RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था।
"प्लेन का अगला स्टापेज कौन-सा है ?" - राज ने गैंगवे से गुजरती एयर होस्टेस से हिन्दोस्तानी में पूछा।
"पेरिस ।" - उत्तर मिला।
ठीक नौ बजकर पांच मिनट पर प्लेन पेरिस के ओरली एयरपोर्ट पर उतरा ।
एयर होस्टेस से ही उसे मालूम हुआ था कि वहां प्लेन चालीस मिनट रुकने वाला था ।
पेरिस से प्लेन में कितने ही और यात्री सवार हो गये । एयर होस्टेस उन्हें विभिन्न सीटों की ओर निर्देशित करती रही।
वहां उतरने वाला कोई नहीं था ।
एकाएक राज अपने स्थान से उठा और एयर होस्टेस के समीप पहुंचा।
"आई एम सारी टु बादर यू" - वह बोला - "लेकिन मुझे यहीं उतरना पड़ेगा।"
"लेकिन आप तो हमारे साथ मुम्बई तक जाने वाले थे?" - एयर होस्टेस बोली ।
"जाने वाला था लेकिन अब नहीं जा पाऊंगा।" - राज खेदपूर्ण स्वर से बोला - "मेरे कुछ बहुत महत्वपूर्ण कागजात लन्दन में ही रह गये हैं । मुझे यहीं से फौरन वापिस जाना होगा | भारत के लिये मैं शाम तक कोई दूसरी फ्लाइट पकड़ लूंगा
"ऐज यू विश ।"
"मैं कस्टम पर जा रहा हूं मेरा सामान उतरवा दीजिये ।"
"ओके।"
राज अपना हैट दुबारा अपने सिर पर जमा लिया और एयरपोर्ट की इमारत की ओर बढा । कस्टम से निपटने के बाद वह एयपोर्ट से बाहर निकल गया।
वह ओरली एयरपोर्ट से टैक्सी पर सवार हुआ और सेन्ट्रल बस टरमिनल पर पहुंच गया । वहां से वह एक बस में सवार हो गया । बस नारमंडी के समुद्र तट पर स्थित इलाके शेरबोर्ग तक जाती थी।
लगभग साढे बारह बजे वह शेरबोर्ग पहुंचा । अपना सूटकेस उसने बस टरमिनल के क्लाकरूम में जमा करवा दिया । और ब्रीफकेस हाथ में लटकाये समुद्र तट की ओर बढा ।
अगले दो घन्टों में उसने एक ऐसा मछियारा खोज निकाला जो एक स्टीमर का स्वामी था और जो रात के अन्धकार में इंगलिश चैनल पार करके उसे इंगलैंड के किसी सुनसान समुद्र तट पर छोड़
आने के लिये तैयार था बशर्ते कि उसे एक मोटी रकम एडवांस में दे दी जाती ।
राज ने ऐसा ही किया ।
उसने भोजन किया, बस टरमिनल से अपना सूटकेस लिया और वापिस मछियारे के स्टीमर में पहुंच गया । दिन भर वह स्टीमर में सोया रहा ।
रात के लगभग सात बजे मछियारे ने स्टीमर को पायर से खोला और उसे समुद्र की छाती पर दौड़ा दिया । इंग्लैंड और फ्रांस दोनों देशों की पैट्रोल पुलिस से बचता हुआ वह मछियारा राज को इंग्लैंड में साउथेम्पटन के एक उजाड़ समुद्र तट पर छोड़ गया ।
राज फिर इंग्लैंड में था ।
अपना सूटकेस और ब्रीफकेस सम्भाले लोगों की निगाहों से बचता-बचाता वह रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया । वहां वह लन्दन की ओर जाती एक ट्रेन पर सवार हो गया ।
लन्दन रेलवे स्टेशन पर उतर कर वह एक टैक्सी पर सवार हुआ और वोरचेस्टर स्क्वायर पर स्थित कैलवर्ली गैस्ट हाउस के सामने टैक्सी से उतर गया । गैस्ट हाउस में उसे बड़ी सहूलियत से एक कमरा मिल गया । उसने ब्रीफकेस और सूटकेस कमरे में रखा और लगभग फौरन ही बाहर निकल आया।
उसने एक टैक्सी पकड़ी और उस पते पर पहुंच गया जहां पिछली रात वह मिलर के साथ गया था।
राज गली से बाहर ही टैक्सी से उतर गया ।
उसने घड़ी पर दृष्टिपात किया। साढे ग्यारह बज चुके थे।
पथरीले रास्ते से होता हुआ वह उस पुरानी-सी इमारत के सामने पहुंच गया जहां पिछली रात उसे मिलर लाया था ।
उसने धीरे से कालबैल का पुश दबाया और प्रतीक्षा करने लगा। भीतर से कोई उत्तर नहीं मिला। राज ने फिर घन्टी बजायी।
भीतर से किसी प्रकार की आवाज नहीं आई।
राज ने द्वार को धीरे से धक्का दिया।
द्वार थोड़ा-सा खुल गया । वह भीतर से बन्द नहीं था ।
राज सावधानी से भीतर प्रविष्ट हो गया । उसने पीछे द्वार बन्द कर दिया ।
भीतर एकदम अन्धेरा था ।
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