RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग - 2
लेकिन कभी तो ऐसा होना ही था. एक दिन देवी बीमार पड़ गयी. घरवालों ने उस दिन स्कूल जाने से मना कर दिया लेकिन कोमल का तो घर में मन ही नही लगता था. उसका मन तो उस राज से जा लगा था. उसे आज से अच्छा मौका न लगा. सोचा देवी न जायेगी तो आज रास्ते में सिर्फ वो और राज होंगे.
घर वालों के काफी मना करने के बाबजूद कोमल घर से स्कूल के लिए चल दी. घर से बाहर कदम पड़ते ही कोमल का मन बारिश में मोर जैसा हो गया. आज कोयल को बसन्त और चकोर को चाँद से मिलने की तमन्ना थी.
आज सुबह कोमल ने घर से चलते वक्त खाना भी नही खाया था. आज तो वो राज के दर्शन से भूख को तृप्त करने वाली थी फिर खाना भला कौन कमबख्त खाए?
उधर राज रास्ते में आकर बैठ गया. आज सुबह से राज को भी न जाने क्यूँ ऐसा लग रहा था कि कुछ अच्छा होने वाला है? सुबह जल्दी उठा. खुशबु वाले साबुन से नहाया और बाल कंघी कर सीधा उसी जगह आ बैठा जहाँ से रोज उसकी महबूब कोमल गुजरती थी. जिधर उसके दिल को सुकून मिलता था. जहाँ जाए बिना उसका दिल थामे न थमता था.
कोमल के पैर हवा में चल रहे थे. उसे लगता था कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी वो उस जगह पहुंच जाए जहाँ राज बैठा उसकी राह देख रहा है. वो इतनी तेज चल रही थी कि आज अगर देवी उसके साथ होती तो वो उसे काफी पीछे छोड़ आगे निकल जाती. सांस फूल रही थी लेकिन इस पगली को तो अपनी मंजिल पर जाकर रुकना था.
फिर वो वक्त भी आ पहुंचा जब उसे राज कुछ दूर पर खड़ा दिखाई दिया. राज आज कोमल को अकेली आते देख अंदर तक कंपकपा गया. दिल में हलचल हो गयी थी. परन्तु आनंद की भी सीमा न रही. जल्दी जल्दी पेंट की पिछली जेब से छोटा सा कंघा निकाल बाल ठीक कर लिए. मुंह रुमाल से पोंछ लिया. थोडा सा रुमाल दांतों पर भी घिस लिया लेकिन उसे अपनी आँखों पर भरोसा न होता था. सोचता था देवी भी उसके साथ पीछे पीछे आ रही होगी.
कोमल ने राज को देखा और राज ने उसे. दोनों की आँखे मिली जिनमे एकदूसरे को कुछ बताने और कुछ पूछने की अधीरता साफ़ दिखाई देती थी. जैसे ही दोनों करीब आये दोनों की हिम्मत न हुई कि एक दूसरे से कुछ बोल सकें. राज को यह जानने की जल्दी थी कि आज उसके साथ देवी आई है या नहीं?
कोमल ने थोडा रुककर अपनी सांसो पर काबू किया जो तेज चलकर आने की वजह से फूल रही थी. लेकिन तब तक राज अपनी अधीरता खो कोमल से पूंछ बैठा, “आज तुम्हारी...बहन नही आई." राज ये सवाल पूछते वक्त काँप रहा था. आज से पहले उसे कोमल के सामने इतना डर कभी भी महसूस न हुआ था जबकि रोजाना कोमल से खूब बातें किया करता था.
कोमल सांसो पर काबू पा चुकी थी लेकिन राज के साथ अकेले खड़े होने के कारण आज उसे भी अपने आप का होश न रहा. राज के सवाल के जबाब में बस उसने ना में सर हिला कर बताया कि आज सचमुच में देवी नहीं आई है. ओह मेरे भगवान! कितनी मोहक बात कोमल ने कह डाली. जैसे राज को सारे जहाँ का सुख दे दिया था.
इतना सुनना था कि राज के दिल की धडकने किसी मशीन की तरह चलने लगीं. उसे लगा कि अगर उसके दिल ने धडकना कम न किया तो उसका दिल फट जाएगा. कोमल का दिल भी राज के दिल की तरह बिना बात धडके जा रहा था. दोनों काफी देर से चुप चाप खड़े थे. कोई किसी से न बोलता था.
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