RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
अगली कुछ घटनायें बड़ी तेजी से घटीं।
सुबह छः बजे ही प्रधानमन्त्री का निजी सचिव अस्पताल में पहुंच गया। आते ही उसने दो टूक बात की। "तबीयत कैसी है ?" - उसने पूछा।
"ठीक ही मालूम होती है ।" - राज बोला ।
"चल फिर सकते हैं आप?"
"चल फिर कर देखा तो नहीं मैंने लेकिन मेरा ख्याल है कि मैं चल फिर सकता हूं।"
"प्रधानमन्त्री जी आपकी पिछली रात की गैरजिम्मेदाराना हरकत से बहुत नाराज हैं । एक तो आप शराब पी कर कहीं एक्सीडेन्ट कर बैठे
और दूसरे आपने यहां की पुलिस फोर्स को बदनाम करने की कोशिश की । मेरा इतनी सुबह यहां आने का मतलब यह है कि मैं नहीं चाहता कि बात तूल पकड़े, यहां के अखबारों के लिये
आप एक स्कैण्डल बन जायें और आपकी वजह से अन्य भारतीय प्रतिनिधियों पर छींटाकशी हो । आपका सामान आपके होटल के कमरे से एयरपोर्ट पर पहुंचा दिया गया है । एयर इन्डिया की फ्लाइट नम्बर 110 आठ बजे लन्दन से मुम्बई के लिये रवाना हो रही है । मैंने उसमें
आपकी सीट बुक करवा दी है । हाई कमीशन की एक गाड़ी आपको अभी एयरपोर्ट ले जायेगी और मैंने इस बात का इन्तजाम कर दिया है कि प्लेन रखना होने तक अखबार वालों की आप तक पहुंच न हो सके । बाकी बातें भारत पहुंचकर होंगी।"
राज को यूं लगा जैसे सचिव ने आखिरी वाक्य एक धमकी के तौर पर कहा हो ।
राज चुप रहा । कुछ कह पाने की गुंजाइश नहीं थी । प्रधानमन्त्री का निजी सचिव उसे एक अन्य आदमी के हवाले करके वहां से विदा हो गया ।
दूसरे आदमी ने राज को अस्पताल के कपड़े उताकर, अपने कपड़े पहनने में सहायता की। नर्स ने गीले तौलिये से उसका थोड़ा-बहुत हुलिया सुधार दिया, उसे एक इन्जेक्शन दे दिया और कुछ कैप्सूल और गोलियां उसके कोट की जेब में डाल दीं।
"दुर्घटना में मेरे सूट की हालत नहीं बिगड़ी ?" - एकाएक राज बोला । "बिगड़ी थी।" - नर्स बोली- “यह तीन जगह से रफू करवाया गया है और इसे झाड़-पोंछ कर फिर प्रेस किया गया है।"
राज चुप हो गया।
वह दूसरे आदमी के साथ अस्पताल से विदा हो गया।
दूसरा आदमी हाई कमीशन की एक बन्द गाड़ी में उसे एयरपोर्ट पर ले आया ।
प्लेन चलने के समय से केवल पन्द्रह मिनट पहले उसने राज का टिकट उसके हाथ में रखा और गाड़ी का दरवाजा खोल दिया ।
राज चुपचाप कस्टम के बैरियर की ओर बढ़ गया।
उसने अपना फैल्ट हैट अपने सिर पर इस प्रकार जमाया था कि सिर पर बन्धी पट्टी छुप गई।
उसने अपना पासपोर्ट वगैरह चैक करवाया और आगे बढा ।
एकाएक उसकी दृष्टि हवाई पट्टी को एयरपोर्ट की इमारत से अलग करने वाले लोहे के रेलिंग पर पड़ी।
वहां वह आदमी खड़ा था जिसने पिछली रात को अपना नाम इन्सपेक्टर क्राफोर्ड बताया था। उसकी निगाह राज से मिली और उसके चेहरे पर एक इत्मीनान भरी मुस्कराहट उभर आई । उस समय वह एक ट्वीड का सूट
और उसके ऊपर एक लम्बा ओवरकोट पहने था जिसके सामने के सारे बटन खुले हुये थे । उसकी मोटी उंगलियों में एक सिगार बना हुआ था ।
राज को अपनी ओर देखते पाकर उसने अभिवादन के रूप में अपना हाथ हिलाया ।
राज अंगारों पर लोट गया ।
उसने उस ओर से दृष्टि फिरा ली और सीधा प्लेन की ओर बढा।
वह प्लेन में जा बैठा।
ठीक आठ बजे प्लेन हवाई पट्टी पर दौड़ने लगा।
आखिरी क्षण में राज ने प्लेन की खिड़की से बाहर झांका।
वह आदमी अभी भी बैरियर के पास खड़ा सिगार पी रहा था । शायद उसे शक था कि कहीं आखिरी क्षण पर राज प्लेन से उतर न आये |
प्लेन टेक ऑफ कर गया ।
राज ने हैट उतार कर अपनी गोद में रख लिया
और अपनी सीट की पीठ से अपना सिर टिका दिया।
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