RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग-4
चांदनी गाँव के सबसे अमीर परिवारों में से एक घर की लडकी थी. चांदनी से कब उसका नाम चुन्नी पड़ गया ये किसी को भी पता नहीं चला. चुन्नी पांच भाई बहनों में सबसे छोटी थी और घर में सबसे लाडली भी.
भरा हुआ गोरा बदन, कजरारी आँखें. पतली कमर. लम्बा चौड़ा कद काठी. काले गहने कमर को छूते बाल. क्या कमी थी चुन्नी में? जाने कितने लडके उसपर फ़िदा हुए थे लेकिन चुन्नी ने एक को भी अपने दिल में न बसाया था. उसे तो किसी ऐसे की तलाश थी जो उसके दिल को पहली ही नजर में भा जाए. फिर एक दिन ऐसा भी आ गया जब चुन्नी को पहली ही नजर में किसी से प्यार हो गया.
चुन्नी के घर के सामने एक पंडित जी का घर था. पंडित जी के घर के द्वार पर एक छबीला नौजवान आकर बैठता था. बाल बड़े बड़े अभिनेताओ की तरह. हाथ में रेडियो रहता था. जिसमे दिन भर प्यार भरे गाने नॉनस्टॉपचलते थे. पेंट की पिछली जेब में एक छोटा पॉकेट कंघा रहता था जिससे वो नौजवान समय समय पर अपने बाल संवारता रहता था. उस नौजवान का असली नाम तो पता नही लेकिन लोग प्यार से उसे बादल कहते थे.
बादल का जैसा नाम बैसा काम. गाँव के किसी भी आदमी से उसकी रंजिश नही थी. कोई भी आदमी बादल की बुराई नही करता था. हरएक से प्यार से बोलना. सभी को रोज दुआ सलाम करना. सभी की इज्जत करना उसका स्वभाव था. लेकिन एक रोग ने बादल को दुराहे पर लाकर खड़ा कर दिया. वो रोग था मोहब्बत का. ये मोहब्बत का रोग उसे चुन्नी से लगा था. इसी कारण वह चुन्नी के घर के सामने बने पंडित जी के द्वार पर आकर बैठता था.
सुबह खाना खाकर आता फिर शाम को उठकर जाता. चुन्नी से इश्क करना तो जैसे उसकी नौकरी हो गयी थी. बादल को ये मोहब्बत एक फिल्म देखकर हुई थी जिसमे हिरोइन एकदम चुन्नी जैसी थी. बादल को हिरोइन इतनी अच्छी लगी कि वो उसकी हमशक्ल चुन्नी को अपना दिल दे बैठा और चुन्नी भी उसके इस हरफनमौला अंदाज़ पर फ़िदा हो गयी. इश्क जोरों से हो निकला. लवलेटर एक दूसरे को दिए जाने लगे. चुन्नी से बादल और बादल से चुन्नी.
बादल पंडित के द्वार पर होता था और चुन्नी अपने द्वार पर. दोनों आमने सामने बैठे एकदूसरे को देखते रहते. दोनों की आशिकी आस पास बैठे लोग देखते और चटखारे लेते लेकिन गाँव की मोहब्बत इतनी आसान कहाँ होती है? यहाँ तो आपको दोधारी तलवार से गुजरना ही पड़ता है. चाहे आप अमीर हों या गरीब. हालांकि गरीब का पक्ष हमेशा कमजोर होता था. गरीब को मोहब्बत करने में अमीर से ज्यादा भुगतना पड़ता था.
कोमल के घर के सामने रहने वाले छोटू के ताऊ की लडकी थी चुन्नी लेकिन चुन्नी का घर दूसरे मोहल्ले में पड़ता था जबकि बादल छोटू की गली का रहने वाला था. बादल और चुन्नी दोनों की मुलाकात चुन्नी के घर के पिछबाड़े वाले आम के बाग़ में होती थी. जब भी मौका मिलता दोनों वहीं मिलते थे. बादल और चुन्नी की प्रेम कहानी अपने चरम पर थी कि चुन्नी के बाप बड़े ठाकुर को इस बात की भनक लग गयी.
उन्होंने चुन्नी की माँ से चुन्नी को समझाने के लिए कहा लेकिन प्यार तो प्यार होता है, उसे सिर्फ प्यार से ही समझाया जा सकता है. अगर ताकत से कुछ हुआ होता तो हीर रांझा और लैला मजनू की प्रेम कहानिया सुनने को न मिलती.
साथ ही चुन्नी के बाप बड़े ठाकुर ने पंडित को भी खबरदार कर दिया कि इस बादल को अपने द्वार पर न बिठाये लेकिन उसका कोई फायदा न हुआ. नौबत यहाँ तक आ पहुंची कि बड़े ठाकुर बादल के घर वालों को ये धमकी दे आये कि आइंदा बादल उनके घर की तरफ भी भटका तो उसे गोली मार देंगे.
ये गौली बाली बात सुन बादल के घर वालों ने बादल को खूब समझाया. बादल ने पंडित के घर जाना तो छोड़ दिया लेकिन बड़े ठाकुर के घर के पिछबाड़े, जहाँ एक आम का बाग़ था. वहां से चुन्नी को लवलेटर देना और मिलना शुरू कर दिया.
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लेकिन बात इश्क मोहब्बत की थी छुपायी कैसे जाती? बड़े ठाकुर को फिर से पता चला कि बादल अब भी चुन्नी को लवलेटर देने आता है. इस बात पर उन्होंने चुन्नी को बहुत मारा और उस दिन के बाद चुन्नी को एक ताले बंद कमरे में रखा जाने लगा. अब चुन्नी को उसी कमरे में रोटी मिलती थी और उसी में पानी. चुनी की जिन्दगी अपने ही घर में एक कैदी के समान हो गयी लेकिन जब दोनों तरफ से इश्क बराबर हो तो लोहे की दीवारें भी उन्हें झुका नही सकतीं
और यही हुआ. बादल ने किसी तरह पता कर लिया कि चुन्नी किस कमरे में बंद है. बादल ने उसी दिन एक लवलेटर लिखा और चुन्नी के उस कमरे में फेंक दिया. लेकिन हाय रे इस आशिक की किस्मत! वो फेंका हुआ लवलेटर बड़े ठाकुर की गोद में जा गिरा. बड़े ठाकुर उस कमरे के सीध पर बैठे थे. जब बादल का निशाना चूका तो वो लेटर ठाकुर के पास आ गिरा. बड़े ठाकुर ने झट से वो कागज खोला और पढना शुरू कर दिया, “मेरी प्राणों प्यारी चुन्नी. जब से तुम्हारी सूरत नही देखी तब से रोटी का एक टुकड़ा भी नहीं खाया है. सिर्फ पानी पी पी कर दिन गुजार रहा हूँ. लेकिन तुम ये न समझना कि में तुम्हारे बाप के डर से चुपचाप बैठ गया हूँ. मैंने तुम्हे इस दलदल से निकालने की एक योजना बना ली है. जिस दिन तुम्हारा बाप घर पर नही होगा उस दिन कई लोग मिलकर तुम्हारे घर पर धावा बोल देंगे और में तुम्हे बहां से भगा ले आऊंगा. फिर हम दोनों कहीं दूर जाकर अपने प्यार की दुनिया बसायेगे. तुम डरना मत कि में तुम्हे यहाँ से भगा लेजाकर कभी दुःख दूंगा या परेशानी में रतूंगा. में तुम्हारे सुख के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दूंगा. तुम्हे मेरी कसम चुन्नी जो तुम कतई भी रोई. बस एकाध दिन की परेशानी है फिर तुम हमेशा के लिए मेरी हो जाओगी. में तुम्हे लेने कभी भी आ सकता हूँ. तुम अपने एकाध जोड़ी कपड़े तैयार रखना. और हाँ तुम दिल से भी तैयार रहना. कहीं चलते समय तुम्हारा दिल न बदल जाए. कहीं तुम्हे माँ बाप की याद न सताने लगे. तुम माँ बाप की याद छोड़ दो. ये तो कसाई से भी बुरे हैं. सोचो अगर ये तुम्हारे माँ बाप होते तो क्या तुम्हे इस हाल में रखते? क्या तुम्हारे साथ ऐसा करते जैसा अब कर रहे हैं? सब कुच्छ भूल अपनी नई जिन्दगी के बारे में सोचो. में तुम्हे कभी भी लेने आ सकता हूँ. मुझे आशा है तुम न नही कहोगी, "तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा. जनम जनम का साथी-बादल." ___
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