RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
आज एक अलग घड़ी थी इन दोनों प्यार के जीवों के लिए. जिसे ये पूरी तरह से महसूस कर रहे थे. दिलों की धडकनों में होने वाली सुरसुरी उन्हें कुछ नया होने का आभास करा रहीं थी और अजीब बात तो ये थी कि दोनों के पास घड़ी भी नही थी. समय का पता कैसे चले? कैसे इश्क कबूल करने की जल्दी हो?
अन्य दिन तो राज भी घड़ी पहनता था लेकिन आज बो जल्दी जल्दी में अपनी घड़ी पहनना भूल गया था. घड़ी राज के लिए सबसे जरूरी चीजों में से एक थी. जब वो दूध लेने कोमल के गाँव जाता था तो घड़ी से ही तो पता चलता था कि किसकी भैंसिया कब दूही जानी है? अगर थोडा सा भी लेट हुए तो भैंस वाला दूध में पानी मिला देता था और फिर राज डेयरी मालिक की फटकार सुननी पडती थी.
लेकिन आज उसे घड़ी की एक और अहमियत पता चली कि अगर इश्क करो तो घड़ी जरूर पहनो, नही तो समय का पता ही नही चलता और आप उस दिन का इश्की लेक्चर मिस कर देते हैं. ये ऐसा लेक्चर होता है जिसका एक एक अक्षर आपके लिए बहुत ज़रूरी होता है. अगर आप इश्क के कलमा पढने वाले है तो.
कोमल ने राज की तरफ फिर से देखा और शुरुआत करती हुई बोली, “अब खड़े ही रहने का इरादा है? कहो तो बैठ जाऊं? मेरी टाँगे तो दर्द कर रही है." इतना कह कोमल बैठ गयी
लेकिन राज ने सुना कि कोमल के पैरों में दर्द हो रहा है तो एकदम से बोला, "कहों तो तुम्हारे पैर दबा दूँ?" ये कहने के बाद राज खुद ही झेंप गया. सोचा दैय्या रे दैय्या! ये क्या कह गया?
कोमल का माथा ठनक गया और हंसी भी छूट गयी. बोली, “आज बाबले हो गये हो क्या? अरे हम तो कह रहे थे कि खड़े खड़े पैर में दर्द हो रहा है ये कोई वैसा दर्द थोड़े ही है. और हो भी रहा होता तो क्या तुमसे पैर दबाने को कहती? बुद्धू कहीं के."
कोमल की प्यार भरी फटकार सुन राज का मन इश्क के रंग से रंग उठा. डालडा पिघल कर मक्खन हो गयी. सादा पानी मीठा शरवत वन गया.
कोमल आम के पेड़ के नीचे बैठी थी और राज उससे थोड़ी दूर पर खड़ा था. कोमल ने राज की तरफ देखा और बोली, “अब खड़े रहकर क्या कर रहे हो? आकर बैठ जाओ और कुछ बताओ या सुनाओ. घर पर दूध लेने आते थे तब तो बड़ी लम्बी लम्बी बाते करते थे. फिर आज क्या मौन व्रत रखा है?"
राज पहले से बहुत बातूल था. कोमल की प्यार भरी चुटकियां उसे उस बातूलपन की तरफ धकेलती जा रहीं थी. अब बह भी खुलता जा रहा था. बोला, “नही ऐसी कोई बात नही. सोचता हूँ क्या बोलूं? अच्छा चलो ये बताओ तुम आज स्कूल क्यों नही गयीं? अगर चाहती तो जा भी सकतीं थी.
कोमल ने मन ही मन में सोचा वाह रे राज दूधिया! मुझसे पूछता है की स्कूल क्यों नही गयीं और खुद के मन में था कि में आज स्कूल जाऊं ही नहीं, यह सोच वह बोली, "अच्छा और तुम ये रोज रोज मेरे साथ यहाँ से गाँव के बाहर तक आते जाते हो ये सब किस लिए करते हो?" सवाल से महा सवाल टकरा दिया. वाह री मतवाली कोमल!
कोमल के सवाल ने राज को निरुत्तर कर दिया था. जबकि राज जानता था कि कोमल स्कूल क्यों नही गयी और कोमल भी ये जानती थी कि राज उसके आगे पीछे क्यों घूमता है? फिर ये सवाल क्यों? इन सब शुरूआती आशिक लोगो की ये सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि इन्हें ये पता नहीं होता कि ये कर क्या रहे हैं? सब करते भी जाते है. यही तो हो रहा था इन दोनों इश्क कलंदरों के बीच में.
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