RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की मामी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस हालत तक पहुंच जाएगी,,, उम्र के दूसरे पड़ाव तक पहुंच चुकी थी लेकिन अभी तक उसने गैर मर्द के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज उसकी कल्पना के परे बिस्तर पर अपने ही भांजे के सामने नग्नावस्था में लेट कर उसकी हरकतों का मजा ले रही थी। बुर चाटने वाली बात से वह बिल्कुल भी अनजान थी कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से भी कोई मजा लेता है जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उस का भांजा भी उसकी बुर चाटने के लिए उत्सुक हैं तो इस बारे में सोच कर ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी, उसके मन में भी उस एहसास को महसूस करने की उत्सुकता बढ़ने लगी। उस का भांजा शुभम भाई आज पहली बार किसी दूसरी औरत की बुर का स्वाद चखने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था इसलिए तो वहां अपनी जीभ को हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए अंदर की तरफ ले जाने लगा। और उसकी जीभ को अपनी बुर के अंदर घुसता हुआ महसुस करके उसकी मांमी एकदम से मदहोशी के समंदर में डूबने लगी,,, उसे अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति हो रही थी और वह इस दुख को बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी क्योंकि पहली बार उसे इस तरह के सुख का अनुभव हो रहा था उसका बदन पूरी तरह से कसमसा रहा होगा उत्तेजना को वह सहन नहीं कर पा रही थी, इसलिए बिस्तर पर छटपटा रही थी और शुभम उसकी दोनों जांघों को अपनी हथेली से भींच कर पकड़े हुए था और देखते ही देखते उसने उसकी गुलाबी बुर के अंदर अपनी पूरी जीभ जहां तक हो सकती थी वहां तक डालकर चाटना शुरू कर दिया, सुबह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसके शरीर में कंपन शुरू हो गया,,, उसका खूबसूरत बदन कामोत्तेजना का अनुभव करते हुए थरथरा कर कांपने लगा। शुभम उसकी जांघों को कस के पकड़े हुए पागलों की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया। उसकी बुर से भलभलाकर मदन रस बह रहा था। जिसे लपालप शुभम अपनी जीभ लगा कर चाटे चला जा रहा था। हल्का नमकीन और कसैला स्वाद भी गुलाब जामुन की चाशनी की तरह लग रहा था। जैसे जैसे शुभम की जीभ चल रही थी वैसे वैसे उसका बदन कसमसा रहा था और उत्तेजनावस वह अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर की तरफ उचका दे रही थी, जिससे सूभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी और वह अपने दोनों हाथ को उसकी जांघो पर से हटाकर उसके नीचे ले जा कर उस की बड़ी-बड़ी गांड को थाम लिया और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया।,,, अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को हांथो से दबाते हुए बुर को चाटने मे ऊसे बहुत मजा आ रहा था। और शुभम की ऐसी हरकत की वजह से उसकी मामी के बदन में हलचल मची हुई थी, हालांकि शुभम के हाथों में उसकी बड़ी-बड़ी गांड पूरी तरह से नहीं आ पा रही थी, लेकिन जितनी भी आ रही थी उसे पूरे जोश के साथ दबा दबा कर मज़े ले रहा था। शुभम बुर को ऐसे चाट रहा था जैसे कि कटोरी में रसगुल्ले की चाशनी को चाट रहा हो,,,, अभी तो मुश्किल से 2 मिनट ही गुजरे थे कि उसकी मामी के मुंह से गरम-गरम सिसकारियों की आवाज आने लगी।,,और ऊसकी सिसकारीया ईतनी मादक थी की ऊसकी मस्ती भरी शिकारियों की आवाज सुनकर शुभम को इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पहले ही पानी ना फेंक दे।
ससससहहहहह,,,,,,शुभम,,,,, आहहहहहहहह,,,,, ये क्या कर रहा है तुम,,,, मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,,ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरी सांसे अटक जाएंगी,,,,, आहहहहहहहह शुभम,,,,
( शुभम उसकी बातों पर ध्यान दिए बिना ही केवल उसकी सिसकारियों की आवाज सुनकर एक दम मस्त होकर उसकी बुर का पानी पिए जा रहा था। उसे मालूम था कि उसकी मामी को मजा आ रहा है और वह,,, उनके मजे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर फिर से डाल दिया और इस वजह से उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई,,,। दोनों एकदम से एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे शुभम की मम्मी तो उत्तेजना ग्रस्त होकर इधर-उधर अपना सिर पटक रही थी।,,, इतनी ज्यादा काम उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि बार-बार ना चाहते हुए भी वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दै रही थी और जब जब वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछालती तो ऐसा प्रतीत होता कि वह अपनी बुर को और ज्यादा चटवाने के लिए एकदम बेचैन हुए जा रही है। और शुभम भी उसकी बेचैनी को समझते हुए जोर-जोर से अपनी जीभ का वार उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पे करते हुए अंदर तक डाल दे रहा था,,।
शुभम की मामी से अब अपने आप पर सब्र कर पाना बेहद मुश्किल हुए जा रहा था ।और उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच कर सिसकारीयो के साथ-साथ पूरे माहौल को उसकी गर्म बातों ने और भी ज्यादा उत्तेजना से भर दिया।
आहहहहहहहहह,,, शुभम,, तूने तो मुझे पागल कर दिया है रे जिस तरह का सुख तू दे रहा है शायद मैं सपने में भी ऐसा सुख प्राप्त नहीं कर पाती।सससहहहह,,,, आहहहहहहहहह,,,, बस ऐसे ही,,,,, ऐसे ही मेरी बुर को चाट,,,, जीभ को अंदर डाल डाल कर चाट,,, चाट जा सारी मलाई को,,,आहहहहहहहहहहहह। ऊहहहहहहहह,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है मुझे ना जाने क्या हो रहा है ऐसा लग रहा है कि मेरा पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है।,,,( इतना कहते हुए उत्तेजना के मारे उसने अपने दोनों हाथ को आगे लाकर शुभम के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में भींच ली और उसके मुंह को जोर से अपनी बुर पर दबाते हुए,,,।)
ओोहहहहहहहह,,,, मेरे सुभम बस ऐसे ही चाट,, ववववववबहुत मजा दे रहा है तू,,,,,आहहहहहहहह,,,
मामी मैं ना कहता था कि उस औरत को भी बहुत मजा आ रहा था तभी तो मे तुम्हें यह कराने के लिए बोल रहा था,,( शुभम कुछ सेकंड के लिए अपना मुंह उसकी बुर पर से हटाया और इतना कहने के बाद फिर से अपना मुंह बुर नुमा कटोरी में जमा दिया,,,।)
हारे तू बिल्कुल सच कह रहा था वरना मैं कभी यकीन नहीं कर पाती तू सच कह रहा था कितना मजा आता है मैंने आज तक इस तरह के मजा लेने की कल्पना भी नहीं की थी,,,,। बस बेटा ऐसे ही चाटते रहे,,,,,आहहहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर शुभम बुर की अंदरूनी दीवारों के अंदर अपने लंड के लिए जगह बनाने हेतु अपनी दूसरी उंगली भी बुर के अंदर डालकर जोर-जोर से अंदर बाहर करते हुए चाटने लगा। और जैसे ही शुभम की दूसरी उंगली उसकी बुर में प्रवेश हुई वह चीखने चिल्लाने लगी,,, क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे अपनी बुर में लंड लिए और उसके पति का लंड पतला ही था जो कि शायद शुभम की उंगलियों से कम ही मजा देता था।)
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