RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
“ऐसा तो नही था कभी. तुमने दीवाना बना दिया मुझे जान. तुम मेरा पहला प्यार हो. तुमसे पहले ज़्यादा इनटरेक्षन नही रहा लड़कियों से.”
“जानती हूँ मैं. मेरा तो इंटेरेस्ट ही नही था किसी से दोस्ती करने में. मैं भी बस तुम्हे जानती हूँ. मेरा पहला और आखरी प्यार तुम ही हो.”
“इतनी प्यारी बात कर रही हो. एक प्यारी सी किस दे दो ना और जला दो मेरे होंटो को एक बार फिर से.”
“जल कर राख हो जाओगे रहने दो हिहिहीही.” ज़रीना ने हंसते हुवे कहा.
“तुम मुझे खाक में मिला दो तो भी चलेगा. तुम्हारे हुस्न की आग में जलना चाहता हूँ मैं.”
“अछा.”
“हां.”
“तुम कही झुटि तारीफ़ तो नही करते मेरी.”
“लो कर लो बात. कॉलेज में तुम मशहूर थी अपने हुस्न के लिए. तुम्हारी ही चर्चा हुवा करती थी हर तरफ लड़को में. ये बात और थी की तुम मुझे बिल्कुल पसंद नही थी.”
“क्या मैं इश्लीए पसंद नही थी कि मैं मुस्लिम थी?”
“ज़रीना कैसी बात कर रही हो.”
“बोलो ना आदित्य मैं नापसंद क्यों थी तुम्हे.”
“ये तो मैं भी पूछ सकता हूँ कि क्या तुम मुझसे नफ़रत इश्लीए करती थी क्योंकि मैं हिंदू था.”
“पहले मेरे सवाल का जवाब दो ना प्लीज़. पहले मैने सवाल किया है.”
“हां ज़रीना झूठ नही बोलूँगा. उस वक्त मुस्लिम लोगो से चिढ़ता था मैं. देश में कही भी टेररिस्ट अटॅक होता था तो बहुत गालिया देता था मैं. काई बार मन में ख़याल आता था कि मेरे पड़ोस में भी टेररिस्ट रह रहे हैं. तुम लोगो से लड़ाई और ज़्यादा नफ़रत पैदा करती थी तुम्हारे प्रति.”
“झूठ नही बोल सकते थे…इतना कड़वा सच बोलने की क्या ज़रूरत थी.” ज़रीना रो पड़ी बोलते-बोलते.
“जान…तुमने सवाल सच जान-ने के लिए किया था या फिर झूठ. अब तुम बताओ कि तुम क्यों नफ़रत करती तू मुझसे.”
“मुझे कभी किसी हिंदू के नज़दीक जाने की इच्छा नही होती थी, क्योंकि मुझे यही लगता था कि ये लोग हमें दबाते हैं इस देश में. माइनोरिटी होने के कारण हमारे साथ हर जगह भेदभाव होता है. कॉलेज में मेरे सभी मुस्लिम फ्रेंड्स ही थे. और हम लोगो के परिवारों का लड़ाई झगड़ा होने के कारण तुमसे नफ़रत और ज़्यादा बढ़ गयी थी.”
“शूकर है शादी होने से पहले ये राज खुल गये.” आदित्य ने कहा.
“तो क्या अब हम शादी नही करेंगे.” ज़रीना ने बड़ी मासूमियत से पूछा.
“तुम बताओ क्या इरादा है तुम्हारा?”
एक पल को खामोसी छा गयी दोनो के बीच. दोनो बहुत करीब पड़े थे एक दूसरे के. कुछ कहने की बजाए दोनो एक दूसरे की आँखो में झाँक रहे थे. कब उनके होन्ट मिल गये एक दूसरे से उन्हे पता ही नही चला. दोनो के होन्ट एक साथ हरकत कर रहे थे. 10 मिनिट तक बेतहासा चूमते रहे दोनो एक दूसरे को. जब उनके होन्ट जुदा हुवे तो बड़े प्यार से देख रहे थे दोनो एक दूसरे को.
“मिल गया जवाब.” आदित्य ने हंसते हुवे पूछा.
“हां मिल गया. यही कह सकती हूँ कि प्यार के आगे ये बातें कुछ मायने नही रखती.”
“हां हम एक दूसरे के करीब आए तो हम जान पाए एक दूसरे को. वरना तो जींदगी भर नफ़रत बनी रहती. हम आस आ हुमन बिएंग एक दूसरे से नफ़रत नही करते थे. बल्कि डिफरेंट रिलिजन से होने के कारण एक दूसरे को नापसंद करते थे. हम एक महीना साथ रहे तो धरम की झूठी दीवार गिर गयी. दीवार गिरने के बाद हम उसके पीछे खड़े असली इंसान को देख पाए. काश इस देश में हर कोई ऐसा कर पाए. मैं अपने पहले के विचारों के लिए शर्मिंदा हूँ.”
“मैं भी शर्मिंदा हूँ आदित्य. अच्छा हुवा जो कि हमें प्यार हुवा और हम एक दूसरे को जान पाए. प्यार में बहुत ताक़त होती है ना आदित्य.”
“हां बहुत ज़्यादा ताक़त होती है. ये प्यार ज़रीना जैसी लड़की को भी किस करना सीखा देता है. ऑम्ग फिर से बहुत प्यारा चुंबन दिया तुमने.”
“हटो छोड़ो मुझे…तुम फिर से शैतानी पर उतर आए.”
आदित्य और ज़रीना बिस्तर पड़े हुवे प्यार के उस कोमल अहसास को पा रहे थे जिसके लिए ज़्यादा तर लोग जीवन भर तरसते हैं. दोनो की आँखों में बहुत सारे सपने थे आने वाली जींदगी के लिए और दिलों में ढेर सारी उमंग थी.
क्रमशः...............................
|