RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग - 10
राज घर लाया जा चुका था. बगल के गाँव के थैला छाप डॉक्टर को बुलाकर राज का इलाज़ शुरू हुआ. डॉक्टर ने अपना ट्रीटमेंट दिया और चला गया. राज को बाहरी चोट की अपेक्षा अंदरूनी चोटें ज्यादा लगी थी. लात घूसे, मुक्के जहाँ के तहां पड़े थे. लोगों ने अपने जीवन भर की गुस्सा राज पर उतार दी थी. जिन्हें कभी किसी लड़की ने घास नही डाली उन लोगों ने तो जैसे सीमा ही लांघ दी थी.
राज अभी ठीक से होश में नही था लेकिन जब भी थोडा सा चेत आता तो वो या तो पानी मांगता या कोमल को पुकारता था. उसे शायद वो अंतिम याद आ रहा होगा जो कोमल के साथ बिताया था? उसे याद आ रहा होगा कि कोमल कैसे उसके आगोश में लेटी हुई थी? कैसे गुजर रहे थे वो आनंद भरे पल? कैसे दोनों एक दूसरे से मजाकें कर रहे थे?
उधर कोमल को भी उसके घर ले जाया जा चुका था. अभी भी कोमल निश्चेत अवस्था में थी. उसे सबसे बड़ा सदमा राज की पिटाई से लगा था. सोचती होगी भागना तो दूर यहाँ तो जान पर भी आ पड़ी. कोमल ने राज को कुछ हो न जाये इस बात की भी बहुत चिंता की होगी. उसने अपनी इन्ही कजरारी आँखों से राज को मार खाते देखा था जिनकी तारीफ़ राज करते नहीं थकता था.
कोमल की माँ को कोमल पर गुस्सा भी आ रहा था और दया भी. सोचती थी पता नही इस लड़की को क्या सूझी जो ऐसा कर बैठी? क्या जरूरत थी इसको उस दूधिया राज को मुंह लगाने की? न ऐसा करती न आज ऐसा होता. कोमल को घरवालों ने जमीन पर ऐसे ही डाल दिया था. फिर माँ ने जैसे तैसे उसे एक चारपाई पर लिटाया. बहन थोडा पानी लायी. मुंह पर कुछ छींटे मारे. थोडा पानी मुंह में भी डाला. माँ ने थोडा सा पंखा भी झला था.
कोमल झुइमुई की तरह होश में आई. माँ को सामने देख आँखों से आंसू की धार निकल पड़ी. जब इंसान बहुत भावुक हो, बहुत दुखी, ज्यादा परेशान हो और उसके सामने माँ आ जाये? फिर जो अंदर का सैलाव निकलता है उसे लिखने की बात तो दूर, लिखने की कल्पना भी नहीं की जा सकती. ___
कोमल का मन हुआ कि माँ की गोद में अपना सर रख के खूब रोये. इतना रोये कि मन भर जाय. उसके बाद रोने के लिए कुछ बाकी न बचे. अपने दिल के सारे घाव माँ को दिखा दे. बता दे कि लोगों ने कितने जुल्म किये हैं उसके छोटे से दिल पर?
शायद माँ समझ जाए. वो भी तो एक स्त्री ही है. ऊपर से मेरी सगी माँ. में भी एक स्त्री हूँ. ऊपर से इस माँ की सगी बेटी भी. शायद माँ बोल दे कि इसे राज की हो जाने दो? इसका भी तो एक छोटा सा मन है. ये भी तो कुछ इच्छाएं रखती होगी? लडकी हुई तो क्या हुआ है तो इंसान ही न? या राज को यहाँ बुला ले. मेरे साथ उसे रख दे? कर दे मेरे मन की मुराद पूरी? आखिर ये मेरी माँ है. सगी माँ. और में इसकी बेटी. सगी बेटी.
हे ईश्वर! तूने ये इन्सान का दिल ऐसा क्यों बनाया? जो किसी का हो जाए तो उसे मरते दम तक छोड़ने का नाम ही नहीं लेता. सब कुछ भूल जाता है. भूख प्यास, नींद चैन, आराम व्यायाम और यहाँ तक कि साँस लेना और पलक झपकाना भी. तुझे ये क्या सूझी जो ऐसा अंग बना डाला? क्या इसकी जगह कुछ और नहीं बना सकता था? और बनाया भी तो इसमें ये मोहब्बत की कसक न डालता. जिससे न जाने कितने आशिकों की कुर्वानी होने से बच जाती.
कोमल ने अपना सर उठाकर माँ की गोद में रख दिया. कोमल को फिर जो सुकून मिला वो अकथनीय था. माँ की गोद के आनंद कावर्णन तो किया ही कैसे जाए? ये तो स्वर्ग के चैन से भी परे होता है. कोमल की माँ ने गुस्से में कोमल से कहा, “छोरी ये तूने क्या कर डाला? तुझे एक बार भी हमारी याद न आयी? आज हमारे मुंह पर जो कालिख पुती उसका अंदाज़ा भी है तुझे? चारो तरफ थू थू हो रही है. इससे अच्छा होता कि में तुझे कोख में ही मार डालती."
कोमल इसका जबाब क्या देती? वो तो माँ से खुद कुछ सवाल पूछने वाली थी. जो उसकी जिन्दगी और मौत से जुड़े हुए थे. लेकिन माँ ने तो उलटे सवाल दाग दिए. कोमल माँ के सामने उठकर बैठ गयी. माँ ने देखा कि कोमल का मुंह बुरी तरह सूजा हुआ है.
आँखे लाल और भीगी हुई हैं. कोमल ने रोते हुए माँ से कहा, "माँ में राज के विना जी नही सकती. मु..."
बात पूरी होने से पहले माँ का जोरदार थप्पड़ कोमल के मुंह पर आ लगा. माँ को भी अपने ऊपर हैरत थी कि क्यों कोमल को थप्पड़ मार दिया? लेकिन माँ को गुस्सा इस बात पर आ गया था कि कोमल को इतना सब होने के बाद भी अक्ल नही आई थी.
उसके बाद कोमल की माँ गोदंती वहां से उठकर चली गयी. कोमल अपना गाल पकड़े बस आँखों से आंसू बहा रही थी. उसे मारने पीटने का गम नही था. उसे परवाह थी अपने प्यार की जो आज संकट की घड़ी में था. उसे पता था कि माँ ने मेरे गाल पर ये थप्पड़ क्यों मारा है? उसे उस समाज में होने वाले अपमान का डर है. उसे अपने बाकी के बच्चों की फिकर है. केवल कोमल ही तो उसकी लाडली बेटी नही थी. जो माँ कोमल को ध्यान में रख सब काम किये चली जाती.
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