RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग-7
आज की रात कोमल के लिए बहुत अच्छी रात हो गयी थी. रात भर लेटे लेटे बस राज के बारे में सोचती रही. चांदनी रात का सही अर्थ सिर्फ एक मोहब्बत भरा दिल ही जान सकता है जैसे कोमल जान रही थी.चाँद को देख एक दिल को दूसरे दिल की याद आती है. वो चाँद को देख अपने महबूब की सूरत उसमे देखने लगते हैं. अगर राज और कोमल के दिल से कहा जाय तो दुनिया का कोई भी दीवाना चांदनी रात में अपने महबूब से दूर रह उसकी याद किये बिना नही रह सकता.
और सच में यह कहा जाय कि दीवानों के लिए चाँद(चन्द्रमा) उनके महबूब के बाद सबसे बड़ी चीज होती है तो यह गलत न होगा. क्योंकि जब दोनों एक दूसरे से बिछड़ते या दूर होते हैं तो वे चन्द्रमा को देख उसमे अपने दिलवर का अक्श देखते हैं. उन्हें लगता है कि इस रात में एक चन्द्रमा ही है जो हम दोनों को एक जैसा दिखाई देता है या हमे भी एक जैसा ही देखता है.
कोमल के साथ ही राज भी एक अलग स्थान पर चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे लेटा कोमल की ही तरह चमकते चाँद को देख अपनी हमदम कोमल को याद किये जा रहा था. उसकी भी स्थिति वैसी ही थी जैसी कोमल की थी. कोमल को आज लिखा हुआ खत राज को देने की जल्दी थी और राज को कोमल के द्वारा खत में लिखे गये मजमून की.
दोनों की मोहब्ब्ती रातें कभी गीली कभी सूखी होती रहती थी. दोनों के लिए मोहब्बत कभी दिन थी तो कभी रात. कभी सर्दी थी तो कभी गर्मी. और कभी बारिश थी तो कभी सूखा. यही सोचते सोचते दोनों को कब नींद ने अपनी गोद में ले लिया पता ही न चला.
सुबह हुई. पर सब पहले के जैसा ही था. राज दूध लेने आया. आज भी देवी ही भैंस का दूध निकालने आई. राज की नजरें कोमल को ढूंढती रही लेकिन कोमल का कोई भी निशान उनको न मिल पाया. यहाँ से दूध लेने के बाद राज चल दिया. कोमल राज को एक झरोंके से ताके जा रही थी. जिसकी खबर न राज को थी और न देवी को. कोमल ने देखा था कि कैसे राज की आँखे उसे ढूढ़ रहीं थी.
फिर कोमल के स्कूल जाने का समय हुआ. राज को दिए जाने वाला खत कोमल ने अपनी कुर्ती में सीने के पास छुपा रखा था. जो पल पल उसे याद दिला रहा था कि उसे राज को दिया जाना है. कोमल फिर उसी रास्ते से कॉलेज जा पहुंची जिस पर कभी उसे राज मिला करता था. राज विहीन रास्ता और सीने से चिपका रखा खत कोमल में एक ऐसी तडप पैदा कर रहा था जो राज के मिलने से ही शांत हो सकती थी
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कोमल कॉलेज पहुंची. राज के आने का वक्त हो रहा था. शायद इसी कारण कोमल का मन पढने में नही लग रहा था. यदि सच कहा जाय तो जिसे ये इश्क का रोग लग जाता है उसे पढ़ने में किसी भी तरह की रूचि नहीं रहती और ये इश्क सिर्फ इन्सान का ही नही वरन किसी खेल, किसी कला या किसी बस्तु से भी हो सकता है. इश्क के मायने सिर्फ लडके लडकियों का प्यार नहीं होता. इश्क तो एक पवित्र भावना है जो किसी में भी किसी के प्रति पैदा हो जाती
कोमल टॉयलेट जाने के बहाने क्लास से निकल आई. गाँव के स्कूलों में पढ़ने वाली लडकियाँ जब भी ऐसे किसी काम से क्लास से बाहर आती है तो उनके साथ दो चार लड़कियों का झुण्ड जरुर होता है लेकिन आज वह पहली बार किसी क्लास की लडकी को अपने साथ नही लायी थी क्योंकि उसे राज को खत पहुंचाना था.
स्कूल के मैदान में आते ही स्कूल के बाहर खड़े नीम के पेड़ के नीचे खड़े राज पर कोमल की आँखे चस्पा हो गयी. राज के साथ वो छोटा नाटा लड़का भी खड़ा था जो कल कोमल के हाथ में बड़ी होशियारी से खत रखकर चला गया था.
कोमल राज को देख रही थी और राज कोमल को. वो छोटा नाटा लड़का इन दोनों को. कोमल की यौवन से लदी फूली हुई छाती उसकी तेज चलती साँसों के साथ गति कर बता रही थी कि राज के साथ उसका गहरा नाता है. राज के सीने की धडकने और तेज साँसें भी कोमल के प्रति उसकी मोहब्बत को दर्शा रहीं थी
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राज ने कोमल की आँखों में देखते हुए बाहर आने का इशारा किया लेकिन कोमल ने इशारे में बताया कि देवी कभी भी बाहर आई तो वे दोनों पकड़े जायेगे. परन्तु कोमल ने राज को उस नाटे लडके को भेजने का इशारा किया. राज कुछ कहता उससे पहले ही वो लड़का कोमल की तरफ चल चुका था.
लडके को ऐसा करते देख कोमल और राज के चेहरों पर हंसी छलक उठी. राज समझ गया कोमल आज खत का जबाब खत से देना चाहती है जैसे कोई ईंट का जबाब ईंट से देता है. राज ने सोचा चलो ऐसे ही सही मोहब्बत तो फल फूल ही रही है.
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