RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
द्वार खोलने वाले ने द्वार को मजबूती से बन्द कर दिया और उनके पीछे चलने लगा।
एक लम्बा गलियारा पार करके वे एक बड़े से कमरे में पहुंचे | कमरा ट्यूब लाइट से प्रकाशित था ।
भीतर दो कुर्सियों पर एक लगभग चालीस साल का आदमी और एक तीस साल की युवती बठी थी।
युवती भारतीय थी लेकिन योरोपियन परिधान पहने हुये थी । उसके बाल कटे हुये थे । आदमी रंग रुप से योरोपियन लगता था । उसकी दाई बांह कन्धे से गायब थी और दाई आंख पर सिर के गिर्द बन्धी एक डोरी की सहायता से । तिकोना ढक्कन लगा हुआ था । वह आदमी दाई बाहं की तरह दाई आंख से भी वंचित था ।
प्रकाश में राज ने उस तीसरे आदमी की सूरत देखी जिसने द्वार खोला था । वह सूरत से भारतीय लगता था।
"मिस्टर राज ।" - युवक बोला ।
कोई कुछ नहीं बोला।
"अनिल साहनी ।" - युवक ने उस लम्बे तड़गे
आदमी की ओर संकेत किया जिसने द्वार खोला था ।
"रोशनी ।" - युवक ने युवती की ओर संकेत किया।
"जान फ्रेडरिक ।" - युवक ने एक बांह और एक आंख वाले आदमी की ओर संकेत किया ।
"प्लीज बी सीटिड, मिस्टर राज ।" - जान फ्रेडरिक भावहीन स्वर में बोला ।
राज एक कुर्सी पर बैठा गया ।
युवक कमरे से बाहर निकल गया । जाती बार वह बाहर से दरवाजे को सावधानी से बन्द कर गया।
अनिल साहनी रोशनी के समीप एक कुर्सी पर जा बैठा।
अब राज उन तीनों से अलग उनके सामने बैठा हुआ था । राज गौर से उनकी सूरतें देखने लगा उनके चेहरे इतने भावहीन थे कि वे पत्थर से तराशे मालूम होते थे । तीनों की आंखों में एक गहरी उदासी की छायी थी । उनके होंठ भिंचे हुये थे और निगाहें शून्य में कहीं टिकी हुई थीं । राज कई क्षण उनमें से किसी के बोलने की प्रतीक्षा करता रहा लेकिन जब उनमें से किसी को जुबान खोलते न पाया तो वह बोला - "क्या मुझे यह बताने की जरूरत है कि मैं कौन हूं?" तीनों एक-दूसरे का मुंह देखने लगे । फिर जान फ्रेडरिक ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया।
"जो युवक मुझे यहां लाया था वह कौन है ?" - राज ने पूछा।
"उसका नाम मिलर है ।" - जान फ्रेडरिक बोला - "वह हमारा मददगार है ।"
“साथी नहीं।"
"नहीं।"
"तो फिर आपके बाकी साथी कहां है ?"
जान फ्रेडरिक ने अनिल साहनी और रोशनी पर दृष्टिपात किया । तीनों तनिक बेचैन दिखाई देने लगे थे।
|