RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( सुगंधा को बेझिझक अपनी बात मानते हुए देखकर शुभम को बहुत ही ज्यादा प्रसन्नता हो रही थी।)
अब मेरी जान उसकी ली को धीरे-धीरे अपनी बुर की गुलाबी छेद के अंदर डालो,,,,( शुभम अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए अत्यधिक चुदवासा होते हुए बोला,, और उसकी यह बात सुनकर सुगंधा चौकते हुए बोली,,,।)
मुझे आप क्या कह रहे हैं मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,
अरे कैसे नहीं हो पाएगा मैं बोल रहा हूं ना हो जाएगा आराम से हो जाएगा अगर आज तुम यह कर ली तो सुहागवाली रात को बड़े आराम से मेरे लंड को अपने बुर में ले लोगी,,,।
नहीं मुझसे बिल्कुल भी नहीं हो पाएगा मैं आज तक ऐसा कभी भी नहीं की हूं मुझे डर लग रहा है,,,।
अरे डरने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है मैं हूं ना,,,
अरे आप तो वहां है यहां होते तब डरने की जरूरत नहीं होती,,,
अगर मैं वहां होता तो इस तरह से कहने की जरूरत तुम्हें पड़ती ही नहीं बल्कि इससे भी मोटा मे अपना लंड तुम्हारी बुर में डाल दिया होता,,,,
( शुभम की गरमा गरम बातें सुनकर सुगंधा की बुर में हलचल सी होने लगी थी,,,,)
तो अभी क्या करुं मैं बोलो ना,,,,
मैं जैसा कह रहा हूं मेरी जान वैसा ही करो एक काम करो ढेर साऱा थुक तुम अपनी बुर पर भी लगा लो,,,, देखो अगर आज तुम सफल हो गई तो तो तुम मेरा मोटा लंड लेने में कामयाब हो जाओगी और तुम्हें दिक्कत भी नहीं होगा इसलिए कह रहा हूं कि मेरी बात मान लो यह तुम्हारी भलाई के लिए ही है,,,,।
क्या केले से भी लंबा तगड़ा है क्या तुम्हारा,,,?
तो क्या इसीलिए तो कह रहा है आज अगर तुम केला अपने बुर में डाल ली तो मेरा लंड भी आराम से ले लोगी,,,
अच्छा रुको,,, (और इतना कहकर सुगंधा उत्तेजना बस ढेर सारा थूक अपनी बुर पर लगाने लगी थूक लगाते हुए वह अपनी फूली हुई बुर पर हथेली फेर रही थी जिसकी वजह से उसके तन-बदन में गुदगुदी सी हो रही थी उसे मजा आ रहा था और थोड़ी देर बाद ढेर सारा थुक बुर पर लगा लेने के बाद बोली,,
लगा ली हूं अब क्या करना है,,,,,।
देखो मेरी जान अब बस अपनी आंखें बंद करो और यह महसूस करो कि तुम्हारे हाथ में जो केला है,,, वह अकेला नहीं बल्कि मेरा मोटा लंड है जिसे तुम अपने हाथ में पकड़कर अपनी बुर में डाल रही हो,,,,,
( शुभम की मस्ती भरी बातें सुनकर सुगंधा अपने होशो हवास खो बैठी और उसकी बात मानते हुए धीरे से अपनी आंखों को बंद कर ली,,, और हल्के से अपनी टांगो को फैला कर केले को अपनी बुर से सटा कर उसे अंदर की तरफ डालने लगी,,, मोटे केले को बुर की फांकों के बीच रखते ही,, केले के मोटे स्पर्श से सुगंधा पूरी तरह से सिहर उठी,,,, और एकाएक उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल गई जो कि शुभम के कानों तक पहुंच गई,,,।
ससससहहहहह,,, आहहहहहहहहहहह,,,
क्या हुआ मेरी रानी लगता है एकदम गरम हो गई हो,,,,
अब बोलो मैं क्या करूं मैंने केले को बूर से सटा दी हुं ।,,
वाहहहहह मेरी रानी अब उसे आहिस्ता आहिस्ता अपनी बुर की गहराई में डालो,,
क्या मुझसे हो जाएगा (सुगंधा आशंका जताते हुए बोली)
हो जाएगा मेरी जान जिस तरह से तुम चुदवासी हुई हो अगर मैं इस समय अपना मोटा लंड भी डाल दूं तो वह भी चला जाएगा।,,,,, बस थोड़ा हिम्मत रखो और अब उसके केले को मेरा लंड समझकर अंदर डालती रहो,,,,
( सुगंधा पूरी तरह से उत्साहित हो चुकी थी इस तरह का अनुभव देने के लिए जिंदगी में पहली बार उसने यहां तक इस तरह की कोई हरकत की थी,,, हालांकि जवानी की जिस उम्र से वह गुजर रही थी,,,, उसकी भी बहुत इच्छा होती थी शारीरिक संबंध बनाने की लेकिन कभी भी वह आगे नहीं बढ़ पाई,,, आज वह पहली बार अपने होने वाले पति की बात मानते हुए जो कि शुभम कह रहा था उसने केले को अपनी बुर से लगा ली थी,, और धीरे-धीरे उसे अंदर की तरफ फैल रही थी चिकनाहट पाकर मोटा केला आराम से अंदर की तरफ सरक रहा था और जैसे-जैसे वह बुर से रगड़ खाता हुआ अंदर उतर रहा था,,, उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी सुगंधा पूरी तरह से कामोत्तेजीत हो चुकी थी,,,,,
घुस रहा है कि नहीं सुगंधा ( शुभम चुदवासे स्वर में अपना लंड जोर जोर से हीलाता हुआ बोला,,,।)
हां जा रहा है (सुगंधा भी कांपते स्वर में बोली)
बस ऐसे ही डालती जाओ,,,,
सुगंधा धीरे-धीरे करके मस्ती के सागर में डुबकी लगाते हुए पूरे केले को अपनी बुर में डाल दी और बोली,,
ससससस,,, वपूरा चला गया,,,,( सिसकारी लेते हुए बोली)
शाबाश मेरी जान अब मुझे पूरा यकीन हो गया है कि पहली रात को ही तुम मेरा पूरा लंड अपनी बुर में ले लोगी,,,, बस मेरी जान केले को अपनी बुर के अंदर बाहर करती रहो और ऐसा समझो कि मैं तुम्हें चोद रहा हूं और तुम्हारा काम हो जाएगा,,,,
( सुगंधा तो लगा के समान केले को अपनी बुर में डालकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,, और शुभम की बात सुनते ही गरम सिसकारी के साथ वहं केले को अपनी बुर के अंदर बाहर करते हुए अपने हाथों से अपनी बुर को चोदने लगी। सुगंधा को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसकी गरम पिचकारी की आवाज शुभम फोन के द्वारा अपने कानों से सुन रहा था और उत्तेजित होता हुआ वह भी जोर जोर से हिला रहा था।
ससससहहहहहहहह,,,,, हहहहहहहहह,,, ओहहहहहहहहहहह,,,,,
सुगंधा मस्त होते हुए इस तरह की गरमा-गरम आवाजें निकाल रही थी।,,, उसके ऊपर पूरी तरह से चुदाई का रंग चढ़ चुका था और वो पैरों के सहारे से ही अपनी सलवार और पैंटी को निकालकर कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,, और अपनी टांगो को फैला कर केले से चुदने का आनंद ले रही थी।
शुभम और सुगंधा दोनो चरमसुख के बेहद करीब पहुंच चुके थे गंदा तो बिस्तर पर बार-बार इधर-उधर सर पटकते हुए केले को अपनीे बुर के अंदर बाहर कर रही थी। दोनों मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए एक साथ झड़ने लगे,,,,
कुछ देर बाद सुगंधा की सांसे व्यवस्थित हुई तो,,, उसके चेहरे पर प्रसन्नता और संतुष्टि के भाव साफ नजर आ रहे थे।,,,, सुगंधा फोन पर अपने होने वाले पति का आभार प्रकट करने के लिए कुछ बोलना चाह रही थी इससे पहले ही दरवाजे पर दस्तक होने लगी और दरवाजे पर दस्तक होता हुआ सुनकर,,, वह बाद में फोन करेगी ऐसा कहकर फोन को कट कर दी।
सुगंधा बहुत खुश थी क्योंकि आज जिंदगी में पहली बार इतनी अपने पति के कहने पर हस्तमैथुन की थी। वह मन ही मन यह सोच रही थी कि अगर उसे पता होता कि अपने हाथों से भी काम चलाया जा सकता है तो वह कब से यह सब कर चुकी होती।,,, फिर भी उसे लग रहा था कि चलो देर आए दुरुस्त आए,,,। आज उसे दुगिनी खुशी मिली थी। एक तो उसका पति पहली बार फोन पर उसी से खुल कर बातें किया था और पहली बार ही वह अपनी प्यास को अपने हाथों से बुझाई थी।
स्ंखलित होने के बाद कुछ देर तक वह बिस्तर पर ऐसे ही लेटी रही,,, दरवाजे पर जिस तरह की दस्तक हो रही थी वह घबरा गई थी लेकिन दरवाजे पर उसकी मां थी जौकी उसे काम में हाथ बटाने के लिए बोल कर चली गई थी,,,। सुगंधा की सांसे अभी भी गहरी चल रही थी।
अपनी हालत पर गौर की तो वह खुद की हालत को देखकर एकदम से शरमा गई। कमर से नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सलवार और पैंटी दोनों बिस्तर के नीचे गिरी पड़ी जिसे वह खुद ही उत्तेजना में आकर निकाल फेंकी थी।,,, एक बार वह मुस्कुराते हुए अपनी रसीली बुर की तरफ देखने लगी और प्यार से उसको हथेली फेरकर जल्दी से बिस्तर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने लगी,,,,
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