RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
राज अब अपने काम काज करने में लग गया था. उसके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी थी. गाँव में खेत के काम से लेकर शहर की नौकरी भी करने जाता था. लेकिन ये पता नहीं कि वो अभी तक अपने ग्राम देवता की पूजा करता था या नहीं? भगवान को मानता है कि नही? जिन्हें कोमल के साथ जाते वक्त माना था. जिनकी पूजा की थी.
आज जब भी राज उस आम के पेड़ वाले रास्ते से गुजरता होगा तो उसे फिर वही दिन आते होगे जो कोमल के साथ गुजारे थे. उसकी वो चितवन याद आती होगी जो उसे उस समय पागल कर देती थी. वो अंतिम दिन वाली मुलाकात भी याद आती होगी जिसमे कोमल उसकी बाहों में पड़ी रही थी. कितनी बातें की थी दोनों ने? कोमल तो कहती भी थी कि राज मेरे घरवाले पहले मुझे मारेंगे तभी तुमसे हाथ लगा पायेंगे.
कोमल तो अपना वादा पूरा कर चुकी थी लेकिन राज का राज जाने. न जाने उसके दिल में क्या था? उसे नई दुल्हन अपनी बीबी के रूप में मिल गयी थी. शायद अब वह कोमल को भूल गया था.
कुछ महीनों बाद तिलक को एक दूर के गाँव से जुआ खेल कर लौटते वक्त किसी ने गर्दन दवा कर मार दिया. मारकर एक नाली में डाल दिया था. शायद कोमल कुछ श्राप देकर गयी होगी? गाँव वाले मुह पीछे तिलक के मरने को जैसे को तैसा फल मिला बोला करते थे. शायद गाँव की मोहब्बत को एक और रुकावट से मुक्ति मिल गयी थी.
हालत बदल रहे थे. लोग कोमल को भूलते जा रहे थे. लेकिन एक दिन राजू के लडके ने एक दूसरी जाति की लडकी को भगाकर शादी कर डाली. राजू और संतू दो तीन दिन घर से नही निकले लेकिन फिर सामान्य हो गये.
राजू का लड़का बहू लेकर गाँव में रहता था और उसी कमरे में रहता था जहाँ कोमल मारी गयी थी. घर के सब लोग उस गैर बिरादरी वाली बहू के हाथ से खाना भी खाते हैं और लोगों से कहते हैं कि ये हमारी ही बिरादरी की है.
आज वो कोमल बाला क़ानून राजू के लडके पर लागू नही हुआ था. क्योंकि वो लड़का था. इज्जत तो लडकी के भागकर शादी करने से जाती है. वाह रे! घराने के क़ानून तू तो गिरगिट से भी ज्यादा रंग बदलता था. और वो दद्दू. उसे कुछ दिनों बाद मानसिक रोग हो गया था. जिससे वह पेड़ पौधों से बातें करता रहता था. कुछ लोग उसे किसी आत्मा का शिकार भी बताते थे. साथ ही दद्दू का अब इतना रुतबा नही रहा था. कोई भी घराने का आदमी उससे किसी भी बात पर राय नहीं लेता था.
दददू के ने अपने बडे लडके की एक ऐसी लडकी से शादी करा दी जो पैरों से ठीक से चल नहीं सकती. इसमें कोई ये नही कि उसने उस लडकी का भला करने के लिए अपने बेटे शादी कराई. उसका मकसद तो दहेज था जो उस लडकी के घर वालों ने दिया था. गाँव में तो चर्चाएँ थीं कि दद्दू ने लड़का दहेज के लिए बेच दिया था.
राजू का रिश्तेदार जो कोमल की चिता वाली जगह को जोत कर गया था. जिसने खानदान की इज्जत बचाने की खातिर राजू की पीठ भी ठोंकी थी. यहाँ तक कि जुताई का पैसा भी नहीं लिया था. उसका खुद का लड़का अपनी सगी मौसी यानि अपनी माँ की सगी बहन के साथ भाग गया था.
लेकिन इससे उतनी बदनामी कहाँ हुई जितनी कोमल की वजह से घराने की हुई थी या होने वाली थी. ये तो एक सामान्य बात थी. ऊपर से वो लड़का भी तो था. उसका गुनाह तो वैसे ही आधा हो गया था.
कोमल की बड़ी बहन देवी पर कोमल के मरने के बाद भूत आने लगा था. जिसका इलाज जमाने भर के तांत्रिकों से चला लेकिन ठीक नही हुई. बाद में लोगों ने कहा कि इसकी शादी कर दो भूत अपने आप चला जायेगा.
लेकिन वाबलों को ये नही पता था कि देवी अपनी बहन कोमल की मौत से मानसिक रोगी हो गयी थी. कोमल के बाद भगत ने एक भी लडकी को स्कूल नही भेजा. भगत ने ही क्या कईयों ने अपनी जवान बेटियों को स्कूल जाने से रोक दिया था. वे नहीं चाहते थे कि फिर कोई लडकी कोमल की तरह मरी जाय, जिस जगह कोमल को जलाया गया था उतनी जगह को उसके पिता भगत ने खाली छोड़ दिया था. जिससे कोमल की याद बनी रहे. कुछ ही दिनों बाद उस जगह एक झाडी उग आई. और देखते ही देखते उस झाडी पर अमरबेल पौड गयी.
कुछ दिनों बाद झाडी सूख गयी लेकिन अमरबेल अब भी हरी भरी थी. लोग कहते थे कि अमरबेल मरी हुई कोमल की निशानी है. लेकिन अमरबेल कोमल नही हो सकती थी. क्योंकि अमरबेल दूसरे को चूस कर खुद का पोषण करती है.
इस हिसाब से अमरबेल मोहब्बत हो सकती है जो आशिकों का खून चूस खुद फलती फूलती है. आशिक मर जाते हैं लेकिन मोहब्बत हमेशा जिन्दा रहती है. यहाँ कोमल झाड़ी थी और मोहब्बत अमरबेल. जिसने कोमल को तो निगल लिया था लेकिन खुद अभी तक जिन्दा थी.
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