RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कमरे में उत्तेजना की परिभाषा को द्रश्यात्मक तरीके से परिभाषित करते हुए शुभम अपनी कमर को होले होले कोमल की नरम नरम नितंबों पर आगे पीछे करते हुए हिला रहा था,,, जिसकी वजह से उसका मोटा तगड़ा
लंड कोमल की कोमल दरारों के नीचे के भाग में रगड़ खाते हुए आगे पीछे हो रही थी,,, कोमल के लिए शुभम की यह हरकत संभोग से कम नहीं थी,,, एक तो पहले से ही शुभम की मां अपनी जीभ से हरकत करते हुए उसकी बुर में आग लगा रही थी और दूसरे यह शुभम अपनी मौसम की गर्मी से बुर के मदन रस को पिघला रहा था। यह सब कोमल के लिए असहनीय था।,,, और ऊपर से उसकी आंखों में खुमारी का नशा बढ़ता ही जा रहा था,, रह रहकर निर्मला कभी अपने बेटे के मोटे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी तो कभी कोमल की रसीली बुर पर जीभ लगाकर उसके रस को गटक ने लगती,,,,
कोमल पूरी तरह से कसमसा रही थी और इस कशमकश की वजह से कमर के नीचे का भाग गोल गोल घूम रहा था जिसकी वजह से कोमल का मजा दोगुना होता जा रहा था। गर्मी का महीना और उपर से कमरे का गर्म दृश्य तीनों के बदन मे काम भावना की तपिश भर रहा था। तीनों के बदन से पसीनेकी बूंदें टपक रही थी।,,, आज पहली बार निर्मला बुर चाटने का आनंद ले रहीे थी उसे आज यह बात अच्छी तरह से समझ में आ गई थी कि मर्दों को घर जाने में कितना मजा आता है तभी तो वह या भी नहीं देखते कि बुर की सफाई ठीक से हुई भी है या नहीं बस उस पर टूट पड़ते हैं,,, और अपनी जीभ से ही चाट चाट कर उसे साफ कर देते हैं।,,, निर्मला की तरह से समझ गई थी कि जितना मजा बुर चुदाई का औरतों को मिलता है उतना ही मर्दों को भी प्राप्त होता है तभी तो वह इस समय पूरे जी जान से कोमल की बुर चाटने में लगी हुई थी।
शुभम कोमल की दोनों कबूतरों को अपने हथेली में भर कर होले होले से उसे पुच कार रहा था,,, कोमल के दोनों संतरों का रंग लाल टमाटर की तरह हो गया था। क्योंकि शुभम दोनों चुचियों को सहलाते-सहलाते उत्तेजना बस जोर से दबा दे रहा था। और इस वजह से कोमल की आह निकल जा रही थी।,,,,
सससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहह शुभम यह क्या कर रहे हो तुम दोनों मां-बेटे मिलकर मेरे बदन में यह कैसी आग लगा रहे हो,,,, मुझसे यह बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है,,,,।आहहहहहहहहह सुभम,,,,
( कोमल मदहोश होते हुए बोली)
ओहहहहहहह कोमल मेरी जान मेरी रानी आग तो तुमने मेरे बदन में लगा दी हो,,,, तुम्हारा खूबसूरत बदन जी मैं आ रहा है कि ईसें अपने सीने में भींच लु। मुझसे तुम्हारी जवानी बर्दाश्त नहीं हुई है। मेरा लंड तड़प रहा है तुम्हारी बुर मे जाने के लिए,,,,,
ससससहहहहहह तो डाल दो ना रोका किसने है मैं भी तो तड़प रही हुं तुम्हारे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,,।
( कोमल और कुसुम के बीच हो रही अश्लील वार्तालाप को सुनकर निर्मला की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी,,, उन दोनों के बीच की गंदी बातचीत की वजह से बिल्कुल भी हैरान परेशान नहीं थी क्योंकि जब दोनों के बीच और खुद उसके बीच की मर्यादा की दीवार ही गिर गई हो तो अपने शब्दों में संस्कार के ईंटों को जोड़कर कौन सी दीवार खड़ी कर लेंनी थी। इसलिए वहां उन दोनों की बातचीत से और ज्यादा उत्तेजित होकर इस बार अपने बीच वालेी ऊंगली को फिर से कोमल की गुलाबी बुर के छेद में डाल दी और इस वजह से कोमल के मुख से सिसकारी फूट पड़ी।
ससससहहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहहहह बुआ,,,,,,,,, यह क्या कर रही हो,,,।
कोमल रानी तुम्हारी बुर में जगह बना रही हुं ताकि मेरी बेटे का मोटा लंड तुम्हारी बुर के अंदर आराम से जा सके,,,,,
तो ऊंगली क्यों उसी को डलवा दो,,,
बडी़ जल्दी पड़ी है तुम्हें लंड लैंने की,,,,,,,
क्या करूं बुआ तुमने जो मेरे बदन में आग लगाई हो मैं तड़प रही हूं तुम्हारे बेटे के लंड को लेने के लिए,,,
ले लेना अभी तो सारी रात बाकी है मेरा बेटा तुम्हारी अच्छे से चुदाई करेगा (इतना कहते हुए निर्मला अपने बेटे के लंड पकड़ कर उसके सुपाड़े का उसी तरह से उसकी गुलाबी बुर के दरार रगड़ने लगी,,,,)
आहहहहहहहहहहह,,, बुआ तड़पा क्यों रही हो,,,,
मेरी जान यहीं तड़प तो तुम्हें लंड निगलने में मदद करेगा,,,,,,
( निर्मला शुभम कै लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के बीचो-बीच रगड़ रही थी जिसकी गर्मी कोमल बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह मजदूर थी वाईएनएन जताना चाहती थी कि शुभम ने उसे पहले भी चोद चुका है इसलिए वह अपने बदन में उठ रही चुदास की लहर को अपने अंदर दबाने के लिए अपने नितंबों को गोल गोल आकार में घुमाते हुए शुभम के मोटे और लंड की रगड़ को अपने अंदर महसूस करते हुए मस्त हुए जा रही थी। शुभम दोनों की मद भरी बातें सुनकर मस्त हो चुका था उसका भी सब्र टूट चुका था वह भी चाहता था कि जल्द से जल्द बा कोमल की फोटो में अपना लंड डाल कर उसे चोदे ले लेकिन अभी ऐसा करने पर उसकी मां नाराज हो सकती थी और वह उसे नाराज नहीं करना चाहता था निर्मला के मन में कुछ और ही चल रहा था वह सबसे पहले चुद़वाना चाहती थी। क्योंकि जितनी आप और को मत दीजिए बनाने के लिए उसे कहीं ज्यादा निर्मला मचल रही थी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए,,, और वह कोमल के सामने चुदवा कर अपनी
प्यास को बुझा कर तृप्त होना चाहतीे थी,, कोमल ने जब से उसे और शुभम को चुदाई करते हुए पकड़ी थी तब से एक तरफ उसके मन में डर भी था लेकिन एक तरफ उसकी इच्छा यह भी हो रही थी कि वहां कोमल के सामने ही अपने बेटे से चुदवाए,, और अब उसकी यह ख्वाहिश पूरी होने वाली थी इसलिए,,, निर्मला खड़ी हुई और देखते ही देखते अपने बदन पर से सारे वस्त्र उतार फेंकी,,, कोमल और निर्मला दोनों एकदम नंगी हो चुकी थी शुभम कहां पीछे हटने वाला था वह भी खड़ा खड़ा यह देखता रहा और अपने भी वस्त्र उतार कर फेंक दिया। कमरे में तीनों संपूर्ण का नग्न अवस्था में खड़े थे शुभम की आंखों के सामने दो दो औरतें अपनी जवानी से लबालब बदल लिए उसकी आंखों के सामने खड़ी थी जिसे देख कर शुभम ललचा रहा था। उसका लंड छत की तरफ मुंह ऊठाए खड़ा था शुभम के टनटनाए हुए लंड को देख कर कोमल की बुर फुदकने लगी। वह गरम आहें भरते हुए बोली,,,,
शुभम तुम्हारा लंड तो ऐसा लगता है किसी जानवर का लंड है जिस तरह से मुंह ऊठाए खड़ा है,, मुझे तो डर लग रहा है।
डर क्यों लग रहा है कोमल रानी,,,( कोमल की बातें सुनकर शुभम अपने लंड को मुठीयाते हुए बोला,,)
इतना मोटा मेरी बुर ( नजरें झुका कर बुर की तरफ देखते हुए ) में जाएगा कैसे,,,,
( यह सुनकर निर्मला बोली)
चला जाएगा मेरे को मजा नहीं एक बार और अब जब चुदवासी हो जाती है तो गधे का लंड भी ले लेती है।
( निर्मला मुस्कुरा कर बोली।)
तुमतो ले लो की दुआ तुमको ना जाने कितनी बार ली हो लेकिन मेरे में कैसे जाएगा,,,
चला जाएगा मैं हूं ना सब ठीक कर दूंगी,,,
वैसे कहूं तो बुआ तुम ने अपने बेटे को क्या खाकर पैदा की हो उसका लंड भी एकदम गधे के लंड की तरह है।
तुम्हें कैसे पता कि शुभम का लंड गधे के लंड की तरह है तुमने देखी हो क्या गधे का?
बुआ यहा खेतों में अक्सर दिख ही जाते हैं घास चरते हुए अपना वह लटका कर घूमते रहते हैं।( कोमल एक्जाम छिनार पन दिखाते हुए बोली,,, उसे अब बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी। यह देखकर निर्मला और सुभम दोनों हैरान थे लेकिन दोनों मन ही मन खुश हो रहे थे कि इस तरह का खुलापन हीं चुदाई में और ज्यादा आनंद देता है।,,,, निर्मला कोमल की बात सुनकर हंसते हुए बोली।
एकदम छीनार होते जा रही हो,,,
तुम से बड़ी नहीं बुआ,,,,, ( कोमल भी निर्मला की बात का जवाब देते हुए हंस कर बोली,, जवाब में निर्मला भी बस मुस्कुरादी,,, क्योंकि निर्मला के लिए बोलने लायक कुछ भी नहीं था वैसे भी कोमल सच ही कह रही थी। निर्मला सच में इस समय किसी छीनार से कम नहीं थी।
दोनों को शुभम देखते हुए उत्तेजित हुए जा रहा था। उसका लंड पूरी तरह से तैयार था बुर नुमा गुफा मे जाने के लिए,,, उसके लिए दो दो औरते तैयार थी अपनी टांग फैलाने के लिए,, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि दोनों में से कौन सबसे पहले अपनी टांगे खोलेगी यह फैसला निर्मला को ही करना था निर्मला बखूबी जानती थी की सबसे पहले कमरे में शुभम का लंड कौन अपनेी बुर में लेगा।,,,
कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था आधी रात बीत चुकी थी बदन की गर्मी और वातावरण की गर्मी तीनों के बदन में अपना असर दिखा रही थी। तीनों के बदन पर पसीने की बूंदें चमक रही थी। तीनों एक दूसरे को बारी बारी से देख कर मस्त हुए जा रहे थे।,,, तभी निर्मला बोली,,,,
अब हमें खिड़की खोल देना चाहिए क्योंकि देखो हम तीनों की हालत कैसी पसीने से तरबतर हो चुके हैं।
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