RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--24
गतान्क से आगे.....................
आदित्य भाग कर घर से बाहर आया मगर उसे ज़रीना कही दीखाई नही दी. आदित्य सीधा होटेल पहुँचा. मगर ज़रीना वाहा भी नही थी.
“कहा चली गयी तुम ज़रीना…क्या फिर से हम जुदा हो गये. क्या पहली बार की लड़ाई से हमने कुछ नही सीखा. तुम ऐसे छ्चोड़ कर नही जा सकती मुझे.” आदित्य ने कहा.
होटेल से निकल कर अदित्य ने ज़रीना को हर तरफ देखा. कोलाबा का चप्पा चप्पा छान मारा मगर वो उसे कही नही मिली. थक हार कर वो वापिस चाचा के घर आ गया ये सोच कर कि क्या पता वो वापिस आ गयी हो गुस्सा थूक कर. ऐसा सोचना था तो अजीब मगर प्यार हर उम्मीद का दामन थाम लेता है.
जब अदित्य घर आया तो सिमरन वाहा से जाने की तैयारी कर रही थी. अदित्य को देख कर तुरंत आई उसके पास, “कहा है ज़रीना, वो ठीक तो है ना.”
“कुछ कह नही सकता. मुझे वो कही नही मिली. कोलाबा का चप्पा चप्पा छान मारा मगर उष्का कही पता नही चला. होटेल भी नही पहुँची वो.”
“हे भगवान सब मेरी वजह से हुवा है. मैने भी बहुत कुछ बोल दिया उशे. आप दोनो के प्यार की पूरी कहानी नही जानती मगर इतना ज़रूर समझ गयी हूँ कि आप दोनो का प्यार इतना अनमोल है कि उसमे किसी छेड़ छाड़ की गूंजायस नही है. मैं पापी बन गयी हूँ आप दोनो के प्यार में तूफान खड़ा करने के कारण. आप दोनो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. मैं जा रही हूँ वापिस. अब इस बाल-विवाह नामक कृति से मैं भी आज़ाद होना चाहती हूँ. कोई शिकवा नही है आप दोनो से. बल्कि ख़ुसी है कि इतना अनमोल प्यार देखने को मिला मुझे. आपको ज़रीना मिले तो मेरी तरफ से माफी माँग लेना उस से.मैने बहुत दिल दुखाया है उसका.”
“कैसे जा रही हो देल्ही…टिकेट बुक करवा रखी है क्या?” अदित्य ने कहा.
“नही टिकेट तो मिल ही जाएगी एरपोर्ट से. देल्ही मुंबई की मॅग्ज़िमम फ्लाइट्स होती हैं.”
“हां वो तो है. आपको छ्चोड़ने चलता मगर ज़रीना के लिए परेशान हूँ. मुझे माफ़ कर दीजिएगा आप.मुझे यकीन है की बहुत अछा लाइफ पार्ट्नर मिलेगा आपको.”
“आप से अछा नही मिल सकता जानती हूँ. पर आपकी अनभिलासा नही करूँगी अब क्योंकि वैसा करना पाप होगा. आप ज़रीना के हैं और ज़रीना आप की है. दुख बहुत है आपको खोने का मगर आप दोनो का प्यार देख कर ये दुख ख़ुसी में बदलता जा रहा है.
मुझे यकीन है कि ज़रीना जल्द मिल जाएगी आपको.”
“हां वो गुस्से में बैठी होगी कही चुप कर. मैं उसे ढूंड ही लूँगा. वापिस होटेल जा कर देखता हूँ, हो सकता है वो आ गयी हो.”
आदित्य होटेल पहुँचा तो उसकी ख़ुसी का ठीकाना नही रहा. रिसेप्षन से उसे पता चल गया की ज़रीना कमरे में है.
आदित्य खुश था कि ज़रीना कमरे में है. तुरंत भाग कर आया वो कमरे पर. मगर ज़रीना का थप्पड़ और उसकी कही बातें बार-बार उसके कानो में गूँज रही थी. आदित्या ने रूम की बेल बजाई. ज़रीना उस वक्त बिस्तर पर पड़ी थी पेट के बल. आँखो से आँसुओं की नदिया बह रही थी. बेल को अनशुना कर दिया ज़रीना ने और ज्यों की त्यों पड़ी रही बिस्तर पर. आदित्य बार-बार बेल बजाता रहा मगर ज़रीना ने दरवाजा नही खोला.
“ज़रीना दरवाजा खोलो…मैं बहुत परेशान हूँ. मुझे और परेशान मत करो. प्लीज़ दरवाजा खोलो…मेरा दिल बैठा जा रहा है…तुम ठीक तो हो ना…मुझे चिंता हो रही है तुम्हारी.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना धीरे से उठी बिस्तर से और लड़खड़ाते कदमो से दरवाजे की तरफ बढ़ी और दरवाजा खोला.
“क्यों आए हो यहा…अपनी बीवी के पास नही रह सकते क्या…कहा था ना मैने की मेरे पीछे आए तो मेरा मरा मूह देखोगे.?”
“ज़रीना प्लीज़…ऐसी बाते मत करो. तुम्हारे बिना नही जी सकता ये तुम आछे से जानती हो.”
“पर अब तुम्हे जीना होगा. तुम कहते हो कि तुम वो शादी नही निभा सकते और मैं कहती हूँ कि मैं ये प्यार नही निभा सकती. प्लीज़ चले जाओ यहा से. नही चाहिए तुम्हारा प्यार मुझे.”
“ये क्या पागल पन है ज़रीना…और…और ये हाथ में खून कैसा है.” आदित्या की नज़र ज़रीना के दायें हाथ से टपकते खून पर गयी.
“सज़ा दी है खुद को तुम्हे थप्पड़ मारने की.” ज़रीना ने सुबक्ते हुवे कहा.
“तुम कौन होती हो खुद को यू सज़ा देने वाली. दीखाओ मुझे…अफ कितना खून बह रहा है.” आदित्या ने ज़रीना का हाथ पकड़ने की कोशिस की.
“खबरदार जो मुझे छुवा तो…कोई हक़ नही है तुम्हारा मेरे उपर अब.”
“अगर कोई हक़ नही है तो फिर क्यों सज़ा दी तुमने खुद को. पागल मत बनो दीखाओ मुझे…कितना खून बह रहा है.”
“आइ कॅन टेक केर ऑफ माइसेल्फ मिस्टर अदित्य. तुम अपनी बीवी को सम्भालो जाकर और अपने परिवार में खुश रहो.”
“ये क्या बकवास कर रही हो. अब मैं थप्पड़ मारूँगा तुम्हे अगर यू ही बकवास करती रही तो.”
“तो मारो ना रोका किसने है. मुझे जान से मार डालो. तुमने ही बचाया था मुझे एक दिन मरने से, तुम्हे हक़ है मुझे मारने का.”
“क्या सिर्फ़ इश्लीए हक़ है क्योंकि तुम्हे मैने बचाया था. क्या प्यार का हक़ नही है.”
“वो प्यार अब बिखर चुका है अदित्य. वो हक़ नही दूँगी तुम्हे मैं.”
“ग्रेट…तुम सच में पागल हो गयी हो. अरे अब सब कुछ ठीक हो चुका है. सिमरन समझ गयी है हमारे प्यार को. वो हमारे बीच से हट गयी है.”
“मुझे ये मंजूर नही है अदित्य.”
“क्यों मंजूर नही है तुम्हे क्या जान सकता हूँ.”
“तुमने मुझसे इतनी बड़ी बात छुपाई और अब पूछ रहे हो कि क्यों मंजूर नही है. क्या ग़लती है सिमरन की?.... और क्या ग़लती है मेरी? … सब तुम्हारी ग़लती है. मुझसे इतनी बड़ी बात ना छिपाते तो ये दिन नही देखना पड़ता. मेरे चरित्र को छलनी छलनी कर दिया गया आज. कभी मुझे मेरे मज़हब के कारण जॅलील किया गया तो कभी मुझे लालची लड़की की संगया दी गयी जो की तुम्हारी दौलत के पीछे पड़ी है. चलो ये सब भी सह लिया. मगर मेरे अम्मी, अब्बा का क्या कसूर था. बिना सोचे समझे उन्हे भी भला बुरा कहा गया. बहुत गहरी चोट लगी है दिल पे मेरे आज…जिनके घाव कभी नही भर पाएँगे. काश उन दंगो में अपने अम्मी, अब्बा और फ़ातिमा के साथ मैं भी मर जाती तो ये दिन तो नही देखना पड़ता.”
“ज़रीना!” आदित्या चिल्लाया और थप्पड़ जड़ दिया ज़रीना के गाल पर.
“तुम नही जानते अदित्य क्या बीती है मेरे दिल पर आज. तुम मेरी जगह होते तो समझते. सिमरन का हक़ पहले है तुम पर. वो पहले आई थी तुम्हारी जींदगी में.”
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