RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
देवी को यकीन था कि आज दिया हुआ वादा कोमल कभी मुश्किल से ही तोड़ेगी. देवी को कोई रास्ता न सूझता था लेकिन उसे इस सब के हल को ढूढने के लिए थोडा समय चाहिए था. देवी कोमल से बोली, "तू ध्यान से सुन मेरी बहन. मुझे अपना दुश्मन न समझना. में तो तेरी माँ जाई बहन हूँ. हर पल तेरे भले का ही सोचूंगी. मैंने फैसला लिया है कि मैं तेरे लिए कोई न कोई रास्ता जरुर निकलूंगी. जिससे तू अपने मन का काम कर पाए लेकिन उसके लिए मुझे थोडा वक्त चाहिए. किन्तु तब तक तुझे मुझसे ये वादा करना होगा कि तू उस वक्त तक राज से बात भी न करेगी जब तक में तेरे लिए इसका कोई हल न खोज लूँ. अब फैसला तेरे हाथ में है. तू आधा चाहती है या पूरा."
देवी की राज से बात न करने वाली शर्त कोमल के लिए ऐसी थी जैसे कि वो अपने आप से बात न करे. अपने दिल को भूल जाए. अपनी आत्मा को मिलना छोड़ दे. अपने आप को कुछ दिन के लिए मार डाले लेकिन राज की प्राप्ति के लिए इस राधा को सबकुछ मंजूर था.
वो देवी से वादा करती हुई बोली, “देवी तूने मुझसे ऐसा वादा लिया है जिसे निभाना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल है. मेरे लिए मेरी आत्मा को कुछ दिन के लिए छोड़ने जैसा है ये सब लेकिन में तुझसे वादा करती हूँ. में आज के बाद राज को अपने मुंह से एक भी बात न बोलूंगी. जब तक कि तू इसका कोई हल खोज मुझे इसकी इजाजत न देगी. ये मेरा वादा है तुझसे लेकिन तू भी अपना वादा न भूल जाना.'
देवी ने अपनी भोली बहन कोमल के दिल पर बंदिश लगा उसको आधा कर दिया था. वो जानती थी कि ये जो बंदिश का समय होगा वो कोमल के लिए नरक जैसा होगा. वो न ठीक खाएगी.न ठीक से पहनेगी. न ही ठीक से सोएगी. फिर जीवन में रह ही क्या जाएगा करने के लिए? सब कुछ तो भूल जायेगी ये नाजुक मन लडकी. कितना बड़ा प्रहार किया था देवी ने उसके कोमल दिल पर? लेकिन दूसरा रास्ता ही क्या था देवी के पास कोमल की इस मुश्किल का हल निकालने के लिए? कोमल की तरफ देख देवी ने अपनी आँखों से उसे भरोसा दिलाया कि वो भी अपना वादा निभाएगी. वो भी अपने काम को सिद्दत से करेगी.
उसके बाद देवी ने कोमल के रोते हुए मुखड़े को अपने दुपट्टे से साफ़ किया और बोली, “अब रो मत सब कुछ थोड़े ही दिनों में ठीक हो जाएगा. चलो अब घर चलते हैं." यह कह देवी ने अपने प्यार भरे होटों से कोमल का प्यारा माथा चूम लिया.
देवी ने अपनी बहन कोमल का हाथ अपने हाथ में लिया और अपने रास्ते पर चल पड़ी. दोनों बहन चली जाती थीं. दोनों के मन चिंतित थे. दोनों के चलने में दर्द झलकता था. कोई भी पारखी आदमी उनके चेहरे और चाल ढाल को देख बता देता कि दोनों किसी घोर चिन्तन से जूझ रही हैं. दोनों किसी बात को ऐसे सोच रही है जैसे ये उनके जीने मरने का प्रश्न हो.
दोनों ही दोनों का साथ देने के लिए बाध्य थी. जिसे समाज ने सखी का नाम दे रखा है. जिसे समाज ने बहन का नाम दे रखा है. वो सखी वो बहन. आज अपनी सखी. अपनी बहन के लिए त्याग की मूरत बन गयीं थी.
दोनों बहनें रास्ते पर चुपचाप चली जा रही थी लेकिन राज को रास्ते पर खड़ा देख दोनों की नजरें मिली. इशारा हुआ कि अपना वादा याद रहे. उसे निभाने में कोई चूक न हो जाए. राज के पास से गुजरने जा रही कोमल अपनी नजरों को राज की सूरत को देखने से लाख वार बचा रही थी लेकिन जो नजर राज की आदी थी वो एकदम कैसे मान जाती? कोमल अपनी नजरों पर अपना काबू न रख पा रही थी और फिर नजरों ने राज को देख ही लिया.
ओह मेरे राम! ये है क्या जो आदमी को इतना पागल बना देता है कि वो न भी चाहे तो भी किसी को चाहने लगता है? कोमल आज न चाहते हुए भी अपनी नजरो को राज को देखने से रोक नहीं पा रही थी और जैसे ही राज के चेहरे को देखा वैसे ही कोमल का मन हुआ कि जाकर राज से लिपट जाए.
तोड़ दे सारे वादे जो अभी उसने देवी से किये थे लेकिन वो जानती थी कि आज वादा तोड़ने से राज हमेशा के लिए उससे छूट जाएगा. अगर कुछ दिन राज को न देखेगी तो राज उसे जरुर मिल जाएगा. यह सोच उसने राज से अपनी नजरें हटा ली लेकिन राज का उदास चेहरा उसकी आँखों में अभी भी था.
कोमल के लिए ये सब वैसा ही कठिन था जैसे चकोर चाँद को न देखने का वादा करदे. जैसे पतंगा आग के पास खुद को न जलाने जाए. जैसे मछली खुद को जल से अलग रहने का वादा करदे. ये जो अपने जीवन से मिलने का अरमान चकोर, पतंगा और मछली को होता है वैसा ही कुछ कोमल को राज से मिलने का होता था.
आज वही उससे छिन गया था, अब कोमल के मन में संजोने के लिए सिर्फ राज के साथ बिताये पिछले सुखद पल थे जिन्हें वो तब तक याद करेगी जब तक राज उसे दोबारा नहीं मिल जाये.
दोनों बहनें राज के पास से गुजर चुकी थीं. राज आज हतप्रभ था. उसे कोमल पर भी आश्चर्य हो रहा था कि जो लडकी हमेशा उसका स्वागत मुस्कान के साथ करती थी उसने आज सूनी नजरों से देख मुंह फेर लिया. जैसे कि वो मुझे जानती तक नही. क्या मुझसे कोई भूल हो गयी? अगर हो भी गयी तो मुझे बता तो देती? क्या किसी और ने कुछ कहा? क्या देवी ने उसे कुछ कहा? हो सकता है कोमल अपनी बहन देवी की वजह से मुझसे न बोली हो लेकिन कुछ भी हो राज जब तक ये न जान लेगा कि बात क्या हुई तब तक चैन न लेगा.
राज ने देखा कि कोमल काफी दूर जा चुकी है लेकिन उसने एक भी बार उसे मुड़कर नहीं देखा.
कोमल का दिल भी करता था कि वो मुड़कर देखे कि राज गया कि नही या अभी वहीं खड़ा है लेकिन आज वह देवी को दिए हुए वादे में बंधी हुई थी. इस कारण लौटकर अपने प्राणों को भी न देख सकी. राज अब भी कोमल को जाते देख रहा था. फिर एक दम से उसकी आँखे अपने धैर्य को खो बैठी. आंसुओं की ऐसी झड़ी लगी कि राज का चेहरा आसुओं से ढक गया. लेकिन कहते हैं कि जब किन्ही दो लोगों के दिल आपस में मिले होते हैं उन्हें अक्सर एक जैसी भावना उत्पन्न होती है और वही यहाँ हो रहा था.
कोमल को अंदर से लग रहा था कि राज जरुर रो रहा होगा. यह सोच कोमल भी आँखों से झरना बहाने लगी. एक स्त्री का दिल लाख चोट सहने के लिए भी तैयार होता है लेकिन उसका दिल दुनिया की सबसे नाजुक वस्तु भी होती है जो पता नही कब किस छोटी सी बात से चोट खा बैठे? उस दिली नाजुकता को हम कमजोर तो नही कह सकते लेकिन एक भावना से उत्पन्न हुआ अंग कहना ठीक होगा. शायद उसको कोई नाम भी न दिया जा सके. राज आँखों में आंसू लिए अपने घर को लौट गया.
|