RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
राज चौंका लेकिन उसने घूम कर पीछे देखने की गलती नहीं की । उसने सिगरेट को डैश बोर्ड में लगी ऐश ट्रे में झोंक दिया और युवक के चेहरे पर दृष्टिपात किया। युवक के जबड़े कसे हुये थे लेकिन चिन्तित दिखाई नहीं दे रहा था ।
एकाएक उसने बिना सिग्नल दिये, बिना रफ्तार कम किये कार को दाई ओर एक पतली-सी सड़क पर मोड़ दिया । कार गोली की तरह एक अन्य कार की बगल से गुजरी, एक ट्रक से सीधी टकराते-टकराते बची और पतली सड़क पर प्रविष्ट हो गई । लगभग सौ गज आगे उसने कार को फिर दाई ओर मोड़ा।
फिर एकाएक उसने अपना पांव पूरी शक्ति से ब्रेक के पैडल पर दबा दिया । ब्रेकों की चरचराहट से और टायरों के सड़क पर रपटने की आवाज से वातावरण गूंज उठा ।
"आउट ।" - युवक फुर्ती से अपनी ओर का दरवाजा खोलता हुआ बोला - “क्विक ।"
राज फौरन कार से बाहर निकल आया और युवक के पीछे लपका जो गली में घुसा जा रहा था ।
युवक एक दरवाजे के भीतर प्रविष्ट हो गया ।
राज उसके पीछे था ।
उसने देखा, वह एक रेस्टोरेंट का पिछला द्वार था रेस्टोरेंट को तय करके वे फ्रन्ट में पहुंचे और फिर एक भीड़ भरी चौड़ी सड़क पर आ गये । दोनों फुटपथ की भीड़ में मिल गये । वे अपने ओवरकोटों की जेबों में हाथ डाले लापरवाही से भीड़ में चलते रहे ।
"तुम्हारी कार का क्या होगा?" - राज ने धीरे से पूछा।
"कौन-सी कार? कैसी कार ! मेरे पास कभी कोई कार नहीं थी।" - युवक बिना उसकी ओर देखे भावहीन स्वर में बोला ।
राज को और अधिक बताने की जरूरत नहीं थी । वह समझ गया कि कार चोरी की थी।
"टैक्सी !" - एकाएक युवक बोला ।
टैक्सी फुटपाथ के साथ आ रुकी।
दोनों टैक्सी में प्रविष्ट हो गये ।
युवक ने टैक्सी ड्राइवर को धीरे से कुछ कहा जो कि राज की समझ में नहीं आया।
टैक्सी ड्राईवर ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिलाया और टैक्सी आगे बढायी ।
टैक्सी आधुनिक लन्दन में से निकल कर एक गन्दे से इलाके में पहुंच गई ।
एक पतली सी पथरीली गली में टैक्सी रुकी । युवक ने राज को संकेत किया और टैक्सी से बाहर निकल आया । उसने टैक्सी ड्राइवर को किराया अदा कर दिया । टैक्सी बैक होती हुई गली से बाहर निकल गई ।
युवक तब तक वहां से नहीं हिला जब तक टैक्सी दृष्टि से ओझल नहीं हो गई । फिर उसने राज को संकेत किया और आगे बढा ।
राज उसके साथ हो लिया ।
एक पुरानी-सी इमारत के सामने आकर युवक रुक गया । इमारत का मुख्य द्वार बन्द था । द्वार की बगल में काल बैल लगी हुई थी।
युवक ने काल बैल का पुश तीन बार दबाया, एक क्षण रुका, फिर पुश को एक बार फिर दबाया, एक क्षण रुका, पुश को दुबारा तीन बार दबाया एक क्षण रुका और फिर पुश को काफी देर दबाये रहने के बाद उसने उस पर से उंगली हटा ली।
थोड़ी देर बाद द्वार खुला।
द्वार पर एक लम्बा-तडंगा आदमी प्रकट हुआ।
अन्धकार में राज को उसकी सूरत दिखाई नहीं दी । वह द्वार खोल कर एक ओर हट गया ।
"कम इन सर ।" - युवक बोला ।
राज युवक के साथ भीतर प्रविष्ट हो गया ।
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