Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
04-14-2020, 11:25 AM,
#2
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल मुस्कुरा कर कहती, "तू ही है छोटू मोहल्ले में जो मेरा हर काम कर देता है." छोटू अपनी तारीफ सुन फूला न समाता फिर कोमल से पूछता, “कोमल क्या में इमली के पत्ते तोड़कर खा लूं?"

कोमल कहती, “हाँ हाँ क्यों नही? तेरे लिए कोई मना नही है.” इमली की तरह इमली के हरे पत्ते भी खट्टे होते हैं. जो खाने में बहुत खट्टे और अच्छे लगते हैं.


छोटू रोज़ स्कूल जाते वक्त कोमल से इमली के पत्ते लेकर जाता था और स्कूल में दोस्तों के साथ बैठकर खाता. यही सिलसिला सालों साल चलता रहा. कोमल इमली के पत्ते छोटू को देती और अपने लिए मेहँदी के पत्तो का बन्दोवस्त करवाती. लेकिन समय एक जैसा तो नही रहता और वही हुआ. इमली का मौसम खत्म हुआ. कोमल और छोटू का मिलना भी कम हो गया.


अब कभी कभार ही दोनों की मुलाक़ात होती थी. कोमल आज कल किसी अलग हवा में जी रही थी. जिसकी भनक किसी को नही थी लेकिन एक दिन वो भी आया जब कोमल अपने आप को किसी में खो बैठी और वो खोना ऐसा कि जिसके लिये वह अपनी जान हथेली पर लिए घूम रही थी.


___ गाँव में एक दूधिया आता था. वो कोमल के घर से भी दूध लेकर जाता था. कोमल उसके साथ बहुत मजाकें करती. कभी कभी उसके घर वाले उसे डांट भी देते लेकिन कोमल किसी के कहने से कब मानी थी जो आज मानती. दुधिया भी कोमल की ही उम्न का था. नाम था राज. उसका गाँव कोमल के स्कूल वाले रास्ते में ही पड़ता था.


धीरे धीरे दोनों एक दूसरे से घुलने मिलने लगे और फिर पता नही कब दोनों एक दूसरे को अपना दिल दे बैठे. ये बात खुद उन दोनों प्रेमियों को भी पता न चली. कोमल और राज ने अभी तक एक दूसरे से इश्क का इजहार भी न किया था.


बस बातें करते रहते. एक दूसरे को चिढाते, नये नये चुटकुले सुनाते. समय बीतता जा रहा था. इधर कोमल और राज का मौन इश्क अपने चरम पर था. उनके इश्क की आग उनके दिलों को जलाकर राख किये दे रही थी. मानो कह रही हो कि या तो इजहार करो नही तो तुम्हारे दिल के साथ साथ तुम्हे भी जलाकर राख कर दूंगी.


कोमल जब भैंस का दूध दुहने बैठती उस वक्त दूधिया राज बैठा बैठा उसके मोहक रूप के दर्शन करता रहता था. बीच बीच में कोमल भी उसे देखती रहती. कभी कभार भोंह के इशारे से पूंछती, "क्यों क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहे हो?" और उसके रंग में रंगा दूधिया राज भी सर हिलाकर इशारों में कहता, "कुछ भी तो नही."


दोनों इश्क कलंदरों को पता था कि वो एक दूसरे को क्यों देखते हैं? लेकिन फिर भी पूछते थे. कारण था कोई भी पहले इजहार करने की हिम्मत न कर पा रहा था. जब भी उन में से कोई दूसरे की तरफ देखता और जब दूसरा पूछता तो तो उसमे मिलने वाला आनंद इजहारे इश्क के विचार से ज्यादा अच्छा लगता था.


इसलिए लोगों ने कहा है की छुप छुप के इश्क करने का मजा ही कुछ और होता है और वही आनंद ये दोनों प्रेमी प्राप्त किये जा रहे थे. लेकिन इश्क सिर्फ चुप रहकर देखना भर तो नहीं है. उसका और भी तो रूप है. जिसको पाने के लिए ये लोग भी लालयित थे. कोमल और उसकी बहन दोनों जब कॉलेज जातीं तो राज रास्ते में उन दोनों का इन्तजार करता रहता था. जैसे ही ये दोनों उसे दिखाई देतीं वो उठकर दोनों के साथ चलने लगता फिर अपना गाँव आने तक इनके साथ चलता रहता था.


एक दो दिन का तो कुछ नही लेकिन जब रोज़ ऐसा होने लगा तो कोमल की बड़ी बहन देवी उससे बोल पड़ी, "क्यों री कोमल ये राज दूधिया रोज अपने साथ ही क्यों जाता है?

कोमल अनजान बनते हुए बोली, “मुझे क्या पता?"

देवी उसे कुरेदते हुए बोली, “तो ठीक है. आज इसकी शिकायत पापा से किये देती हूँ. एक दिन में लाइन पर आ जाएगा."

कोमल हडबडा कर बोली, “अरे नही नही शिकायत की क्या जरूरत है? उसने हम से कोई गलत हरकत तो की ही नही न. फिर पापा से कहने की क्या जरूरत है."

देवी तंज करते हुए बोली, “अच्छा मेरी भोली बहन, जब कोई हरकत करेगा तभी कहोगी उससे पहले नही. जब कुछ हरकत कर ही देगा तब कहने का क्या फायदा? आज में इसकी शिकायत करके ही रहूँगी."


कोमल के दिल में राज का वास था. उसे राज के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं होना स्वभाविक था. वह तुनक कर बोली, "ठीक है कह देना पर में तुमसे न बोलूंगी. भूल जाना कि तुम्हारी कोई बहन भी थी."


देवी हैरत भरे स्वर में बोली, "अरे अरे पागल हो गयी हो क्या? ये राज क्या तुम्हारा फूफा लगता है जो इसकी शिकायत न करने दोगी और ये हो क्या गया है तुम्हे? उस राज की इतनी तरफदारी क्यों कर रही हो?"


कोमल अपने कहे पर हडबडा उठी. उसने इश्क के नशे में जो बात देवी से कह दी थी उसका अंदाज़ा उसे बात कहने के बाद हुआ. फिर सम्हलते हुए बोली, "देखो देवी मेरी बहन में तो सिर्फ ये कह रही थी क्यों किसी बेचारे सीधे साधे लडके को परेशान किया जाय?"


देवी को कोमल पर अब शक हो रहा था. सोच रही थी हो न हो ये राज इसी की राज़ी से हमारे साथ आता जाता है. कोमल के राज को सीधा साधा कहने पर वह तुनककर बोली, “अच्छा अब ये सीधा साधा लड़का कब से हो गया? कहीं कोई और बात तो नहीं कोमल रानी? बता देना नही तो तुम्हारी खैर नही."


कोमल तो पहले ही राज नाम की चासनी में पकी जलेबी थी.
ऊपर से देवी की तीखी बाते उसे और ज्यादा कुरकुरी किये जा रही थी लेकिन कोमल कितनी ही मुंहलवार थी परन्तु अपनी बड़ी बहन के सामने अपने इश्क को कबूल करना उसके लिए बहुत मुश्किल था.
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RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी - by hotaks - 04-14-2020, 11:25 AM

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