RE: xxx indian stories आखिरी शिकार
साया गली का मोड़ काट गया और राज की दृष्टि से ओझल हो गया ।
राज तेजी से गली के दहाने की ओर भागता रहा।
उसी क्षण कोई घूमा और गली में प्रविष्ट हुआ ।
कोई गली में भीतर की ओर बढ़ रहा था ।
राज तेजी से उसकी बगल से गुजर गया ।
"मिस्टर राज !" - उसके कानों में एक स्त्री स्वर पड़ा।
राज तब तक गली के दहाने पर पहुंच चुका था । उसने चारों और दृष्टि दौड़ाई । जिस साये के पीछे भागता हुआ वह वहां पहुंचा था, वह कहीं गायब हो चुका था। राज ने घूमकर गली के भीतर देखा ।
जिस आकृति ने कुछ क्षण पहले गली में कदम रखा था, वह उसकी ओर बढ रही थी। वह आकृति समीप आई तो राज को उसकी सूरत दिखाई दी।
वह रोशनी थी।
वह एक लम्बा ओवरकोट पहने थी और उसके कटे हुये बालों पर रुमाल बन्धा हुआ था ।
राज हांफता हुआ उसके समीप खड़ा रहा ।
"क्या बात है ?" - रोशनी ने पूछा ।
"तुमने अभी किसी आदमी को भागते हुये गली से बाहर निकलते देखा था ?" - राज ने हांफते हुये पूछा।
"हां ।" - रोशनी बोला - "क्यों?"
"तुमने उसकी सूरत देखी ?"
"नहीं | कौन था वह ?"
"मुझे नहीं मालूम लेकिन अभी थोड़ी देर पहले उसने मिलर की हत्या कर दी है ।"
"क्या ?" - रोशनी आश्चर्यपूर्ण स्वर से बोली
और गली के भीतर की ओर लपकी ।
राज ने उसकी बांह थाम ली ।
"वहां जाने का कोई फायदा नहीं ।" - राज जल्दी से बोला - "उस आदमी ने मुझ पर भी गोली चलाई थी । सम्भव है गोली की आवाज किसी पड़ोसी ने सुनी हो और उसने अब या पहली गोली चलने पर पुलिस को फोन कर दिया हो । पुलिस यहां किसी भी क्षण पहुंच सकती है और मैं पुलिस की निगाहों में नहीं आना चाहता
“मैं भी।" - रोशनी बोली।
दोनों तेजी से गली से बाहर की सड़क पर बढ़ चले।
राज ने समीप से गुजरती एक टैक्सी को हाथ देकर रोका । दोनों उस पर सवार हो गये ।
टैक्सी चल पड़ी।
"क्रामवेल रोड ।" - राज के कुछ कहने से पहले ही रोशनी बोल पड़ी ।
उसी क्षण उनके कान में फ्लाईंग स्क्वायड के सायरन का आवाज पड़ी।
रोशनी ने राज की ओर देखा और शान्ति की सांस ली।
"तुम यहां कैसे ?" - राज ने हिन्दोस्तानी में पूछा।
"तुम्हारी वजह से ।" - रोशनी बोली - "मैं मिलर से यह पूछने आई थी कि तुम आये या नहीं ! हमारा ख्याल मिलर को तुम्हारे होटल भेजने का था । तुमने इतनी देर क्यों की ?" राज ने उसे शुरू से आखिर तक सारी घटना कह सुनाई।
"जो आदमी तुम्हें क्राफोर्ड के रूप में मिला था" - सारी दास्तान सुन चुकने के बाद रोशनी बोली - "वही तौफीक इस्माइल के पास ज्योति विश्वास का पत्र लेकर आया था ।"
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