RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
गठीला बदन का मालिक शुभम अपनी भुजाओं में इतनी ताकत तो रखता था कि वह सुगंधा जैसी लड़की तो क्या,,,, निर्मला जैसी गदराई जवानी से भरपूर औरत को भी अपनी गोद में उठा सकता था। सुगंधा भी उसकी ताकत को देख कर चकीत रह गई,,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि वह उसे उठा लेगा क्योंकि उसका भी बदन गदराया हुआ था,,,। लेकिन यह हकीकत जानते ही कि वह इस समय उसके पति की गोद में है,, इस बात को लेकर वह काफी रोमांचित हो उठी,, शुभम उसको एक टक देखते रह गया और सुगंधा शर्म के मारे उससे नजर नहीं मिला पा रही थी उसकी साड़ी का पल्लू नीचे जमीन पर लहरा रहा था शुभम उसकी आंखों में देखते हुए उसे बिस्तर के करीब ले जाने लगा नजारा बेहद कामुकता से भरा हुआ था,,, यह बात सुगंधा भी जानती थी कि उसका पति उसे बिस्तर पर उसे चोदने के लिए ही ले जा रहा है,,,। जिससे वह कामोंत्तेजित होकर कसमसा रही थी,,,। शुभम ऊसे बिस्तर पर लेटाते हुए बोला,,,।
मेरी जान सुहागरात का असली मजा बिस्तर पर ही आता है देखना में इस नरम नरम बिस्तर पर तुम्हारी गरम गरम जवानी का रस कैसे निचोड़ता हूं,,,।
( इतना कहते हुए शुभम सुगंधा को बिस्तर पर लिटा दिया और शुभम की बातें सुनकर सुगंधा शर्म और रोमांचित हो कर तकिए से अपना मुंह छुपा ली,,, सुगंधा को इस तरह से शरमाते हुए देखकर शुभम का लंड पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा हो गया,,,, शुभम से अब एक पल भी रुक पाना बेहद मुश्किल था,,। इसलिए वह सुगंधा पर झुकते हुए उसके दोनों कबूतरों को पकड़कर बारी-बारी से उसे मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शुभम की हरकत की वजह से सुगंधा की जवानी पिघलने लगी,,, उसकी पेंटी गीली होने लगी,,, और वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए स्तन चुसाई का मजा लेने लगी,,, सभी शुभम को अपने बालों में नरम नरम उंगलियों का एहसास होने लगा इससे शुभम समझ गया कि सुगंधा भी पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही है,,, और वह और जोर जोर से उसकी चूचियों को दबाते हुए उसे पीने लगा,,, सुगंधाको यह नहीं मालूम था कि,,, मर्द के द्वारा चुची पीने में औरतों को इतना आनंद आता है,,, इसलिए तो मुझे और भी ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी शर्म और उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल लाल हो गया था जो कि लालटेन की लाल रोशनी में और ज्यादा उत्तेजित लग रहा था,,,, दूसरी तरफ सुभम ने भी सुगंधा की चूचियों को मुंह में भर भर कर पीते हुए उसे लाल टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,,
सुगंधा उत्तेजना की अथाह सागर में गोते लगा रही थी उसे इस बात का बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था कि जिसे वह अपना पति समझ रही है वह उसका पति नहीं बल्की उसका भांजा है,,। और वह अपने भांजे को ही अपना पति समझ कर अपना तन बदन उस पर न्योछावर कर रही थी,,,,। सुगंधा की गरम सिसकारियां इस बात की सबूत थी कि शुभम की हरकत उसके बदन में आनंद की लहर को बढ़ा रही थी और कुछ उनकी हरकतों की वजह से ऊसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही है।,, ना चाहते हुए भी सुगंधा उत्तेजनावश शुभम के बाल को अपनी मुट्ठी में भींच ले रही थी,,,,। जॉकी इसमें शुभम को और ज्यादा मजा आ रहा था,,,, शुभम उसकी चुचियों को मुंह में भर कर पीते हुए एक हाथ से उसकी साड़ी की गिठान खोलने लगा,,, और अगले ही पल मुंह में चूचियों को भरकर पीते हुए ही सुभम ने सुगंधा की साड़ी को खोल कर अलग कर दिया,,, उसके बदन पर इस समय मात्र पेटीकोट ही रह गया था।
आज ना जाने क्यों सुगंधा की चूचियों को पीने में शुभम को बेहद मजा आ रहा था इसलिए वह अभी तक अपने मुंह में से सुगंधा की चुची को बाहर नहीं निकाला था। किसी बच्चे की भांति सूचियों को पीता हुआ देखकर सुगंधा आश्चर्य के साथ साथ काम उत्तेजित हुए जा रही थी।,,,, सुगंधा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए शुभम पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,,ईस तरह से सुभम को पेटीकोट के ऊपर से ही बुर को सहलाता हुआ देखकर सुगंधा मस्त होने लगी,,, वह ईतनी ज्यादा मस्त हो चुकी थी की उसके मन में आ रहा था कि वह खुद ही अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो जाए। लेकिन इस समय ऐसा करना उसे ठीक नहीं लगा क्योंकि यह उसके संस्कार के विरुद्ध था।
दूसरी तरफ शुभम ऊसकी पेटीकोट के ऊपर से बुर को टटोलते हुए उसकी आकार का जायजा ले रहा था,,,, इतना तो उसको आभास हो ही गया कि उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी है। उसका मन सुगंधा की रसीली बुर को देखने के लिए मचलने लगा,,,, इसलिए तुरंत वहां पेटिकोट की डोरी को पकड़कर उसे खींच दिया,,,, पेटीकोट का कसाव कमर पर से ढीला हो गया
सुगंधा की हालत खराब होने लगी क्योंकि अगले ही पल वह संपूर्ण रूप से नंगी होने वाली थी,,, उसके बदन की कसंसाहट बढ़ती जा रही थी,,,,। काफी देर तक सुगंधा की रसीली संतरे के साथ खेलने के बाद शुभम बिस्तर पर बैठ गया,,, सुगंधा की तरफ देखा तो वह गहरी गहरी सांसे लेते हुए शर्म के मारे दूसरी तरफ मुंह फेरे लेटी थी।,,, लालटेन की पीली रोशनी में सुगंधा का बदन चमक रहा था,, ऐसा लग रहा था मानो सुगंधा पीले रंग की रोशनी में नहाई हुई है,,,, शुभम मचलती जवानी को बिस्तर में यू शर्माता हुआ देखकर कामातूर होने लगा
,वह जल्द से जल्द सुगंधा को अपनी बाहों में भर लेना चाहता था। लेकिन अभी काफी समय सुगंधा को पूरी तरह से कामातुर कर देना चाहता था ताकि वह उसका मोटा लंड अपनी बुर में लेकर मस्त हो कर चुदाई का आनंद लूट सके,,,, सुभम सुगंधा की तरफ देखते हुए बोला,,,,
मेरी जान जितना खूबसूरत मैंने तुम्हारे बारे में सोचा था उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत तुम हो,,, मैं तुम्हें बता नहीं सकता कि तुम्हारे बदन से तुम्हारे कपड़े उतारते हुए मुझे कितनी खुशी हो रही है मैं अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत पति समझता हूं जो तुम जैसी खूबसूरत पत्नी के वस्र को अपने हाथों से उतार कर उसे नंगी करने जा रहा हूं,,,।( शुभम की नातेदार बातों को सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी उसकी प्रसन्नता उसके होठों पर साफ नजर आ रही थी और।यह देख कर सुभम मस्त होने लगा,,, वह अपनी बातों से भी सुगंधाको प्रभावित कर रहा था,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
मेरी जान अब में तुम्हारी पेटीकोट को उतारने जा रहा हूं तुम्हें नंगी होने में बस कुछ क्षण की ही देरी है उसके बाद तूम मेरी आंखों के सामने एकदम नंगी हो जाओगी मुझे खुशी होगी तुम्हारे नंगे बदन को देखकर,,,
( सुगंधा शुभम की इन बातों से एकदम कामवीभोर हुए जा रही थी,,, लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी वह बस शुभम के अगले हरकत का इंतजार कर रही थी, शुभम भी अब अपने दोनों हाथो से सुगंधा की खुली हुई पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, लेकिन सुगंधा की गोलाकार नितंबों का दबाव अभी भी पेटीकोट के ऊपर था जिसकी वजह से पेटिकोट को नीचे सरकने में काफी मशक्कत हो रही थी,,, सुगंधा मन ही मन सोच रही थी कि वह थोड़ा जोर लगाकर पेटीकोट को यूं ही खींचकर निकाल ले लेकिन ऐसा हो नहीं पाया तो उसे खुद ही अपनी गदराई गांड को हल्के से ऊपर उठा कर पेटिकोट को निकलवाने में मदद करना पड़ा लेकिन अपनी इस हरकत की वजह से वह काफी शर्मिंदगी महसूस करने लगी,,, क्योंकि पेटिकोट निकलवाने में सहकार देने का मतलब था कि वह खुद भी उतावली थी नंगी होने के लिए,,, लेकिन वह भी जानती थी कि थोड़ा बहुत सहकार कीएे बिना तो उसे भी मजा नहीं आएगा,,,, लेकिन शुभम सुगंधा का सहकार देखते हुए प्रसन्न हो गया,,,, वो जल्द से जल्द उसके पैरों से पेटीकोट निकाल कर फेंक दिया,,,, अभिषेक उनकी आंखों के सामने केवल लाल रंग की पैंटी में लेटी हुई थी,,,, जिसे शुभम ने तुरंत अपने दोनों हाथों से पकड़कर खींचकर पैरो से निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया इस बार भी सुगंधा ने उसी तरह का सहकार दिया जैसा की पेटीकोट निकलवाने में दी थी,,,
अब सुगंधा शुभम की आंखों के सामने बिस्तर पर एकदम नंगी लेटी हुई थी । वह एकदम शर्म सें लाल हुए जा रही थी वह अपने हाथों से अपनी बुर को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।,, और अपनी बेशकीमती बुर को छुपाते हुए एकदम मासूम लग रही थी,, शुभम यह देखकर मन ही मन में कहने लगा कि आखिर कब तक उसे बचा कर रखती एक ना एक दिन तो उसमे लंड डलवाना ही था। ईतना मन में सोचते हुए वह सुगंधा के दोनों हाथों को पकड़कर उसकी बुर पर से हटाते हुए बोला,,,
मेरी जान अपने बेश कीमती खजाने को मुझसे कहा छुपा रही हो क्योंकि तुम भी जानती हो कि मैं यह तुम्हारा खजाना आज लूटने वाला हूं,,,,।
( शुभम की बातों को सुनकर सुगंधा शर्म के मारे लाल हुए जा रही थी और शरमाते हुए बोली,,।)
आराम से इस खजाने को लूटना मैं कहीं भागे नहीं जा रही हूं, आज तक इसे दुनिया की नजरों से बचाकर रखीथी,,,
सिर्फ आपके लिए अब आप ही के मालिक हो जो मन आए वह करो लेकिन आराम से मुझे बहुत डर लगता है।
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