RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
जीरूबी:- प्रेम को मुंबई ले जाने की बात जो है वह मुझसे पूछना बेकार है क्योंकि शाम को उसकी बीवी तो आ ही रही है तो अब जो कुछ भी पूछना है जो कुछ भी करना है वह शाम को उसके आने के बाद ही करते हैं हम लोग वैसे भी उसके आने में कुछ ही घंटे शेष है।
ज्योति:- तो क्या वह लड़की या शाम को यहां पर आ रही है।
रूबी:-हां जरूर आ रही है अभी-अभी मेरी कमिश्नर साहब से बात हुई है उन्होंने बोला है कि वह लड़की आज शाम को ही आ रही है तुम जाकर उसे एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना।
अन्नू:-आखिर कर वह लड़की थी कहां इतने दिनों तक जो तुम लोग उसका इंतजार कर रही थी।
रूबी:-हुआ लड़की पिछले 8 सालों से एक आश्रम में थी जहां पर उसे स्कूली शिक्षा के साथ-साथ मार्शल आर्ट की भी ट्रेनिंग दी जा रही थी अल्लाह की उसकी ट्रेनिंग अभी पूरी नहीं हुई है उसकी ट्रेनिंग पूरी होने में बस कुछ हफ्तों का ही समय शेष रह गया था लेकिन यहां पर प्रेम की हालत को देखते हुए कमिश्नर साहब ने उसे जल्द ही बुला लेने का फैसला किया है।और अब मैं तुम लोगों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने वाली हूं तुम लोगों को जो कुछ भी पूछना होगा वह तुम लोग उसी लड़की से ही पूछना मैं अब कुछ नहीं बताऊंगी।
अन्नु:-बस एक आखरी सवाल का जवाब दे दे इसके बाद मैं तुमसे कुछ नहीं पूछूंगी।
रूबी:-प्रेम से संबंधित या उस लड़की से संबंधित यह अंतिम प्रश्न होगा इसके बाद मैं तुम्हें किसी भी सवाल का जवाब नहीं दूंगी।
अन्नु:-वह लड़की ऐसे ही तो इसकी मदद करने के लिए तैयार नहीं हो जाएगी उसका दीपक और प्रेम के साथ कुछ ना कुछ संबंध तो जरूर होगा तभी तो वह इतना बड़ा रिस्क लेने के लिए तैयार हो गई है और रिस्क से बड़ी बात यह है कि वाह जिस रिश्ते में बदले जा रही है उसके बाद कोई भी लड़का उससे शादी करने के लिए तैयार नहीं होगा जल्दी जो बिना किसी संबंध के वह लड़की ऐसा क्यों करेगी।
रूबी:-इतने लंबे चौड़े प्रश्न का आंसर सिर्फ मैं यही दे सकती हूं कि वह लड़की दीपक की मम्मी से रिलेशन में कुछ है अब वह क्या लगती है इसके बारे में मुझे भी कुछ जानकारी नहीं है।
इतने में अनु की मम्मी का फोन आ जाता है और वह कहती है कि खाना तैयार हो गया है तुम लोग आकर खाना खा लो। फोन आने के बाद सभी लोग उठकर खाना खाने के लिए जल्दी से हैं तो ज्योति अनु से बोलती है कि
अन्नू:-क्या प्रेम को यहां पर खाना खिलाना सेफ रहेगा दिया के सामने।
अन्नु:-नहीं मुझे लगता है कि हमें प्रेम को उसके रूम में ही खाना खिला देना अच्छा होगा।
वह यह सब बातें करते हुए डाइनिंग टेबल की तरफ आती है तो देखती है कि सभी लोग वहां पर बैठे हुए हैं सिर्फ दिया को छोड़कर उन लोगों ने प्रेम को भी यहीं पर बुला लिया था अनु जब प्रेम को यहां पर देखती है तो समझ जाती है कि जिया यहां पर क्यों नहीं है। तो वह शालिनी से पूछती है कि तुमने प्रेम को यहां पर क्यों ल लेकर आई उसे तो उसके रूम में ही खाना खिला देना चाहिए था।
तुम जानती हो ना कि प्रेम अगर यहां पर रहेगा तो दीया हम लोगों के साथ खाना नहीं खा सकती है और मैं नहीं चाहती हूं कि हवा हमारे घर पर मेहमान बन कर आई है और वह अकेले बैठकर के खाना खाए।
शालिनी:-दीदी मैं क्या करूं मैंने तुझसे मना किया था पर यहां पर मेरी बात सुनता कौन है दीया ने ही उसे यहां पर खाना खाने के लिए बोला है।
अन्नु:-ठीक है तब तुम सभी लोग खाना खा लो मैं यहां पर प्रेम को खाना खिला देती हूं और फिर दीया के साथ बैठकर के खाना खा लूंगी इस तरह तुम लोगों के साथ भी बैठी रहूंगी और जिया के साथ भी बैठी रहूंगी।
दीपा:-दीदी आप प्रेम को खाना क्यों खिलाएंगे क्या हुआ खाना आपने से नहीं खा सकता है।
(दीपा यह बात इसलिए बोली थी क्योंकि उसे अंदर ही अंदर जलन हो रही थी कि उसके प्रेमी को कोई उसके सामने खाना खिलाए यह बात व कैसे बर्दाश्त कर सकती थी। वह इस बात को नहीं जानती थी कि अनु उसे अपना भाई मानती है)
अन्नु दीपा के बोलने का मतलब समझ जाती है फिर वह हंसते हुए बोलती है कि
अन्नु,:- अरे मेरी छोटी प्यारी बहना तू चिंता मत कर मैं तेरे प्यार पर डाका नहीं डाल रही हूं मैं उसे अपना भाई मानती हूं और सबसे बड़ी बात यह है कि उसका दिमाग इस टाइम पर एक छोटे बच्चे के जैसा हो गया है जैसे छोटे बच्चे को हर चीज सिखाना पड़ता है वैसे ही उसे भी हर चीज सिखाना होगा बताना होगा इसलिए मैं उसे अपने हाथों से खाना खिलाने के लिए बोल रही थी ताकि वह सीख सके कि खाना कैसे खाते हैं।
दिया:-दीदी इसमें सारी गलती मेरी है आज मेरे ही कारण प्रेम को यह सब झेलना पड़ रहा है अगर मैं उसे इतना तेज नहीं मारती तो आज वह सही सलामत होता।
ज्योति:-तुम अपने मन में इसके लिए क्यों पछतावा रखती हो मैंने और अनु में तुमको कितनी बार समझाया कि उस टाइम पर तुमने जो कुछ भी किया वह सही था अगर तुम ऐसा नहीं करती तो हो सकता है आज प्रेम हमारे पास इस हालत में भी है वह भी नहीं रहता।
दिया:-दीदी आप हम लोगों को चिंता ना करें आप प्रेम के साथ जा करके खाना खुद भी खा लीजिए और उसे भी खिला दीजिए हम लोग यहां पर आराम से खा लेंगे आपको किसी भी फॉर्मेलिटी करने की जरूरत नहीं है।
यह सुन कर के वहां से अनु अपना और प्रेम का खाना लेकर के चली जाती है कि सभी लोग खाना खाते हैं और खाना खाने के बाद फिर दीपा शालिनी प्रेम को लेकर के बाहर चली जाती हैं उसे कुछ कपड़े दिलवाने के लिए क्योंकि वह बिना कपड़ों के ही जो पहना था सिर्फ उसी में चला आया था तो उसको कपड़े के लिए प्रॉब्लम हो रही थी वह लोग उसके लिए शॉपिंग करने के लिए चले गए । इधर सभी लोग खाना खाने के बाद अनु के रूम में फिर से आकर बैठ जाते हैं इस बार एक मेंबर और बढ़ गया था वह थी दिया।
फिर अनु को कुछ याद आता है तो वह रूबी से पूछती है कि
अन्नु:-मैं यह मान सकती हूं कि शायद तुम दिया को इसलिए जानती होगी की दीया प्रेम की बहन है तो प्रेम पर नजर रखते रखते तुम्हें उसके बारे में जानकारी चल गई हो लेकिन दीया और शालिनी की बातों से मुझे ऐसा नहीं लगता है कि तुम दीया और शालिनी को प्रेम की वजह से जानती हो।
दीया अनु की बातें सुन कर के उसे अपनी गलती का एहसास हो जाता है कि उसे वह नहीं बोलना चाहिए था जो उसने भावुकता में आकर के जब यहां पर आई थी तो बोल दी।
रूबी:-तुम सही कह रही हो मैं दिया और शालिनी को इसलिए नहीं जानती हूं कि यह प्रेम की या तुम्हारी बहन है मैं इन दोनों को इसलिए जानती हूं क्योंकि मैंने एक बार इन दोनों की मदद की थी।
अन्नु:- कैसी मदद की थी तुमने और जब तुम दोनों को जानती नहीं थी तो फिर यह दोनों तुमसे मिली कहां पर।
रूबी:-तुम्हें याद होगा 3 साल पहले यहां पर एक बहुत बड़े ड्रग्स माफिया की पर्दाफाश हुआ था जिसे सीआईडी और पुलिस वालों ने मिलकर के पकड़ा था।
अन्नु:-हां तो इन दोनों का उसे क्या संबंध है और उस टाइम पर तो जहां तक मुझे याद है कि दोनों की लगभग लगभग नई नई जॉइनिंग हुई थी छह-सात महीने पहले ही हम दोनों ने ट्रेनिंग पूरी करके नौकरी ज्वाइन की थी एक साथ।
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