RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--9
गतान्क से आगे.....................
पहले मौसी अंदर आती है क्योंकि जवान लड़की थी कमरे में. मौसी अंदर आकर पाती है कि ज़रीना पाँव सीकोडे पड़ी है. वो उसे हिलाती है पर वो कुछ रेस्पॉंड नही करती. “ये तो बेहोश पड़ी है शायद.”
मौसी बाहर आती है और एमरान से कहती है, “बेटा वो तो बेहोश पड़ी है अंदर. डॉक्टर को बुलाओ जल्दी.”
एमरान फ़ौरन डॉक्टर को लेकर आता है. डॉक्टर ज़रीना को एग्ज़ॅमिन करता है और बोलता है, “सब कुछ नॉर्मल है. शायद किसी सदमें में है. क्या कुछ ऐसा हुवा है इसके साथ जिस से इसके दिल को गहरा झटका लगे.”
“हुवा तो बहुत कुछ है डॉक्टर साहिब अब क्या बतायें. आप कोई दवाई दे दीजिए.” मौसी ने कहा.
“मैं इंजेक्षन दे रहा हूँ. कुछ ही देर में इसे होश आ जाएगा. आप इन्हे खुस रखने की कोशिस करें.” डॉक्टर ने कहा.
डॉक्टर ज़रीना को इंजेक्षन दे कर चला गया. शमीम और उसके अब्बा भी वाहा से चले गये. उन्हे अपने काम के लिए निकलना था. एमरान और मौसी वही बैठ गये दो कुर्सी ले कर.
“कुछ तो है ऐसा जो ये हमसे छुपा रही है.” मौसी ने कहा.
“खाला वक्त लगेगा उसके जख़्मो को भरने में. कुछ वक्त दीजिए उसे.” एमरान ने कहा.
“वक्त तो ठीक है, पर ये हर वक्त खोई-खोई रहती है.”
“खाला आपने ज़रीना से कुछ बात की हमारे बारे में” एमरान ने पूछा.
“की थी बेटा. अभी उसने कुछ बताया नही है पर तुम फिकर ना करो ज़रीना तुम्हारी ही बीवी बनेगी. मैं हूँ ना.”
“खाला अगर ऐसा हो गया तो खुद को ख़ुसनसीब समझूंगा. पहली बार मुझे कोई पसंद आया है.” एमरान ने कहा.
“तुम्हारे बहुत अहसान हैं बेटा. इतना तो तुम्हारे लिए कर ही सकती हूँ. ज़रीना ना नही बोलेगी मुझे यकीन है इस बात का. और तुमसे अछा शोहार नही मिलेगा उसे.”
“खाला हम चाहते हैं कि जितनी जल्दी ये निकाह हो जाए अछा रहेगा. हम ज़रीना को बहुत खुस रखेंगे.” एमरान ने कहा.
“मालूम है बेटा. कोशिस करूँगी कि तुम दोनो का निकाह जल्दी हो जाए. मेरे सर से भी ज़िम्मेदारी का बोझ हटेगा. उमर हो चली है मेरी. जींदगी का क्या भरोसा. जीतनी जल्दी ज़रीना का घर बस जाए अछा है. तुम्हारे हाथ में उसका हाथ दे कर मैं भी निश्चिंत रहूंगी.” मौसी ने कहा.
डॉक्टर के इंजेक्षन के बाद कुछ ही देर में ज़रीना को होश आ गया.
“आदित्य!” ज़रीना चिल्ला कर बोली और बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी. तब उसकी मौसी और एमरान वही थे.
एमरान और ज़रीना की मौसी तो हैरान रह गये.
“आदित्य? कौन आदित्य ज़रीना” एमरान ने हैरानी में पूछा.
ज़रीना को होश आया कि वो क्या बोल गयी. “मैं सपना देख रही थी शायद.”
ज़रीना का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा. वो अच्छे से जानती थी कि किसी को भी वाहा आदित्य और उसके बारे में पता चला तो बहुत मुसीबत हो जाएगी. शमीम के अब्बा और शमीम ने खुद सलमा को इश्लीए मार दिया था क्योंकि वो एक हिंदू लड़के से प्यार कर बैठी थी. शमीम की छोटी बहन थी सलमा. ऐसे माहॉल में ज़रीना का डरना लाजमी था. कोई नही था वाहा ऐसा जो कि ज़रीना और आदित्य के रिश्ते को समझता. इश्लीए उसे हर हाल में अपने प्यार को छुपा कर रखना था.
“क्या हुवा था बेटा…पता है तुम बेहोश पड़ी थी यहा. डॉक्टर ने इंजेक्षन दिया तुम्हे तब होश में आई तुम. ऐसी कौन सी बात है अब जो कि तुम्हे अंदर ही अंदर खाए जा रही है. कल बार बार बाल्कनी में घूम रही थी. मैने तुझे रात को भी देखा बाल्कनी में जाते हुवे. पर तुझे टोका नही. कुछ बताओगि अपनी मौसी को ताकि मैं कुछ कर पाव तुम्हारे लिए”
ज़रीना अजीब मुश्किल में पड़ गयी, बोले भी तो क्या बोले. चुप रही बस. अब कैसे कहे कि वो आदित्य को ढूंड रही थी. कुछ और कहने को उसे सूझ नही रहा था. जब दिल प्यार में डूबा हो तो दिमाग़ अक्सर कम चलता है.
“बेटा मैं कुछ पूछ रही हूँ कुछ बताओगि मुझे.” मौसी ने फिर पूछा.
“रहने दीजिए खाला. ज़रीना का जब मन होगा बता देगी.” एमरान ने कहा.
लेकिन कहते हैं कि इश्क़ और मुश्क़ छुपाए नही चूपता. ज़रीना के तकिये के पास आदित्य की चिट्ठी पड़ी थी. मौसी की नज़र पड़ गयी उस चिट्ठी पर. वो आगे बढ़ी और उठा ली वो चिट्ठी. ज़रीना का ध्यान ही नही था इस बात पर कि तकिये के पास चिट्ठी पड़ी है. प्यार में ध्यान व्यान सब गुम हो जाता है शायद. जब उसने मौसी के हाथ में आदित्य की चिट्ठी देखी तो वो चिल्लाई, “मौसी ये मेरी पर्सनल चिट्ठी है. मुझे वापिस दे दो.”
“एमरान बेटा पढ़ना ज़रा इसमे क्या लिखा है. मुझे तो पढ़ना नही आता.” मौसी ने कहा.
“नही एमरान ये मेरी पर्सनल है. कोई नही पढ़ेगा इसे.” ज़रीना ने कहा.
एमरान ने चिट्ठी पकड़ तो ली पर दुविधा में पड़ गया वो कि क्या करे क्या ना करे. मौसी कह रही थी पढ़ो और ज़रीना कह रही थी मत पढ़ो.
“पढ़ो बेटा. शायद ज़रीना की परेशानी का सबब इस चिट्ठी में मिल जाए. ये तो कुछ बताती है नही.”
एमरान ने चिट्ठी हाथ में ली और मन ही मन पढ़नी शुरू की. जब वो चिट्ठी पढ़ कर हटा तो उसके चेहरे पर तनाव था.
“मौसी बाहर आईए बहुत गंभीर बात है.” एमरान ने कहा.
“मेरा खत मुझे वापिस दे दो.” ज़रीना ने भावुक आवाज़ में कहा. वो वैसे ही आदित्य के ना आने से परेशान थी और अब ये नयी मुसीबत आन खड़ी हुई थी.
एमरान ने आदित्य का खत अपनी जेब में डाल लिया और मौसी को साथ लेकर बाहर की ओर चल दिया.
ज़रीना उठी बिस्तर से और चिल्लाई, “मेरा खत है वो कहा ले जा रहे हो. पागल हो क्या तुम. वापिस दो मुझे वो.”
एमरान ने बाहर आकर बाहर से कुण्डी लगा दी दरवाजे की. ज़रीना अंदर से दरवाजा पीट-ती रही. “मेरा खत मुझे वापिस दे दो प्लीज़…….” आँसू आ गये ज़रीना की आँखो में बोलते बोलते.
एमरान पूरा खत पढ़ कर मौसी को सुनाता है.
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