Incest Kahani एक अनोखा बंधन
05-07-2020, 02:19 PM,
#13
RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--7

गतान्क से आगे.....................

“मेरी प्यारी ज़रीना,

कैसी हो तुम. बहुत मुश्किल से मिला अड्रेस तुम्हारी मौसी का मुझे. अड्रेस मिलते ही आज ये चिट्ठी लिख रहा हूँ. एक बात पूछनी थी तुमसे. क्यों चली गयी थी तुम रेस्टोरेंट से बिना बताए. खाना खाकर रफू चक्कर हो गयी मुझे छोड़ कर. क्या बस इतना ही प्यार था तुम्हारा. तुम्हे नही लगता कि तुमने कुछ ग़लत किया है. मैं ढून्दता रहा तुम्हे वाहा लेकिन तुम कही नही मिली. बताओ क्यों किया तुमने ऐसा.

थक हार कर मैं होटेल वापिस आ गया था. उम्मीद थी कि तुम होटेल में ही मिलॉगी मुझे. पर ये क्या तुम तो वाहा भी नही थी. ऐसा कौन सा तूफान आ गया था कि तुम अचानक मुझे छोड़ कर चली गयी. क्या एक बार भी नही सोचा तुमने की मैं कैसे जीऊँगा. क्या तुम्हे ज़रा भी चिंता नही हुई मेरी.अगले दिन तुम्हारी मौसी की गली में भी घुमा मैं काफ़ी देर. लेकिन तुम तो शायद मुझे भूल कर मज़े की नींद ले रही थी. बहुत बेदर्द हो तुम.

दिल से मजबूर हो कर लिख रहा हूँ ये चित्ति मैं. बहुत कोशिस की तुम्हे भुलाने की पर भुला नही सका. क्या करू प्यार ही इतना करने लगा हूँ तुम्हे. पर तुम्हे क्या, तुम्हे तो मिल गया होगा शुकून मुझे तडपा के.

एक बात और कहनी थी. आज मैने तुम्हारी खातिर वो किया जो मैं कभी नही कर सकता था. आज तुम्हारी फेवोवरिट डिश चिकन कढ़ाई खाई मैने. इतनी बुरी भी नही लगी जितना मैं समझता था.मुश्किल हुई पर खा ही ली. अब जो चीज़ मेरी ज़रीना की फेवोवरिट है उसे तो चखना ही था. अब हमारे बीच कोई भी दिक्कत नही होगी इस बात को लेकर. अब मैं भी नोन-वेज बन गया हूँ. तुम ठीक ही थी ज़रीना. मैने बहुत सोचा और इसी नतीजे पर पहुँचा कि जीवन तो कण-कण में है. यही तो हमारे हिंदू धरम की मान्यता भी है. तुम्हारे भोजन का यू अपमान करना ग़लत था. ये बात अब मैं समझ गया हूँ. अब ये छोटी सी बात हमारे बीच नही आएगी. आ जाओ वापिस मेरी जिंदगी में ज़रीना. तुम्हारे बिना बहुत अकेला महसूस कर रहा हूँ मैं. सब कुछ बिखर गया है.

तुम्हे लेने आ रहा हूँ ज़रीना इस रविवार को मैं. तैयार रहना. कोई बहाना नही चलेगा. तुम सिर्फ़ मेरी हो और मेरी रहोगी. बहुत प्यार करूँगा तुम्हे मैं ज़रीना. तैयार रहना तुम मैं आ रहा हूँ तुम्हे लेने.

तुम्हारा आदित्य”

मैं तो तैयार खड़ी हूँ आदित्य तुम आओ तो सही. आँखे बंद करके चल पड़ूँगी तुम्हारे साथ. जहा चाहे वाहा ले जाना तुम मुझे. आइ लव यू.” बोलते बोलते ज़रीना की आँखे भर आई लेकिन इस बार आँसू कुछ और ही रंगत लिए थे.

ज़रीना ने प्यार की खातिर नोन-वेज छोड़ दिया और आदित्य ने प्यार की खातिर नोन-वेज शुरू कर दिया. वैसे तो बहुत छोटी सी बाते लगती हैं ये. लेकिन ये करना इतना आसान नही होता. अपने अहम यानी कि ईगो को मारना पड़ता है. जो अपनी ईगो को ख़तम कर पाता है वही प्यार की गहराई में उतार पाता है. आदित्या और ज़रीना फैल तो ज़रूर हुवे थे प्यार के इम्तिहान में लेकिन अब उन्होने वो पाया था अपने जीवन में जो की बहुत अनमोल था. प्यार में एक दूसरे के लिए झुकना सीख गये थे वो दोनो. जो कि प्यार के लंबे सफ़र पर जाने के लिए ज़रूरी है.

अब इसे अनोखा बंधन ना कहु तो क्या कहु मैं. ये अनोखा बंधन बहुत प्यारा और सुंदर है जिसमे कि इंसानी जींदगी की वो खुब्शुरती छुपी है जिसे शब्दो में नही कहा जा सकता. बस समझा जा सकता है. बस समझा जा सकता है…………………………

प्यार के दुश्मन हज़ार होते हैं. प्यार को दुनिया की नज़र भी लग जाती है. बहुत खुस थे ज़रीना और आदित्य एक दूसरे का प्यार भरा खत पा कर. ज़रीना के पाँव ज़मीन पर नही थम रहे थे. आदित्य भी ख़ुसी से झूम रहा था.

सनडे को लेने जाना था आदित्य को ज़रीना को. आने जाने की टिकेट उसने बुक करा ली थी. अभी 2 दिन बाकी थे. उसने सोचा क्यों ना ज़रीना के आने से पहले अपने पापा के कारोबार को संभाल लिया जाए. वही बचा था अब इक लौता वारिस उसे ही सब संभालना था. ज़रीना की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए ये ज़रूरी भी था.

बहुत बड़ा कपड़े का व्यापार था आदित्य के पापा दीना नाथ पांडे का. बिना देख रेख के वो यू ही नुकसान में जा रहा था. दंगो के बाद आदित्य ने सुध ही नही ली व्यापार की. लेकिन अब उसे ज़िम्मेदारी का अहसास हो चला था. ज़रीना की खातिर उसे उस बीखरे हुवे व्यापार को फिर से खड़ा करना था. प्यार काई बार ज़िम्मेदारी भी सीखा देता है.

आदित्य सुबह सवेरे ही घर से निकल पड़ा. सभी करम्चारी आदित्य को देख कर बहुत खुस हुवे. सभी परेशान थे कि फॅक्टरी अगर यू ही चलती रही तो जल्दी बंद हो जाएगी और उनका रोज़गार छिन जाएगा. आदित्य ने सभी को भरोसा दिलाया कि वो फिर से फॅक्टरी को पहले वाली स्तिथि में ले आएगा.

पूरा दिन आदित्य ने फॅक्टरी में ही बिताया. किसी बिगड़े काम को ठीक करने के लिए अक्सर एक सच्चे पर्यास की ज़रूरत होती है. उसके बाद सब कुछ खुद-ब-खुद ठीक होता चला जाता है. ऐसा ही कुछ हो रहा था दीना नाथ पांडे की उस फॅक्टरी में. आदित्य के आने से उम्मीद की एक किरण जाग उठी थी सभी के मन में. जो कि एक बहुत बड़ी बात होती है.

काफ़ी दिनो बाद कुछ काम हुवा फॅक्टरी में. आदित्य बहुत खुस था. फॅक्टरी में रहा आदित्य मगर हर वक्त उसके जहन में ज़रीना का चेहरा घूमता रहा.

शाम को वो ख़ुसी ख़ुसी घर लौट रहा था. अंजान था कि काई बार ख़ुसी को किसी की नज़र भी लग जाती है. जब वो अपने घर पहुँचा तो पाया कि कुछ गुंडे टाइप के लोग ज़रीना के टूटे-फूटे घर के बाहर खड़े हैं. वो उन्हे इग्नोर करके अपने घर में घुसने लगता है. मगर उसे कुछ ऐसा सुनाई देता है कि उसके कदम घर के बाहर ही थम जाते हैं.

“यार जो भी हो. क्या मस्त आइटम थी वो ज़रीना. मैं तो दंगो के दौरान बस उसे ही ढूंड रहा था. एक से एक लड़की को ठोका उस दौरान पर ज़रीना जैसी कोई नही थी उनमे. पता नही कहा छुप गयी थी साली. उसकी छोटी बहन की तो अच्छे से ली थी हमने.”

“हो सकता है वो घर पर ना हो कही बाहर गयी हो.”

“हो सकता है? पर यार उसकी लेने की तम्माना दिल में ही रह गयी. अफ क्या चीज़ थी साली. ऐसे दंगो में ही तो ऐसा माल हाथ आता है. वो भी निकल गया हाथ से.”

आदित्य तो आग बाबूला हो गया ये सुन कर. प्रेमी कभी अपनी प्रेमिका के खिलाफ ऐसी बाते नही सुन सकता. भिड़ गया आदित्य उन लोगो से बीना सोचे समझे. जो आदमी सबसे ज़्यादा बोल रहा था वो उस पर टूट पड़ा.

“बहुत बकवास कर रहा है. तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसी बाते करने की” आदित्य ने उसे ज़मीन पर गिरा कर उस पर घूँसो की बोचार कर दी. मगर वो 5 थे और आदित्य अकेला था. जल्दी ही उसे काबू कर लिया गया. ये कोई हिन्दी मूवी का सीन नही था जहा कि हीरो 5 तो क्या 10 लोगो को भी धूल चटा देता है. ये रियल लाइफ का द्रिश्य था.

2 लोगो ने आदित्य को पकड़ लिया और एक ने चाकू निकाल कर कहा, “क्यों बे ज़्यादा चर्बी चढ़ि है तुझे. हम कौन सा तेरी मा बहन के बारे में बोल रहे थे. उन लोगो के बारे में बोल रहे थे जो हमारे दुश्मन हैं. हिंदू हो कर हिंदू पर ही हाथ उठाते हो वो भी हमारे दुश्मनो की खातिर. तुम्हारे जैसे लोगो ने ही हिंदू धरम को कायर बना रखा है.”

“कायरता खुद करते हो और पाठ मुझे पढ़ा रहे हो. छोड़ो मुझे और एक-एक करके सामने आओ. खून पी जाउन्गा मैं तुम लोगो का.”

“ जग्गू मार साले के पेट में चाकू और चीर दे पेट साले का. ज़रूर इसी ने छुपाया होगा ज़रीना को. इसके घर में देखते हैं. क्या पता जो दंगो के दौरान नही मिली अब मिल जाए…हे…हे.”

“उसके बारे में एक शब्द भी और कहा तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.” आदित्य छटपटाया. मगर 2 लोगो ने उसे मजबूती से पकड़ रखा था.
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन - by hotaks - 05-07-2020, 02:19 PM

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