनी उंगली पर महसूस होते ही उसकी तपन उसे अपनी बुर पर महसूस होने लगी। लंड की गर्माहट को उसने आज तक इतनी शिद्दत से महसूस नहीं की थी इसलिए तो उसके तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी उससे रहा नहीं जा रहा था वाह हल्के हल्के अपनी उंगलियों को सुपाडे से लेकर के उसकी उत्पत्ति के किनारे तक फिराने लगी। इस तरह से ऊंगलिया फीराने से शुभम को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, वह आगे कुछ बोल नहीं पा रही थी उसे कोई शब्द नहीं सूझ रहा था। इस समय वह कामाग्नि से तप रही थी। धीरे-धीरे उसके अंदर की शर्म गायब होने लगी थी,,, इसलिए तो वह उंगलियों से स्पर्श करते करते,,, धीरे से लेकिन कस के वह शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली और जैसे ही वह अपनी मुट्ठी में भरी मदहोशी में उसकी आंखें बंद हो गई और उत्तेजना के मारे वह अपने निचले होंठ को अपने दांतो से काटने लगी। यह देख कर शुभम मन ही मन प्रसन्न होने लगा। क्योंकि धीरे-धीरे वह अपनी मुट्ठी में लंड को भर कर आगे पीछे करते हुए मुठ मारने लगी थी।शुुभम तो अपनी मामी की ऐसी हरकत से एकदम आनंद विभोर हो गया।,, उसकी मामी भीी सब कुछ भूल चुकी थी इस समय उसे केवल शुभम का मोटा तगड़ा लंड दिख रहा था लंड के पीछे खड़े भांजे के पवित्र रिश्ते को वह भूल चुकी थी,,,। कामांध होकर वहां मामी भांजे के रिश्ते की डोरी को पूरी तरह से तार-तार करने के लिए आगे बढ़ती चली जा रही थी।
वह कुछ मिनट तक आंखें बंद किए हुए शुभम के लंड को मुठीयाने मे व्यस्त हो गई। उसकी तंद्रा तब भंग हुई जब मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए शुभम के मुंह से सिसकारी निकलने लगी,,,,
सससससहहहह,,,,,,, आहहहहहहहहह,,,,,
( जैसे ही शुभम के मुंह पर इस तरह की गरम पिचकारी निकली वैसे ही उसकी मामी ने तुरंत लंड पर से हाथ हटा ली।,,, वह एकदम से शर्मिंदा हो गई,,, लेकिन शुभम पीछे हटने वाला नहीं था,,, वह ऐसे ही गर्म सिसकारी देते हुए बोला,,,।
ओहहह मामी हाथ क्यों हटा ली बहुत मजा आ रहा था।
धत्त,,,, मुझे शर्म आ रही है।
अरे मामी इसमें शर्म की क्या बात है। अच्छा आप बताओ मैं झूठ बोल रहा था या सच बोल रहा था।
तू सच ही कह रहा था ।(कुछ देर सोचने के बाद मुस्कुरा कर बोली)
अच्छा तुम यह बात कैसे कह सकती हो,,,
तेरा बहुत तगड़ा है।
तुम्हें अच्छा लगा मामी,,,
( शुभम की यह बात सुनकर वह कुछ देर तक खामोश हो गई आखिर शुभम के सवाल का क्या जवाब देते उसे अच्छा तो लग रहा था लेकिन इस तरह से बोलना ठीक नहीं था। फिर भी शुभम उसकी खामोशी देखकर फिर से पूछा लेकिन इस बार वह अपने ही हाथ सेअपना लंड पकड़ कर हीला रहा था। जिसकी वजह से उसकी मामी के तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ने लगी,,,।)
बोलो ना मामी तुम्हे अच्छा लगा या नहीं? शरमाओ मत सच-सच बताना,,,
अच्छा लगा (शरमाते हुए दूसरी तरफ नजर फेर कर बोली)
शुभम यह बात जानता था कि उसकी मामी को उसका लंड बहुत ही भा गया है। और वहां उसके लंड से खेलना चाहती है लेकिन शर्म के मारे आनाकानी कर रही है ओर ईसलिए शर्म को शुभम को ही निकालना था। इसलिए सुभम बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,
को छोड़ क्यो दी मामी पकड़े रहो ना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था,,,,
तुझे तो अच्छा लगेगा ही लेकिन मुझे शर्म आ रही है।
( उसकी मम्मी उसी तरह से बिस्तर पर बैठे हुए दूसरी तरफ शर्म से नजरें फेर कर बोली।)
तुम्हें भी बहुत मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,।
नहीं मानूंगी तेरा क्या भरोसा किसी को बता दिया तो,, जैसे उस औरत के बारे में मुझे बता रहा है।( नजरें झुकाए हुए ही वह बोली।)
अरे मामी वह औरत मेरी क्या लगती थी कुछ भी नहीं इसीलिए तो बता दिया लेकिन तुम तो मेरी मामी हो भला मैं घर की औरतों के बारे में इस तरह की बातें दूसरों के साथ कैसे कर सकता हूं। क्या तुम को मुझ पर जरा सा भी भरोसा नहीं।
( शुभम की बातें सुनकर वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और रह-रहकर अपनी नजरों को तिरछी करके शुभम के लंड की तरफ देख ले रही थी,,,, लेकिन इस बार शुभम के सवाल का जवाब नहीं दी,,, इसलिए शुभम अपने लंड को अपनी हथेली में लेकर हिलाते हुए बोला।)
अच्छा मामी यहां देख तो लो एक बार,,, बस एक बार,
( शुभम अपने लंड को जोर-जोर से खिलाते हुए बोल रहा था वह जानता था कि अगर एक बार उसकी मामी की नजर उसके झुलते हुए लंड पर पड़ गई तो उसकी बुर पानी फेंक देगी और वह जो बोलेगा वो वह करने को तैयार हो जाएगी,,, तिरछी नजरों से देखते हुए उसकी मामी भी समझ गई कि वह क्या दिखाना चाहता है। ईस तरह से झुलते हुए लंड को देखने की ललक उसके मन में और ज्यादा बढ़ गई थी,,, इसलिए वह शुभम की बात मानते हुए उसकी तरफ देखने लगी,,, इस तरह से झुलते हुए लंड को देखकर उसका मुंह फिर से आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,, वह कुछ बोलना चाह रही थी लेकिन उसके मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे। शुभम जानबूझकर अपने लंड को जोर जोर से हिला रहा था। उसकी मामी तो बस देखती ही रह गई,,, अपनी मामी को इस तरह से देखता हुआ पाकर शुभम बोला,,,।
देख क्या रही हो मामी एक बार फिर से पकड़ लो बहुत मजा आएगा,,,( इस बार वह शुभम की बात तुरंत मान ली,,,।)
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