Incest Kahani एक अनोखा बंधन
05-07-2020, 02:27 PM,
#33
RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--17

गतान्क से आगे.....................

आदित्य को बड़ा ही अजीब लगा की ज़रीना सोने जा रही है. उसे लगा था कि वो दोनो बैठ कर ढेर सारी बाते करेंगे. उसने ज़रीना को कुछ भी कहना सही नही समझा और चुपचाप नहाने के लिए वॉश रूम में घुस गया. “शायद बहुत थक गयी है मेरी जान. वैसे सफ़र था भी बहुत लंबा.” आदित्य ने मन ही मन सोचा.

जब वो बाहर आया तो देखा कि ज़रीना कमरे की खिड़की के पास खड़ी है और बाहर झाँक रही है. आदित्य तोलिये से अपने बाल सुखाता हुवा उसके पास आया और बोला, “जान किन विचारो में खोई हो. चेहरे पर बहुत चिंता ज़नक भाव हैं. और तुम तो सोने जा रही थी, यहा पर क्यों खड़ी हो.”

“ओह…तुम आ गये. आदित्य कुछ बातो को लेकर परेशान हूँ.”

“कौन सी बातें?”

“हम जा तो रहे हैं गुजरात वापिस पर क्या हम सही कर रहे हैं?. क्या ये दुनिया हमारे रिश्ते को बर्दास्त कर पाएगी.”

“अचानक ये सब दिमाग़ में कहा से आ गया?” आदित्य ने पूछा.

“तुम नहाने गये थे तो मैने टीवी ऑन कर लिया. एक न्यूज़ देख कर दिल दहल उठा.”

“कैसी न्यूज़ देख ली तुमने?”

“हमारी ही तरह दो लोग प्यार करते थे बहुत. लड़का मुस्लिम था और लड़की हिंदू. आज सुबह उन दोनो को ऑनर के नाम पर मार दिया गया. आज कल हर किसी पर ऑनर किल्लिंग का भूत सवार है. मुझे डर लग रहा है आदित्य. क्या हमारा वडोदरा जाना ज़रूरी है, हम अपनी छोटी सी दुनिया क्या कही और नही बसा सकते.”

“कैसी बात करती हो ज़रीना, हमारा घर है वाहा, कारोबार है. हम दुनिया से डर कर भाग नही सकते सब कुछ छ्चोड़ कर. और ये हिंदू-मुस्लिम का झगड़ा गुजरात तक सीमित नही है. कहा छुपेंगे हम जाकर.”

“आदित्य वाहा हमें जानते हैं लोग, लोग जानते हैं कि तुम हिंदू हो और मैं मुस्लिम हूँ. कही और जाएँगे तो मैं भी खुद को हिंदू बता दूँगी. बात ही ख़तम हो जाएगी सारी.किसको पता चलेगा हमारा रिलिजन. तुमने ही तो कहा था कि चेहरे पर धरम नही लिखा होता.”

“वो सब तो ठीक है जान पर मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही है. तुम तो डर गयी अभी से. मौत से कितना घबराती हो तुम?”

“मौत से डर नही है कोई, बस तुम्हे खोना नही चाहती. हम मर गये तो भी तो हम जुदा ही होंगे. रूह को चैन नही मिलेगा मेरी. क्या ये सब मंजूर है तुम्हे.”

“तुम तो ये सोच कर चल रही हो कि ऐसा ही होगा. मगर जींदगी में निश्चित कुछ नही होता. मुझे यकीन है कि सब ठीक होगा हमारे साथ. क्या तुम अपने घर नही जाना चाहती.”

“बिल्कुल जाना चाहती हूँ. वो घर तो मेरे सपनो का घर है. पर आदित्य अगर फिर से किसी ने तुम पर हमला किया तो मैं सह नही पाउन्गि. घर जाने के लिए बेताब हूँ मैं. बस ये न्यूज़ देख कर दिल परेशान सा हो गया है. अल्लाह हमारे प्यार की हिफ़ाज़त करे.”

“बस एक बात कहूँगा. मैं आसमान से गिरने वाली बिजली से बहुत डरता था. टीवी पर एक बार देखा था कि कुछ लोग बीजली गिरने से मर गये. जब भी बारिस के दिनो में बादल गरजते थे, मेरा दिल बेचैन हो उठता था. मेरे दादा जी मेरा ये डर जान गये थे. एक बार उन्होने मुझे बैठा कर समझाया कि…आसमान से गिरने वाली बीजली कही ना कही तो गिरेगी पर ज़रूरी नही है कि हमारे उपर ही गिरे. इस विचार से मेरा डर गायब हो गया. मानता हूँ कि हमारा रिश्ता कुछ लोगो को पसंद नही आएगा. पर एक बात समझ लो कुछ लोग हमारा साथ भी देंगे. ज़रूरी नही है कि हमारे साथ बुरा ही हो. कुछ अछा भी हो सकता है. तुम मेरे साथ चलो…मुझ पर यकीन रखो…जो होगा देखा जाएगा.”

“तुम पर तो अपने खुदा से भी ज़्यादा यकीन है मुझे. बस इस अनमोल प्यार में और कोई ट्विस्ट नही चाहती हूँ मैं.”

“ज़रीना वैसे तो जींदगी है, कुछ भी हो सकता है मगर मुझे यकीन है कि अगर हम दोनो साथ हैं तो कोई भी हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता. हम दोनो साथ रहेंगे और वही अपने घर में रहेंगे.”

“ठीक है अब कुछ नही सोचूँगी. बस ये न्यूज़ देख कर डर गयी थी. मैं साथ हूँ तुम्हारे हर कदम पर. मेरा खुद का मन भी कहा है अपने घर से दूर रहने का.”

“अछा चलो छ्चोड़ो ये सब. तुम ये बताओ इतनी जल्दी सोने क्यों जा रही थी. टॅक्सी में तो हम खुल कर बात ही नही कर पाए ड्राइवर के कारण. अब जाकर मोका मिला था कुछ बाते करने का और तुम सोने की बाते करने लगी. बिल्कुल अछा नही लगा मुझे.”

“सर में दर्द है आदित्य. थका दिया इतने लंबे सफ़र ने. सर में दर्द होगा तो कैसे ढेर सारी बाते करूँगी. सोचा थोड़ा सा सो लूँगी तो ठीक हो जाएगा. पर नींद ही नही आई.”

“अरे पागल हो तुम भी. ऐसा था तो बताना था ना मुझे. मैं अभी मेडिसिन ले आता हूँ.”

“नही तुम कही मत जाओ प्लीज़. मेरे पास रहो. हो जाएगा ठीक थोड़ी देर में. मैं मेडिसिन कम ही लेती हूँ.”

“अछा चलो लाते जाओ आराम से. ये सर दर्द सफ़र के कारण है. आराम करने से ही दूर होगा.” आदित्य ने कहा.

“आदित्य ये बताओ कि तुम मंदिर में मेरे आयेज हाथ जोड़ कर क्यों खड़े थे तुम.?”

“क्योंकि मेरी भगवान तो तुम ही हो अब. इश्लीए तुम्हारे आगे ही हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया था.”

“हाहहाहा, मज़ाक अछा कर लेते हो तुम. मैं भगवान कैसे बन गयी.” ज़रीना ने कहा.
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन - by hotaks - 05-07-2020, 02:27 PM

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