RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
ज़रीना को बहुत गुस्सा आया ये सुन कर. चेहरा गुस्से से लाल हो गया उसका. गुस्सा स्वाभाविक भी था क्योंकि उसके अस्तित्व पर चोट की गयी थी. मगर वो चुप रही. कुछ नही कहा. वादा जो किया था आदित्य से सब कुछ शांति से सुन ने का. प्यार में क्या कुछ नही सहना पड़ता.
“कब से जानती हो उनको” सिमरन ने पूछा.
“ कॉलेज में थे साथ और हम दोनो के घर भी साथ साथ थे.” ज़रीना ने कहा.
“तो क्या तुम्हे नही पता था कि वो शादी शुदा हैं.” सिमरन ने पूछा.
“ये पता होता तो मैं आज यहा नही बैठी होती और ना ही आपको ये सवाल करने की ज़रूरत पड़ती.” ज़रीना ने सिमरन की आँखो में देखते हुवे कहा.
“झूठ कह रही हो तुम. भैया की पड़ोसी हो कर तुम उनकी शादी के बारे में नही जानती ऐसा कैसे हो सकता है” निशा ने कहा.
“हमारे परिवारों में बनती नही थी. कभी एक दूसरे के बारे में जान-ने का मोका ही नही मिला.” ज़रीना ने कहा.
“फिर ये प्यार का नाटक कैसे हो गया तुम दोनो के बीच. जब ऐसा था तो” चाची ने कहा.
“प्यार की शायद कोई वजह नही होती और जहा वजह ढुंडी जाती है वाहा प्यार नही होता.” ज़रीना ने जवाब दिया.
“वजह तो बहुत बढ़िया है तुम्हारे पास प्यार की. आदित्य के पेरेंट्स तो मारे गये गोधरा हादसे में. अब उसका घर और कारोबार सब कुछ तुम्हारे हाथ में आ सकता है. इन बातों के लिए इस बात को आसानी से इग्नोर किया जा सकता है की आदित्य पहले से शादी शुदा है.” चाची ने कहा.
“क्या हम यहा इस समश्या का हल करने के लिए बैठे हैं या फिर ‘मूड स्लिंगिंग’ के लिए.” ज़रीना ने कहा.
“तुम्हारे हिसाब से क्या हाल है इस समस्या का” सिमरन ने पूछा.
“मुझे नही पता…बस इतना जानती हूँ कि आदित्य मेरी जींदगी है.”
“तुम्हे शरम नही आती मेरे सामने ऐसी बाते करते हुवे. मेरे पति को अपनी जींदगी बताती हो. क्या ऐसी बाते करके हाल धुन्दोगि तुम इस समश्या का.” सिमरन भड़क गयी.
“हाल तुम बता दो सिमरन… मुझे सच में कुछ नही पता.” ज़रीना ने कहा.
“हाल सिर्फ़ एक ही है. मेरे पति का पीछा छ्चोड़ दो. तुम्हे पहले नही पता था उनकी शादी के बारे में माँ लेती हूँ मैं. मगर अब तो पता है ना. सब कुछ जान ने के बाद भी तुम क्यों हमारे बीच आना चाहती हो.” सिमरन ने कहा.
“क्योंकि जीना नही छ्चोड़ सकती मैं. आदित्य मेरी जींदगी है.” ज़रीना ने जवाब दिया.
“बेशर्मी की हद है ये तो. क्या यही संसकार दिए हैं तुम्हारे पेरेंट्स ने तुम्हे. और कैसे पेरेंट्स हैं तुम्हारे जिन्होने तुम्हे भैया के साथ अकेले मुंबई भेज दिया. वो सब भी लगता है इस खेल में शामिल हैं.” निशा ने कहा.
ज़रीना ने निशा की तरफ देखा. कुछ कहना चाहती थी मगर इतना भावुक हो गयी थी अपने अम्मी अब्बा की बात पर कि आँखे टपक गयी उसकी, “अब क्या कहूँ तुम्हे.” ज़रीना बस इतना ही बोल पाई.
“सच कड़वा होता है ना ज़रीना…वरना तुम रोने की बजाए निशा की बात का जवाब देती.” सिमरन ने कहा.
“हां बताओ कैसे भेज दिया तुम्हारे घर वालो ने तुम्हे आदित्य के साथ अकेले. ये तो वही लोग कर सकते हैं जिनकी कोई इज़्ज़त नही होती. दफ़ा हो जाओ हमारे आदित्य की जींदगी से वरना वो हाल करेंगे तुम्हारा की याद रखोगी जींदगी भर. हमारे होते हुवे सिमरन का हक़ कोई नही छीन सकता.”
“बस!.. बंद करो तुम सब ये बकवास.” ज़रीना ज़ोर से चिल्लाई. ज़रीना की आवाज़ बाहर रघु नाथ और आदित्य को भी सुनाई दी.
“क्या जानते हो तुम लोग मेरे बारे में. पंचायत लगा कर बैठ गये हो सिर्फ़ मुझे नीचा दिखाने के लिए. मेरे पेरेंट्स और मेरी बहन दंगो में मारे गये थे. अकेली हो गयी थी मैं…बिखर चुकी थी. आदित्य ने संभाला मुझे और जीने की उम्मीद दी. कब प्यार हो गया मुझे आदित्य से पता ही नही चला. मगर छ्चोड़ो अब ये सब. रखो अपने आदित्य को अपने पास. मुझे नही चाहिए कुछ भी. आप सब खुश रहें.” ज़रीना उठ कर चल दी वाहा से. मगर आदित्य को दरवाजे पर खड़ा देख कर रुक गयी और रोने लगी.
“तो आप लोगो ने रुला ही दिया मेरी…..” आदित्य अपना सेंटेन्स पूरा नही कर पाया क्योंकि ज़रीना ने थप्पड़ जड़ दिया था उसके गाल पर. थप्पड़ इतनी ज़ोर का था कि सभी को उसकी गूँज सुनाई दी.
“क्यों नही बताया मुझे कि तुम शादी शुदा हो. बता देते एक बार तो कभी ये प्यार ना करती मैं.” ज़रीना ने बहुत भावुक अंदाज में कहा.
आदित्य नज़रे झुकाए खड़ा रहा. कुछ भी नही कह पाया ज़रीना को.
“संभलो अपनी बीवी को आदित्य. मेरे पीछे मत आना आज के बाद. अगर आए तुम तो मेरा मारा मूह देखोगे. नही चाहिए मुझे तुम्हारा प्यार.” ज़रीना निकल गयी कमरे से बाहर.
आदित्य इतना शॉक्ड था कि समझ नही पाया कि क्या करे. वही मूर्ति की तरह खड़ा रहा. आदित्या की तरह सिमरन, निशा और चाची भी शॉक्ड थे.
आदित्य चलने ही लगा था ज़रीना के पीछे की चाची ने उसका हाथ थाम लिया. “जो हुवा अछा हुवा आदित्य. यही हाल था इस दुविधा का. जाने दो उसे.”
“मैं मर जाउन्गा चाची जी. जी नही पाउन्गा उसके बिना. प्लीज़ छोड़िए मुझे.” आदित्य ने कहा.
“ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने तुम पर की तुम ये सब बोल रहे हो.”
“चाची जी मैं बाद में बात करूँगा आकर. पहले उसे रोक लूँ. अगर वो कही खो गयी तो मैं कही का नही रहूँगा.” आदित्य ने कहा और बाहर की तरफ भागा.
क्रमशः...............................
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