RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
"किसी ने मुझे कार से टकराते देखा था ?"
"उसी आदमी ने देखा था जो तुम्हें यहां छोड़ने आया था ।"
"उसके अलावा ?"
"मुझे खबर नहीं।"
"और वह भला आदमी जो मुझे यहां छोड़कर गया था, इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड था ।"
"इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड !" - डॉक्टर उलझनपूर्ण स्वर से बोला।
"हां | लाल चेहरे वाला लम्बा-तगड़ा आदमी । चेहरे पर चेचक के दाग, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान..."
"नहीं, नहीं वह आदमी तो..." “एक लम्बा ओवरकोट पहने हुए था और उसके सिर पर हैट था ।"
"तुम्हें कैसे मालूम ? तुम तो बेहोशी की हालत में यहां लाये गये थे।"
"डॉक्टर साहब, आपकी जानकारी के लिये न मैंने शराब पी थी और न मैं किसी एक्सीडेन्ट का शिकार हआ था । जो लम्बे ओवरकोट वाला आदमी मझे यहां छोडकर गया था, उसने और इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड ने मेरे कमरे में मेरी यह हालत बनाई थी।"
"क्यों ?" - डॉक्टर संदिग्ध स्वर से बोला ।
"मालूम नहीं।"
डॉक्टर के चेहरे पर से अविश्वास के भाव झलकने लगे।
"मुझे मालूम था, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं आयेगा।"
"तुमने घण्टी क्यों बजाई थी ?"
"मैं पुलिस को रिपोर्ट करना चाहता हूं । नहीं... यहां के पुलिस वालों ने ही तो मेरी यह हालत बनाई है । उन्हें रिपोर्ट करने का क्या फायदा ? मैं अपने देश के हाई कमीशन के किसी अधिकारी से बात करना चाहता हूं।"
उस समय रात के बारह बजे थे लेकिन फिर भी डॉक्टर ने राज की भारतीय हाई कमीशन के एक अधिकारी से उसकी बात करवा दी ।
राज ने अधिकारी को अपनी दास्तान सुनाई । अधिकारी ने फौरन एक्शन लेने का वादा किया और टेलीफोन बन्द कर दिया ।
रात को दो बजे उसी अधिकारी से उसकी फिर टेलीफोन पर बात हुई।
"मिस्टर राज" - अधिकारी बोला - "मैंने सार मामले की खुद छानबीन की है और मुझे खेद के साथ सूचित करना पड़ता है कि मुझे आपकी कहानी एकदम तथ्यहीन लगी है । मैंने अस्पताल के एमरजेन्सी वार्ड के डॉक्टर से बात की है। उसके कथनानुसार आप मोटर दुर्घटना के ही शिकार हुये हैं। आपके शरीर पर जिस प्रकार की
चोट आई है, उससे जाहिर होता है कि आप किसी चलती कार की साइड से टकराये थे । कार ने आपको फुटपाथ पर उछाल दिया था और आपका सिर एक बिजली के खम्भे से जा टकराया था। और यह बात हर किसी ने नोट की थी कि आपके मुंह से शराब के भभूके छूट रहे थे..."
"लेकिन..." - राज ने प्रतिवाद करना चाहा । "सुनते रहिये । मैं आपके होटल के कमरे में भी गया था । वहां मुझे ऐसा की सूत्र नहीं मिला था जिससे यह जाहिर होता हो कि वहां लड़ाई
झगड़ा हुआ था । वहां न टेलीफोन टूटा हुआ था
और न ही आपका सामान बिखरा हुआ था । हर चिज उसी तरतीब में थी जैसी में कि वह होनी चाहिये थी । और आपकी जानकारी के लिये लन्दन पुलिस फोर्स में क्राफोर्ड नाम का कोई इन्स्पेक्टर नहीं है और न ही उस हुलिये का कोई
आदमी पुलीस में है जो कि आपने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का सहकारी बताता था ।"
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