RE: Incest Porn Kahani चुदाई घर बार की
अभी वो भी तुम से माफ़ी मांग ले गी लेकिन पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज बेटा तुम घर छोड़ के नहीं जाओगे बल्कि कल से तुम मेरे साथ खेतों मैं रहा करोगे
नहीं अबू मुझ किसी से माफ़ी मंगवाने की कोई ज़रूरत नहीं है
कयुँकि अम्मी का बेवजह शक ने मुझे अपनी और फरी बाजी की नज़रों मैं गिरा दिया है तो
अब मेरे पास बस 2 ही रास्ते हैं
एक ये की मैं घर से इतनी दूर चला जाओं की किसी की नज़र मैं भी ना आऊँ ज़िंदगी भर और
दूसरा ये है क मैं अपनी जान ख़तम कर दूँ और अब कोई चारा नहीं बचा
(ये मुझे बाद मैं पता चला क ये सारी हराम ज़दगी फ़रीदा ने ही की थी अम्मी को बताने वाली और शक मैं डालने वाली और बाकी की कसर मैने अम्मी की साथ हल्की फुल्की, अपने रविये से पूरी कर डाली थी)
अम्मी जो की अब तक चुप चाप थी
अचानक.... उठी और मेरे पैरों मैं गिर गई और रोते हुए मुझसे माफ़ी माँगने लगी तो
जेसे मेरा दिल ही फटने लगा हो और मैने जल्दी से अम्मी को कंधों से पकड़ के उठा दिया और बोला नहीं अम्मी पल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये आप क्या कर रही हो
अम्मी रो रही थी और बोलती जा रही थी नहीं बेटा अब तो कहीं नहीं जाएगा अपनी मा को छोड़ के बेटा
अब मैं तुम्हे कभी कुछ नहीं कहूँगी पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बेटा अपनी मा को माफ़ कर दे
मैने अम्मी को अपने सीने से लगा लिया और बोला नहीं अम्मी मैं कहीं नहीं जाऊंगा आप को छोड़ के भला मैं खुश रह पाउँगा
कहीं इस दुनिया मैं मर ही ना जाओंगा जो आप को और अबू को छोड़ के कहीं जाऊं
मेरी बात सुन के अबू का फीका पड़ा चेहरा भी खुशी से चमक उठा और अम्मी भी खुश हो गईं तो बोली की
तू ठहर मैं ज़रा इस फ़रीदा की बची की खबर लेती हूँ
जिस की बातों मैं आके मैं अपने बच्चे को खोने जा रही थी
अम्मी की बात से मेरे साथ अबू और फरी भी चौंक गये
और फिर अबू ने ही अम्मी से पूछ क्या मतलब फ़रीदा ने ऐसा क्या बोला था जो तुम मेरे बचों के खिलाफ हो गई थी
अम्मी ने हमे फ़रीदा ने जो उस दिन अबू और अम्मी के शहर जाने के बाद मैं और बाजी खेतों मैं गये थे तो फ़रीदा जब खाना ले के आयी तो बाजी को बिना दुपते और क़मीज़ के नीचे बिना ब्रा के बड़े अजीब अंदाज़ मैं लेता देख लिया था
जिस वो शक मैं आ गई और अम्मी को भी बोल दिया था जिस की वजाह से ये सारा हुंगमा खड़ा हुआ था हमारे घर
अम्मी की बात सुन के मेरे साथ बाजी भी हेरान हुयी लेकिन शर्मिंदा भी ,
तो मैने अम्मी को मना कर दिया की वो फ़रीदा से कुछ ना कहे उस ने भी आप को जानबुझ के थोडा ही भड़काया होगा
थोड़ी देर इस तरह हम एक दूसरे से बात करते और अपने दिल का दर्द निकलते रहे तो फिर अबू ने कहा विकी बेटा तो जा अभी आराम कर देख ज़रा क्या हालत बन गई है तेरी चलो जाओ शाबाश
मैं और फरी जब अबू के रूम से निकले तो फरी ने धीमी आवाज़ मैं कहा भाई अब कुछ तो करना ही होगा वरना काम खराब हो जाएगा
मैने कहा क्या करना होगा तो फरी ने कहा थोड़ा सबर करो भाई बताउंगी
ज़रा मुझे सोच लेने दो तो उस के बाद फरी अपने रूम की तरफ चली गई और मैं अपने रूम की तरफ
बाकी का दिन ऐसे ही गुज़र गया और बस सिवाए फ़रीदा के जो मुझे या फरी को जब भी देखती बहुत गुस्से मैं घूरती और कोई खास बात नहीं हुयी
सब कुछ नॉर्मल हो गया तो रात अम्मी भी हुमारे पास ऊपर सोने नहीं आयी लेकिन फिर भी हमने कोई रिस्क नहीं लिया और सो गये
अगली सुबह जब सो के उठा तो देखा की फरी आज भी घर पे नहीं है और अम्मी घर पे ही हैं तो मैं समझ गया की फरी अबू के साथ खेतों मैं ही गई होगी जिस वजाह से अम्मी घर पे हैं
मैं उठा और नहाने चला गया जब नहा के बहार आया तो अम्मी खुद मेरा नाश्ता लायी मेरे रूम मैं ही
मैं नहा की सीधा अपने रूम मैं आ गया था तो अम्मी ने नाश्ता मेरे सामने रख़् दिया और खुद भी करीब ही बैठ गई तो मैं खामोशी से नाश्ता अपनी तरफ खिसका के खाने लगा
अम्मी ने मेरे बलों मैं अपनी उंगलियाँ घुमाते कहा कि ओं बेटा क्या अभी तक तो अपनी अम्मी के साथ नाराज़ है की बात भी नहीं कर रहा
मैने अम्मी की तरफ देखा और बोला ......
नहीं अम्मी ऐसी कोई बात नहीं अब जो होना था हो गया और अब तो बात भी ख़तम हो गई अब भला मैं आप से कयूं नाराज़ होने लगा भला
मेरी बात से अम्मी के फेस पे मुझे सकून की लहर दौड़ती हुयी महसूस हुयी और फिर जब मैने नाश्ता ख़तम किया तो अम्मी उठी और मेरे सर पे प्यार से किस कर के बर्तन उठा के निकल गई
अम्मी के जाने क बाद मैं थोड़ी देर लेटा रहा और फिर उठ के खेतों की तरफ चल दिया ये सोच कर के चलो अगर कोई मोका मिला तो बाजी की फुददी ही मार लूंगा
अबू काम से इधर उधर के साथ वालों खेतों पे भी चले जाया करते थे तो मोका बन सकता था
मैं जब खेतों मैं गया तो अबू उस वक़्त चारा काट रहे थे कयुँकि बाद मैं गर्मी ज़्यादा हो जाती तो चारा नहीं कटा जाता भेंसों के लिए और बाजी इधर उधर से कटा हुआ चारा एक जगह जमा कर रही थी और
खास बात जो मैने देखी वो ये थी फरी उस वक़्त बिना दुपते और बारीक कपड़ों मैं थी और कयुँकि हवा भी चल रही थी तो काम करने की वजाह से उसके कपड़े भी भीगे हुयी थे लेकिन वो बिना शरम किया काम मैं लगी थी
ये नज़ारा देख के मुझे पता नहीं कयूं ऐसा लगा की बाजी ये सब (यानी बिना दुपते और बारीक कपड़ों के साथ पसीने मैं भीगी अबू के इधर उधर झुक के चारा जमा करती ये सब वो जान बुझ के कर रही है)
मुझे आता हुआ अबू और बाजी दोनो ही देख चुके थे लेकिन बाजी ने अपने काम मैं बड़ी मस्ती से लगी होई थी और अबू भी चुप छाप चारा काट रहे थे जिसे बाजी जमा करती जा रही थी
मैं भी जा के करीब ही खेतों मैं निशानी के लिए पगडंडी पे जा के बैठ गया तो अबू ने कहा बेटा घर पे दिल नही लगा जो इतनी सवेरे ही यहाँ चले आए
बस अबू घर पे बौर हो रहा था तो सोचा की चलो खेतों से ही हो आता हूँ इस लिए आ गया
तो अबू ने भी चलो अच्छा किया बेटा ऐसा करो तुम चलो वहाँ रूम के पास दरखतों के नीचे बैठो यहाँ तो काफ़ी तेज़ धूप हो रही है गर्मी लगेगी हम भी बस अभी आ जाते हैं
मैं बिना कोई बात किए उठा और रूम के सामने ही जा के बैठ गया और बाजी और अबू को काम करता देखता रहा फिर अबू ने चारा काटना बंद किया और जमा किया हुआ चारा उठाने लगे जिस मैं बाजी भी
अबू की मदद कर रही थी जिस के लिए बाजी अबू के सामने पूरी तरह से झुक जाती
मुझे इतनी देर से इतना तो ठीक से पता नही चल रहा था की ये सब देख के अबू पे क्या बीत रही होगी या फिर अबू बाजी के सीने मैं तने मम्मो को देख भी रहे हैं या नहीं
थोड़ी देर के बाद अबू और बाजी चारा उठा के क रूम के पास लगी मशीन के पास आ गये और मशीन चला के चारा कटा और फिर बाजी रूम मैं चली गई और अबू साइड मैं लगे ट्यूब वेल को चलाने लगे
ट्यूब वेल के चलते ही अबू ने कहा आ जा बेटा नहा ले ठंडा पानी है मज़ा आ जाएगा
तो मैने अबू को मना कर दिया क मेरे पास कोई लूँगी नही है तो अबू जो की अब खुद भी लूँगी मैं ही आ चुके थे बोले यार कोई भी कपड़ा बाँध लो की तभी बाजी रूम से निकल आयी
वो अभी तक बिना दुपते के ही थी और बोली अबू बड़ी गर्मी लग रही है क्या मैं भी नहा लूँ
अबू ने बाजी की तरफ देखे बिना ही हाँ हाँ बेटी आ जा तू भी नहा ले बोल दिया तो
बाजी मुझे आँख का इशारा करते हुए अबू की तरफ चल दी नहाने के लिए और मैं बाजी को पूरा मोका देने क लिए रूम मैं जा घुसा जहाँ मैं एक कपड़ा ढूंड के लूँगी बंधी और रूम के दरवाजे के पास आ के बाहर झाँकने लगा
जहाँ बाजी अब पूरी तरह भीगी हुयी खड़ी थी अबू के साथ और मुझे ये देख के बड़ी हैरानी हुयी की बाजी यह सब काया कर रही हैं मेरी कीच समझ मै नहीं आ रहा था. पर मुझे बाजी पे भरोसा की वो जो भी करेंगी सोच समझ के ही.....
पर फरी बाजी की हिमत पे रश्क भी आया कि वो की बाजी के कपड़े भीगते ही उस का सारा बदन जैसे बिल्कुल नंगा नज़र आने लगा था और अब ज़रा ध्यान से देखा तो पता चला की बाजी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुयी थी
और अबू की आँखें जो की बाजी की तरफ तो नहीं थी लेकिन वो छोड नज़रों से अपनी बड़ी बेटी की जवानी को ही निहारे जा रहे थे
ये सब देख के मैने सोचा की यार ज़रा बाजी को थोडा टाइम और मिलना चाहिए पता नहीं उनके दिमाग मै काया चाल रहा है और बहार नहीं निकला तो बाजी जो की एक बार फिर से पानी के नीचे सर दे के उठी तो अबू की तरफ देख के बोली क्या हुआ
अबू आप नहीं नहा रहे
अबू ने फरी की तरफ देखा और बोले नहीं बेटी पहले तुम नहा लो मैं बाद मैं नहा लूंगा और
फिर दूसरी तरफ देखने लगे तो बाजी साइड से सोप उठा के अपने जिस्म पे रगड़ने लगी कपड़ों के ऊपर से ही(जैसा की अक्सर गावँ मैं होता है) और साथ अबू की तरफ देखे बिना अपने मम्मो , जाँघों और गले दरमियाँ अच्छी तरह से हाथ घुमाती रही
तो अबू की हालत देखने वाली हो जाती अब अबू से ज़्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो वहीं साइड मैं पानी के अंदर ही बैठ गये
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